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SYL के लिए इनेलो छेड़ेगी जलयुद्ध, सांसदों-विधायकों को पत्र लिखेंगे चौटाला

एसवाइएल निर्माण के लिए इनेलो जलयुद्ध छेड़ेगी। इसके लिए अभय चौटाला सभी राजनीतिक दलों के सांसदों, विधायकों और प्रमुख नेताओं को पत्र लिखेंगे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 06 Dec 2016 08:18 PM (IST)Updated: Tue, 06 Dec 2016 08:32 PM (IST)
SYL के लिए इनेलो छेड़ेगी जलयुद्ध, सांसदों-विधायकों को पत्र लिखेंगे चौटाला

जेएनएन, चंडीगढ़। एसवाइएल (सतलुज यमुना लिंक नहर) बनवाने के लिए 23 फरवरी से जलयुद्ध शुरू कर रहे इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने बड़ा राजनीतिक दांव खेलने जा रहा है। विधानसभा में विपक्ष के नेता अभय चौटाला ने जलयुद्ध में शामिल होने के लिए सभी राजनीतिक दलों के सांसदों, विधायकों और प्रमुख नेताओं को पत्र लिखेंगे।

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इनेलो पदाधिकारियों की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में अभय चौटाला और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने कहा कि भाजपा व कांग्र्रेस दोनों एसवाईएल पर राजनीति कर रहे हैैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सुप्रीम कोर्ट में 15 दिसंबर की तारीख होने का हवाला देते हुए अपनी मुहिम बीच में ही रोक दी। ऐसा इसलिए किया गया, ताकि पंजाब में कांग्रेस को नुकसान न उठाना पड़े।

चौटाला व अरोड़ा ने हुड्डा को सलाह दी कि यदि उन्हें हरियाणा के हितों की वास्तव में चिंता है तो वह इस्तीफा देकर 23 फरवरी से शुरू होने वाले इनेलो के जलयुद्ध में शामिल हों और नहर की खुदाई कराएं। चौटाला ने कहा कि वह सभी सांसदों व विधायकों को पत्र लिखकर जलयुद्ध में शामिल होने का आग्रह करेंगे और कहेंगे कि अपने आलाकमान पर दबाव डालकर एसवाइएल नहर का निर्माण पूरा कराने में सहयोग दें।

चौटाला ने कहा कि विभिन्न दलों के पंजाब के जो नेता एसवाइएल का विरोध कर रहे हैं उन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कराने का आग्र्रह भी सांसदों व विधायकों से पत्र के जरिये किया जाएगा। पत्र की प्रतियां राजनीतिक संगठनों को भी जाएंगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा के कांग्रेस नेता यदि एसवाइएल पर सोनिया गांधी को वस्तुस्थिति से अवगत कराने में असमर्थ हैं तो वह उनके साथ सोनिया गांधी के पास जाने के लिए भी तैयार हैैं।

चौटाला व अरोड़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री कमजोर हैैं। तीन सप्ताह से सीएम एसवाइएल के मामले पर प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगने की बात कह रहे हैं, लेकिन आज तक उन्हें समय नहीं मिल पाया है। गीता जयंती के नाम से कुरुक्षेत्र का नाम हटाए जाने की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी निजी छवि की चिंता है। सरकार द्वारा अगर एक मंदिर को सजाने के लिए 30 लाख रुपये के फूल मंगाए जा रहे तो कुरुक्षेत्र के सभी मंदिरों के लिए कितने करोड़ों के फूल आएंगे? इसका अनुमान लगाया जा सकता है।

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