चुनौती से कम नहीं Lockdown में जरूरतमंदों तक सरकारी राहत पहुंचाना
Lockdown में जनता तक राहत सामग्री पहुंचाना बड़ी चुनौती है। दरअसल प्रशासन के पास न तो अतिरिक्त सरकारी अमला है और न ऐसे कर्मचारी जिनके माध्यम से राशन पहुंचाया जा सके।
जेएनएन, नई दिल्ली। Lockdown के दौरान जरूरतमंदों तक राशन व भोजन पहुंचाना प्रशासन के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। असल में इस संकट की घड़ी में प्रशासन के पास न तो अतिरिक्त सरकारी अमला हैै और न ही ऐसे कर्मचारी जिनके माध्यम से राशन, भोजन पहुंचाया जा सके।
हरियाणा सरकार से जिला स्तर पर एक-एक करोड़ रुपये की आर्थिक मदद आए भी पांच दिन हो गए हैं, मगर प्रशासन को इन पांच दिनों में भी राशन जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए स्वयंसेवियों की जरूरत थी। ऐसे में प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने मोर्चा संभाला और उन्होंने चुने हुए प्रतिनिधियों से लेकर सामाजिक संगठनों के माध्यम से स्वयंसेवियों को राशन वितरण करने के लिए तैयार किया।
स्वयंसेवी संगठनों ने पहले ही बांटनी शुरू कर दी थी राहत सामग्री
स्वयंसेवी संगठनों ने प्रशासन से पहले राहत सामग्री इसलिए भी बांटनी शुरू कर दी थी कि उन्हें खाद्य सामग्री खरीद में किसी मापदंड को नहीं अपनाना था। इसके अलावा प्रशासन को राशन वितरण से पहले पारदर्शी व्यवस्था भी बनानी थी। असल में यह व्यवस्था बनाने में गुरुग्राम, फरीदाबाद जैसे बड़े जिलों में बनाने में ज्यादा समय लगा।
गुरुग्राम में स्वयंसेवी संगठनों से तालमेल कराने में केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह का अहम योगदान रहा तो फरीदाबाद जिला में मंडलायुक्त संजय जून और जिला उपायुक्त यशपाल यादव ने अपने स्तर पर ही यह कार्य पूर्ण कर लिया। सरकारी राशन जरूरतमंदों तक पहुंचाने में देरी के चलते राज्य में कई जिलों की रेडक्रास सोसायटियों के कामकाज पर भी सवाल खड़े कर रही है।
सोसायटी की राज्य स्तरीय वाइसचेयरपर्सन सुषमा गुप्ता ने बेशक कई जिलों में इसके लिए समन्वय बनाया मगर फिर भी राशन वितरण में पांच दिन की देरी को नहीं टाला जा सका। हालांकि इस दौरान जरूरतमंदों के घरों में मौजूदा अपना और स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा दिया गया राशन भी था।
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