गुरुग्राम एंबिएंस माल का रिकार्ड CBI के कब्जे में, हरियाणा सरकार ने मांगी कॉपी
एंबिएंस मॉल (Ambience Mall Gurugram) बनाने के मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने इससे जुड़ा रिकार्ड सीबीआइ से मांगा है।
जेएनएन, चंडीगढ़। गुरुग्राम में रिहायशी सोसायटी के लिए तय भूमि पर एंबिएंस मॉल (Ambience Mall, Gurugram) बनाने के मामले में हाई कोर्ट ने पिछले महीने CBI जांच के आदेश दिए थे। इस बीच, सरकार ने हाई कोर्ट में एक अर्जी दायर कर आग्रह किया है कि उसे एंबिएंस मॉल से जुडा रिकार्ड उपलब्ध करवाया जाए। यह रिकार्ड पिछले पांच साल से हाई कोर्ट के अधिकार में था, और पिछले महीने ही यह सारा रिकार्ड CBI को सौंप दिया गया था।
सरकार की अर्जी पर हाई कोर्ट ने सरकार को कहा कि उसे एंबिएंस मॉल के रिकार्ड के जिन दस्तावेज की जरूरत है वो उसकी सूची CBI को दे। CBI उन रिकॉर्ड की प्रति सरकार को उपलब्ध करवा देगी। सूूत्रों के अनुसार हरियाणा सरकार हाई कोर्ट के इस आदेश पर पुन विचार याचिका दायर करने जा रही है, इसीलिए सरकार ने रिकार्ड की कापी की मांग की है।
साल 2015 में गुरुग्राम निवासी अमिताभ सेन व अन्य ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि जिस भूमि पर एंबिएंस मॉल बना है वह रेजिडेंशियल सोसायटी के लिए मंजूर की गई थी। यहां पर रिहायशी निर्माण करने की योजना थी, लेकिन सरकार ने यहां पर कामर्शियल इमारत बनाने की मंजूरी दे दी।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अपील की थी कि याचिका लंबित रहते निर्माण कार्य पर रोक लगाई जाए और इमारत को गिराया जाए। 5 साल से लंबित इस याचिका पर 10 जुलाई को अपना फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में प्राइवेट बिल्डरों और स्टेट अथॉरिटी के अधिकारियों की मिलीभगत से निर्माण किया गया है और इस तरह के कार्य होने पर हाई कोर्ट आंखें मूंदे नहीं बैठा रह सकता है।
अदालत ने कहा कि आम आदमी के अधिकारों का हनन करते हुए किसी बिल्डर को अमीर बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती। हाई कोर्ट ने जांच को CBI को सौंपते हुए CBI को यह छूट दी थी कि CBI हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल से इस रिकॉर्ड को प्राप्त कर कर सकती है।
न्यायालय ने कहा था कि इस मामले में CBI को 6 महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करनी होगी। इसके साथ ही 3 माह में की गई जांच की सीलबंद रिपोर्ट न्यायालय में पेश करनी होगी। अब हरियाणा सरकार ने रिकॉर्ड के प्रति प्राप्त करने के लिए उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की थी जिसे मंजूर करते हुए न्यायालय ने प्रति को सौंपने के आदेश दे दिए हैं।