मानसेर भूमि अधिग्रहण मामले में कोर्ट में पेश नहीं हुए हुड्डा
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा मानेसर भूमि अधिग्रहण घोटाले में बृहस्पतिवार काे विशेष सीबीआइ कोर्ट में पेश नहीं हुए।
जेएनएन, पंचकूला। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा बृहस्पतिवार को यहां विशेष सीबीआइ अदालत में पेश नहीं हुए। उनकी कोर्ट में आज मानेसर जमीन अधिग्रहण घोटाला मामले में पेशी थी। हुड्डा स्वास्थ्य खराब होने के आधार पर अदालत में पेश नहीं हुए। मेडिकल रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद कोर्ट ने हुड्डा को व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी।
पंचकूला की विशेष सीबीआइ अदालत में आज मानेसर जमीन अधिग्रहण घोटाला मामले में सुनवाई हुई। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सहित अन्य आरोपितों को कोर्ट में पेश होना था। अदालत में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के वकील आरएस चीमा ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मेडिकल रिपोर्ट पेश की।
चीमा ने अदालत को बताया कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा अस्वस्थ्य हैं। मेडिकल रिपोर्ट में बताया गया कि हुड्डा दिल्ली के एम्स में दाखिल हैं। इसके बाद कोर्ट ने मेडिकल ग्राउंड पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी। इस मामले में अदालत में सुनवाई हुई। बता दें कि इस मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत ने हुड्डा सहित 34 लोगों को 16 मार्च को समन जारी किया था। सभी को 19 अप्रैल को अदालत में पेश होने को कहा गया था।
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इससे पहले हाल ही में 12 मार्च को सुप्रीम कोर्ट भी तत्कालीन हुड्डा सरकार की मानेसर भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना को रद कर चुका है। इस केस में हुड्डा के पूर्व प्रधान सचिव एमएल तायल, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के पूर्व मुख्य प्रशासक एसएस ढिल्लों, संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य पूर्व आइएएस छतर सिंह, पूर्व डीटीपी जसवंत, एबीडब्ल्यू बिल्डर्स के अतुल बंसल सहित कई अन्य बिल्डर शामिल हैं।
इन पर आरोप है कि 27 अगस्त 2004 से 27 अगस्त 2007 के बीच निजी बिल्डरों ने हरियाणा सरकार के अज्ञात जनसेवकों के साथ मिलीभगत कर गुरग्राम में मानसेर, नौरंगपुर और लखनौला गांवों के किसानों और भूस्वामियों को सरकार द्वारा अधिग्रहण का भय दिखाकर उनकी करीब 400 एकड़ जमीन औने-पौने दाम पर खरीद ली थी। सितंबर 2015 को भाजपा सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी थी।
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मामले में ईडी ने भी हुड्डा के खिलाफ सितंबर 2016 में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। ईडी ने हुड्डा और अन्य के खिलाफ सीबीआइ की एफआइआर के आधार पर केस दर्ज किया था। सीबीआइ ने 2 फरवरी को इस केस में 80 हजार पेजों की चार्जशीट कोर्ट में पेश की थी। आरोप है कि हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान करीब 900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर उसे बिल्डर्स को औने-पौने दाम पर बेच दिया गया।