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चौटाला से बढ़ रही नजदीकियों के कारण भाजपा की नजरों से उतरे बीरेंद्र सिंह, स्टार प्रचारकों की सूची से नाम गायब

ऐलनाबाद उपचुनाव के लिए भाजपा ने स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है। सूची से बीरेंद्र सिंह का नाम गायब है। दरअसल गुरुग्राम व जींद में बीरेंद्र सिंह व चौटाला एक-दूसरे के करीब आए थे। वह केजरीवाल के कार्यक्रम में भी शामिल हुए थे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 05:19 PM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 08:08 AM (IST)
चौटाला से बढ़ रही नजदीकियों के कारण भाजपा की नजरों से उतरे बीरेंद्र सिंह, स्टार प्रचारकों की सूची से नाम गायब
इनेलो के कार्यक्रम के दौरान मंच पर बीरेंद्र सिंह। फाइल फोटो

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची से पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह का नाम गायब हो गया है। बीरेंद्र सिंह पिछले दिनों इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला के बुलावे पर पूर्व उप प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल के जयंती समारोह में शरीक होने जींद पहुंचे थे। इससे पहले बीरेंद्र सिंह ने ओमप्रकाश चौटाला को गुरुग्राम में दीनबंधु सर छोटू राम के व्यक्तित्व पर आधारित पुस्तकों के विमोचन समारोह में बुलाया था। किसान संगठनों के आंदोलन के प्रति भाजपा की बेरुखी के चलते बीरेंद्र सिंह और ओमप्रकाश चौटाला के बीच नजदीकियां बढ़ रही हैंं।

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भाजपा ने ऐलनाबाद उपचुनाव के लिए अपनी पार्टी के जिन 20 स्टार प्रचारकों के नामों की सूची जारी की, उनमें बीरेंद्र सिंह का नाम शामिल नहीं है। केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर और राव इंद्रजीत के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री रतनलाल कटारिया को स्टार प्रचारकों की सूची में रखा गया है। बीरेंद्र सिंह और दुष्यंत चौटाला के परिवार के बीच भी छत्तीस का आंकड़ा है। दुष्यंत चौटाला जींद जिले की उस उचाना विधानसभा सीट से चुनाव जीते हैं, जिस पर कभी ओमप्रकाश चौटाला, बीरेंद्र सिंह और उनकी धर्मपत्नी प्रेमलता सिंह चुनाव जीतते रहे हैं।

बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह फिलहाल हिसार से सांसद हैं। पिछले दिनों उन्होंने किसान संगठनों के आंदोलन का समर्थन करते हुए केंद्रीय नेतृत्व को उनके साथ बातचीत करने की सलाह दी थी। साथ ही यह भी कहा था कि केंद्र सरकार किसानों के साथ बातचीत की पेशकश तो करती है, लेकिन यह बातचीत कब, कहां और किसके साथ होगी, इस बारे में कुछ स्पष्ट नहीं करती। बीरेंद्र सिंह की इस नसीहत के बाद किसान संगठनों में वह लोकप्रियता हासिल करने लगे, लेकिन पार्टी में उन्हें संदेह की निगाह से देखा जाने लगा।

भाजपा की प्रांतीय परिषद की बैठक में भी बीरेंद्र सिंह दिखाई नहीं दिए। वह स्वयं ही नहीं आए या फिर उन्हें बुलाया नहीं गया, इस बारे में पार्टी के प्रदेश स्तरीय नेता कुछ स्पष्ट नहीं कर रहे। बीरेंद्र सिंह उस समय भी चर्चा में आए थे, जब उनके संरक्षण वाले चौधरी छोटू राम विचार मंच के पदाधिकारियों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी के कार्यक्रमों में राज्यसभा सदस्य डा. सुशील गुप्ता के कार्यक्रम में भागीदारी की थी। बीरेंद्र सिंह अक्सर अपने मिजाज की राजनीति करते हैं। वह कभी किसी के दबाव में नहीं रहते। उन्हें जो बात ठीक लगती है, उसे पूरी बेबाकी के साथ कह डालते हैं।

बीरेंद्र सिंह की यही बेबाकी भाजपा में विरोध का कारण बनी है। पार्टी के रणनीतिकारों को कहीं न कहीं लगता होगा कि ओमप्रकाश चौटाला व बीरेंद्र सिंह के बीच बढ़ती नजदीकियां ऐलनाबाद के चुनाव में फायदे के बजाय नुकसान पहुंचा जा सकती हैं, इसलिए उन्हें ऐलनाबाद के रण से दूर रखा गया है। जजपा संयोजक दुष्यंत चौटाला व अध्यक्ष अजय सिंह चौटाला ने भी भाजपा को इस चुनाव से बीरेंद्र सिंह को अलग रखने की सलाह दी है। इसके पीछे जींद में दोनों नेताओं के बीच छत्तीस का आंकड़ा प्रमुख वजह माना जा रहा है। पार्टी द्वारा नजरअंदाज करने के बाद अब बीरेंद्र सिंह का रुख क्या होगा, इस पर सबकी निगाह टिक गई है।

भाजपा के स्टार प्रचारक, जिन पर रहेगा दारोमदार

  1. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़
  2. मुख्यमंत्री मनोहर लाल
  3. प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े
  4. गृह मंत्री अनिल विज
  5. पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा
  6. केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर
  7. केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह
  8. शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर
  9. पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु
  10. पूर्व केंद्रीय मंत्री रतनलाल कटारिया
  11. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला
  12. परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा
  13. महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री कमलेश ढांडा
  14. सहकारिता मंत्री डा. बनवारी लाल
  15. कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी
  16. कृषि मंत्री जेपी दलाल
  17. सिरसा की सांसद सुनीता दुग्गल
  18. खेल राज्य मंत्री स. संदीप सिंह
  19. पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर
  20. पूर्व परिवहन मंत्री कृष्णपाल पंवार

रंजीत चौटाला के न्याय पर संदेह, ओपी यादव पर टेढ़ी निगाह

हरियाणा सरकार ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल की कैबिनेट के दो मंत्रियों चौधरी रंजीत सिंह चौटाला व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री ओमप्रकाश यादव को छोड़कर सभी मंत्रियों को ऐलनाबाद उपचुनाव के लिए दायित्व सौंपा है। राज्य मंत्री अनूप धानक जजपा कोटे से मंत्री हैं, इसलिए उनका नाम भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल नहीं है। रंजीत सिंह चौटाला हालांकि निर्दलीय विधायकों के तौर पर मनोहर कैबिनेट में शामिल हैं, लेकिन बताया जाता है कि इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला के छोटे भाई, अभय सिंह चौटाला के चाचा और दुष्यंत सिंह चौटाला के दादा के नाते पार्टी को लगता है कि रंजीत सिंह ऐलनाबाद में किसी एक जगह पर टिककर न्याय नहीं कर पाते। इसलिए उन्हें स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल करने की बजाय स्वतंत्र छोड़ दिया गया है। ओमप्रकाश यादव को इसलिए सूची में शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि वह पिछले दिनों दक्षिण हरियाणा के आधा दर्जन विधायकों को साथ लेकर बाजरे की खरीद पर मिलने वाली सब्सिडी की राशि में बढ़ोतरी कराने को मुख्यमंत्री के दरबार तक पहुंच गए थे।


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