हुड्डा बोले- फरिश्तों की तरह काम कर रहे कच्चे और पक्के कर्मचारी, मिलेे प्रोत्साहन
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में पक्के कर्मचारी होंं या कच्चे सभी लड़ रहे हैं। इन्हें प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कोरोना वायरस के विरुद्ध जंग में उतरने वाले प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मियों, शहरी निकाय कर्मियों, और पुलिस कर्मियों की पीठ ठोकी है। हुड्डा ने कहा कि कोरोना के विरुद्ध कच्चे और पक्के कर्मचारी मिलकर बिना किसी भेदभाव और बिना किसी हिचक के जी जान से लड़ाई लड़ रहे हैं। प्रदेश सरकार को चाहिए कि जिस तरह स्वास्थ्य कर्मियों का वेतन बढ़ाकर उनका हौसला बढ़ाया गया है, उसी तरह से शहरी निकाय और पुलिस विभाग के कर्मचारियों को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इस प्रोत्साहन का लाभ डीसी रेट और ठेके पर लगे कर्मचारियों को भी मिले।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार के यह कर्मचारी और अधिकारी तथा डाक्टर इंसान नहीं बल्कि फरिश्ते हैं। बिना छुट्टी और बिना आराम किए दिन-रात काम करने वाले इन कोरोना योद्धाओं को हम जितना प्रोत्साहन दे सकें, उतना ही कम है। हुड्डा ने मीडियाकर्मियों के काम को भी सराहा। उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की तरह मीडियाकर्मी भी कोरोना योद्धाओं की श्रेणी में शामिल हैं। कोरोना के बारे में पल-पल की ख़बर लोगों तक पहुंचाने और जागरुकता फैलाने के लिए तमाम मीडियाकर्मी आज भी सड़कों और दफ्तरों में 24 घंटे काम कर रहे हैं, इसलिए सरकार इन मीडिया कर्मियों की भी चिंता करते हुए उन्हें प्रोत्साहित करे।
हुड्डा ने प्राइवेट डॉक्टरों से अपील की है कि वे अपने क्लीनिक खोलें। उनके क्लीनिक बंद करने से मरीजों का सारा दबाव सरकारी अस्पतालों पर आ गया है, जो कि पहले से कोरोना के चलते ओवरलोड हैं। इसलिए तमाम प्राइवेट डॉक्टर अपनी सेवाओं को जारी रखें। कोरोना के अलावा बाकी बीमारियों के इलाज में उनका अहम योगदान हो सकता है। हुड्डा ने सरकार से अपील की है कि वे तमाम सरकारी डॉक्टरों के साथ प्राइवेट डॉक्टरों को भी कोरोना की सेफ्टी किट मुहैया करवाएं, ताकि वह संक्रमण से बच सकें।
हुड्डा ने प्राइवेट स्कूलों से अपील करते हुए कहा कि लॉकडाउन की छुट्टियों के दौरान अभिभावकों को फ़ीस वसूली में रियायत दी जाए। जो स्कूल ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं, सरकार को उन स्कूलों की मदद करनी चाहिए, ताकि अभिभावकों पर फ़ीस का बोझ न पड़े।
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