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सार्वजनिक उपयोग की शामलात जमीन पर निर्माण होंगे निजी कब्‍जे से मुक्‍त, होगा सरकारी नियंत्रण

हरियाणा में सार्वजनिक उपयोग की शामलात जमीन पर हुए निर्माणों को भी‍ निजी कब्जे से मुक्‍त किया जाएगा। इनको सरकारी नियंंत्रण में लिया जाएगा। इस जद में फरीदाबाद व गुरुग्राम के अरावली क्षेत्र में शामलात भूमि पर बने निर्माण भी आएंगे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 07:32 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jun 2022 08:35 AM (IST)
सार्वजनिक उपयोग की शामलात जमीन पर निर्माण होंगे निजी कब्‍जे से मुक्‍त, होगा सरकारी नियंत्रण
अरावली क्षेत्र में किए गए निर्माण। (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली , [बिजेंद्र बंसल]। शामलात की सार्वजनिक उपयोग की जमीन पर किए गए निर्माण अब निजी हाथों से मुक्त होगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इनका रखरखाव सरकारी नियंत्रण में लिया जाएगा। इन निर्माणों को सरकारी नियंत्रण में देने के लिए राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने जिला उपायुक्तों को निर्देश जारी कर दिया है। इ

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सके आधार पर जिला स्तर पर शामलात जमीन पर निजी लोगों के इंतकाल और रजिस्ट्री रद करने के लिए भी सर्वे शुरू हो गया है। फरीदाबाद के मंडलायुक्त संजय जून का कहना है कि सार्वजनिक उपयोग की जमीन को चिन्हित किया जा रहा है।

जून का कहना है कि इस जमीन पर चाहे किसी का निर्माण हो या फिर फार्म हाउस, सभी को सरकारी संपत्ति माना जाएगा। निजी लोगों की रजिस्ट्री और राजस्व रिकार्ड में इंतकाल को रद किया जाएगा। शीर्ष अदालत के इस आदेश से अरावली क्षेत्र से लेकर गांव शामलात की जमीन पर संस्थान बनाने वाले लोगों की जमीन खिसक गई है। फिलहाल इन लोगों को राजनीतिज्ञों की तरफ से भी कोई राहत नहीं मिल रही है।

सार्वजनिक उपयोग की जमीन का बंटवारा नहीं हो सकता

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि सार्वजनिक उपयोग की जमीन का बंटवारा सुनियोजित भ्रष्टाचार है। सार्वजनिक उपयोग की जमीन का किसी भी सूरत में बंटवारा नहीं हो सकता। अदालत ने यह भी माना है कि एक समय में यह हो सकता है कि जमीन की आवश्यकता न हो मगर जिस तरह गांव और आबादी की जरूरत बढ़ती हैं, उससे उस जमीन की उपयोगिता बढ़ जाती है। इसलिए सार्वजनिक उपयोग की जमीन का बंटवारा नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत के इस आदेश से उन संस्थानों के मालिकों के लिए भी परेशानी खड़ी हो गई है, जिन्होंने शामलात की जमीन पर संस्थान खड़े कर दिए।

कोट गांव की चकबंदी पर भी लग चुका है प्रतिबंध

अरावली की पहाड़ियों में कोट और मांगर गांव की शामलात भूमि को लेकर अनेक बाद विवाद खड़े हुए हैं। इन गांवों की चकबंदी को लेकर दिल्ली से लेकर चंडीगढ़ तक सरकार में बैठे प्रमुख लोगों की निगाह रहीं मगर अंत में 11 नवंबर 2021 में हरियाणा सरकार ने कोट गांव की चकबंदी पर प्रतिबंध लगा दिया।

इसके बाद कोट गांव में जमीन की खरीद-फरोख्त तो रुक गई मगर अरावली की पहाड़ियों में शामलात जमीन की खरीद-फराेख्त शुरू हो गई। हालांकि इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद के खोरी गांव में प्रतिबंधित वन क्षेत्र पर बने निर्माण रोके जाने से वन क्षेत्र में जमीन की खरीद-फरोख्त रुक गई। अब इस नए आदेश से वे लोग सकते में हैं जिन्होंने शामलात की जमीन खरीदी थी।

जानें खास बिंदु  

  • - गुरुग्राम-फरीदाबाद में अरावली क्षेत्र की महंगी हो चुकी शामलात जमीन पर बने हैं प्रभावशाली लोगों के फार्म हाउस और संस्थान। 
  • - सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद प्रशासन ने जमीन की रजिस्ट्री व राजस्व रिकार्ड की एंट्री हटाने के लिए शुरू किया सर्वे का काम।
  • - सुप्रीम कोर्ट ने सात अप्रैल 2022 को सार्वजनिक उपयोग की जमीन का मालिकाना हक सरकार काे देने का निर्णय दिया।
  • - राजस्व विभाग ने सार्वजनिक उपयोग की जमीन यदि निजी व्यक्ति या संस्थान के नाम है तो उसे रद करने का दिया है आदेश। 

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