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Haryana Politics: हरियाणा की सियासत में नया मोड संभव, चौंकाने वाला होगा मंत्रिमंडल बदलाव

हरियाणा में शहरी व पंचायत चुनाव के बाद तथा विधानसभा के मानसून सत्र से पहले सरकार अहम फैसले ले सकती है। राज्य में मानसून सत्र से पहले मंत्रिमंडल में बदलाव व विस्तार भी संभव है। इसमें कुछ बदलाव देखने को मिल सकता है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 22 May 2022 12:59 PM (IST)Updated: Sun, 22 May 2022 12:59 PM (IST)
Haryana Politics: हरियाणा की सियासत में नया मोड संभव, चौंकाने वाला होगा मंत्रिमंडल बदलाव
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर की फाइल फोटो।

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच प्रदेश की सियासत अगले कुछ दिनों में नया मोड ले सकती है। प्रदेश में भ्रष्टाचार रोकने के अपने संकल्प को अधिक मजबूती प्रदान करते हुए सत्तारूढ़ दल भाजपा जहां कुछ कड़े फैसले लेते नजर आ सकती है, वहीं विधानसभा के मानसून सत्र से ठीक पहले मंत्रिमंडल में बदलाव संभव है।

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यह बदलाव काफी चौंकाने वाला हो सकता है। हालांकि यह बदलाव शहरी निकाय और पंचायत चुनाव से पहले होना प्रस्तावित था, लेकिन कील-कांटे दुरुस्त करने में समय लगने की वजह से मंत्रिमंडल बदलाव में देरी हो रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल समेत हरियाणा मंत्रिमंडल में इस समय 14 मंत्री हैं। सदस्य संख्या के हिसाब से मंत्रिमंडल में एक मंत्री और शामिल किया जा सकता है।

विधानसभा के मानसून सत्र से पहले संभावित मंत्रिमंडल बदलाव और विस्तार इसलिए अधिक महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि कुछ दिनों से भाजपा व जजपा नेताओं के अलग-अलग बयान सामने आ रहे हैं।

भाजपा की प्रांतीय परिषद की बैठक में 2024 का लोकसभा और विधानसभा चुनाव खुद के बूते लड़कर अपनी सरकार बनाने का संकल्प लिया गया है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो भाजपा बिना किसी राजनीतिक गठबंधन के अकेले चुनाव लड़ सकती है।

भाजपा के इस संकल्प के बाद जजपा के संरक्षक एवं उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का बयान आया कि 2024 का लोकसभा और विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ा जाएगा। भाजपा व जजपा नेताओं की यह राय आपस में बड़ा विरोधाभास खड़ा कर रही है।

हालांकि दोनों दल अपने-अपने हिसाब से चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं, लेकिन किसी को भी यह आत्मविश्वास नहीं है कि 2024 के चुनाव में भाजपा-जजपा का गठबंधन हर हाल में होगा। ऐसे में भाजपा सरकार द्वारा किये जाने वाले मंत्रिमंडल विस्तार और बदलाव पर सबकी निगाह टिकी हुई है।

मंत्रिमंडल में बदलाव इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भाजपा 2014 से भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलती चली आ रही है। पेपर लीकेज और भर्ती माफिया को पकड़ने के साथ ही भ्रष्ट अधिकारियों की धरपकड़ भाजपा के संकल्प को मजबूती प्रदान करती है, लेकिन कहीं न कहीं पार्टी के भीतर की बैठकों में भाजपा कार्यकर्ता अपने सहयोगी दल जजपा के आचरण पर सवाल उठाकर सरकार को असहज करने में लगे हैं।

भ्रष्ट आचरण के चलते करनाल में डीटीपी व तहसीलदार की धरपकड़ के बाद प्रापर्टी के कारोबार में जिन नेताओं व अधिकारियों के नाम सामने आए, वह बेहद चौंकाने वाले हैं। इन नेताओं में दोनों दलों के हमदर्द लोगों की भागीदारी बताई जाती है।

इसी तरह, जमीन की रजिस्ट्रियों में तहसीलदारों व नायब तहसीलदारों के भ्रष्टाचार का खुला खेल किसी से छिपा नहीं है। कृषि जमीन को कामर्शियल जमीन में बदलने का खेल पुराना है। आबकारी एवं कराधान तथा पीडब्ल्यूडी विभाग की कार्यप्रणाली संदिग्ध बनी हुई है।

हालांकि मुख्यमंत्री की पहल को अपनाते हुए उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने खुद रजिस्ट्रियों व शराब की तस्करी के खेल के तमाम छिद्र बंद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन भाजपा व जजपा दोनों दलों के सामने आने वाले समय में खुद को साबित करने तथा लोगों के साथ-साथ कार्यकर्ताओं के भरोसे पर खरा उतरने की बड़ी चुनौती बन गई है।

ऐसे में संभावित मंत्रिमंडल विस्तार यदि होता है तो वह काफी अहम रहने वाला है। इस बदलाव में कई मंत्रियों की छुट्टी संभव है तो कई विधायकों को मंत्री बनने का मौका मिल सकता है, जो 2024 के चुनाव के लिहाज से काफी अहमियत भरा होगा।


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