कालका-शिमला ट्रैक पर दौड़ने के इंतजार में खडे़ कोच
कोई समारोह आयोजित करना तो दूर की बात ट्रैक पर ट्वॉय ट्रेन भी दिखाई नहीं देगी।
राजकुमार, कालका : यह शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि वर्ल्ड हेरिटेज डे पर कालका-शिमला रेल सेक्शन इस तरह सुनसान रहेगा कि कोई समारोह आयोजित करना तो दूर की बात, ट्रैक पर ट्वॉय ट्रेन भी दिखाई नहीं देगी। यह सब हुआ कोरोना वायरस के चलते। इन दिनों देशभर में रेल सेवा बंद होने के कारण यहां विश्व धरोहर में शामिल कालका-शिमला रेल सेक्शन पर ट्वॉय ट्रेन सेवा भी बंद करनी पड़ी है। ऐसे में इस वर्ष वर्ल्ड हेरिटेज डे भी कोरोना की भेट चढ़ गया। 1903 में अंग्रेजों ने कालका से शिमला तक रेल लाइन बिछाकर ट्वॉय ट्रेन सेवा स्टीम इंजन के साथ शुरू की थी। इसके साथ ही इस सेक्शन ने भारतीय रेल में अपनी खास पहचान बनाई थी। बड़ी लाइनों का आखिरी और छोटी लाइनों का पहला स्टेशन होने के कारण देश और दुनिया से सैलानियों का आवागमन यहां होने लगा था और ट्वॉय ट्रेन के सुहाने सफर का जादू सैलानियों के सिर चढ़कर बोलने लगा था। शताब्दी समारोह ने दिलाई ज्यादा पहचान
जैसे ही रेल सेक्शन ने 100 वर्ष पूरे किए तो मानों रेलवे विभाग की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। विभाग ने रेल खंड का शताब्दी समारोह बड़े स्तर पर मनाने की तैयारी की और 23 नवंबर 2003 को कालका और शिमला में भव्य समारोह आयोजित किया गया था। जिसमें तत्कालीन रेल मंत्री नीतिश कुमार ने शिरकत की थी। इस समारोह से देश-दुनिया में इस रेल खंड व ट्वॉय ट्रेन का ऐसा प्रचार प्रसार हुआ कि सैलानियों में इस ट्रेन के प्रति दीवानगी बढ़ती गई और इसके साथ ही रेल खंड को विश्व धरोहर में शामिल करने की मांग भी जोर पकड़ने लगी। 2008 में मिला विश्व धरोहर का दर्जा
शताब्दी समारोह मनाने के बाद विभाग भी तैयारियों में जुट गया और 10 जुलाई 2008 को आखिरकार कालका-शिमला रेल खंड को विश्व धरोहर का दर्जा मिल गया। इसके बाद विभाग ने नए रेल इंजन मंगवाने, नए एवं आधुनिक कोच तैयार करने जैसी कई सुविधाएं सैलानियों को उपलब्ध करवाई। वैसे तो सैलानी सालभर ट्वॉय ट्रेन के सफर का आनंद उठाते हैं। लेकिन खास तौर पर नववर्ष के आगमन पर और गर्मियों में स्कूलों की छुट्टियों के दौरान तो ट्वॉय ट्रेन में वेटिग लिस्ट ऐसी लंबी रहती है कि जिसको सीट मिल जाए, वह अपने आप को खुशनसीब समझता है। लेकिन इस वर्ष सुनसान प्लेटफार्म और यार्ड में ट्वॉय ट्रेन के कोच शायद दौड़ने की इंतजार में खडे़ हैं। ऐसे में इस वर्ष वर्ल्ड हेरिटेज डे भी कोरोना खौफ में लॉकडाउन में बीत गया।