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कालका में रहा कांग्रेस का दबदबा, अबकी बार आसान नहीं राह

पंचकूला जिले में अब दो विधानसभा हलके पंचकूला और कालका आते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Oct 2019 06:11 PM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2019 06:17 AM (IST)
कालका में रहा कांग्रेस का दबदबा, अबकी बार आसान नहीं राह
कालका में रहा कांग्रेस का दबदबा, अबकी बार आसान नहीं राह

राजेश मलकानियां, पंचकूला : 1995 में अस्तित्व में आए पंचकूला जिले में अब दो विधानसभा हलके पंचकूला और कालका आते हैं। कालका विधानसभा सीट पहले अंबाला के अंतर्गत पड़ती थी। 1995 से वर्ष 2009 तक पंचकूला जिले में एक ही विधानसभा क्षेत्र पड़ता था। परिसीमन के बाद जिले में पंचकूला एवं कालका अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र बन गए। 1967 में हुए हरियाणा के विधानसभा चुनाव में कालका विधानसभा क्षेत्र से पहली बार निर्दलीय तौर पर लक्ष्मण सिंह विधायक बने थे। इसके बाद 1968 में जब चुनाव हुए थे तो कांग्रेस के किशोरी लाल ने लक्ष्मण सिंह को हरा दिया। लक्ष्मण सिंह 1972 और 1982 में विधायक रहे। कालका विधानसभा क्षेत्र में 13 चुनाव हुए हैं जिसमें सात बार कांग्रेस के विधायक रहे। जिसमें दो बार किशोरी लाल, एक बार पुरुषभान एवं चार बार पूर्व मुख्यमंत्री स्व. चौ. भजनलाल के बेटे चंद्रमोहन विधायक रहे। 1993 से लेकर 2005 तक चंद्रमोहन कालका से विधायक रहे। इसके बाद कालका से चंद्रमोहन को चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला और 2009 में इंडियन नेशनल लोकदल के उम्मीदवार प्रदीप चौधरी विधायक बन गए। लतिका ने मोदी लहर में हराया था प्रदीप चौधरी को

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2014 में भाजपा ने पैराशूट उम्मीदवार लतिका शर्मा को मैदान में उतारा। कुछ ही दिन के चुनाव प्रचार के बाद लतिका शर्मा मोदी लहर में विधायक बनीं और प्रदीप चौधरी को 19 हजार से अधिक मतों से हरा दिया। अब प्रदीप चौधरी इनेलो को अलविदा कहकर कांग्रेस की टिकट से मैदान में हैं और उनका मुकाबला फिर लतिका शर्मा से है। प्रदीप चौधरी उम्मीद रखते हैं कि कांग्रेस का कालका में दबदबा और चंद्रमोहन की पंचकूला में उपस्थिति उनको चुनाव में फायदा देगी लेकिन लतिका शर्मा विकास कार्यो और मनोहर-मोदी के नाम पर जीत का दावा कर रही हैं। पंचकूला विधानसभा सीट का इतिहास

पंचकूला विधानसभा क्षेत्र का कोई लंबा इतिहास नहीं है। परिसीमन के दौरान कालका से ही अलग होकर पंचकूला को अलग विधानसभा क्षेत्र का दर्जा मिला है। पंचकूला में पहली बार 2009 में चुनाव हुए थे। इस सीट पर एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा का विधायक रह चुका है। वर्ष 2009 में कांग्रेस ने अंबाला से विधायक डीके बंसल को पंचकूला से टिकट दे दिया था। डीके बंसल को लोगों ने पंचकूला का पहला विधायक बनाया परंतु 2014 में मोदी लहर में डीके बंसल कहीं नहीं टिके और उन्हें तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। भाजपा प्रत्याशी ज्ञानचंद गुप्ता ने 2014 इंडियन नेशनल लोकदल के उम्मीदवार कुलभूषण गोयल को हराया था। अब गोयल इनेलो को छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं।


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