सज गया जींद का रण और आमने-सामने लड़ाके, तरकश से निकलेंगे में एक से बढ़ कर एक तीर
जीेंद विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए रण का मैदान सज चुका है। सभी दलों के याेद्धा एक-दूसरे के सामने आ गए हैं। चुनावी साल में सेमीफाइनल सरीखे इस मुकाबले में एक से बढ़ कर एक तीर चलेंगे।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। चुनावी वर्ष में जींद सीट का उपचुनाव सेमीफाइनल मुकाबले सरीखा हो गया है। इसके लिए रण सज चुका है और सभी दलों के यौद्धा आमने-सामने आ गए हैं। जिस तरह कांग्रेस ने रणदीप सिंह सुरजेवाला सरीखे दिग्गज को मैदान में उतारा है, उससे साफ है कि इस चुनावी जंग में एक से बढ़कर एक तीर तरकश से निकलेंगे। जाट-बांगर बेल्ट जींद के चुनावी रण में राजनीतिक दलों ने जातिगत कार्ड खेलने के साथ ही उम्मीदवारों की छवि को खास अहमियत दी है।
जाट-बांगर बेल्ट में तीन जाट और दो गैर जाट उम्मीदवारों से रोचक होगा मुकाबला
सत्तारूढ़ भाजपा ने जहां पंजाबी कार्ड खेला है, वहीं कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी और इनेलो ने जाट कार्ड खेलते हुए साफ-सुथरी छवि के उम्मीदवारों पर दांव लगाया है। जाट बहुल जींद में तीन-तीन जाट उम्मीदवार सत्तारूढ़ भाजपा के लिए राहत देने वाले हो सकते हैं, मगर भाजपा की राह उतनी भी आसान नहीं है, जितना दावा किया जा रहा है।
चुनाव नहीं लडऩे के बावजूद असरदार रहेंगे मांगेराम गुप्ता और बलजीत सिंह रेढू
जींद में चुनाव नहीं लड़ने के बावजूद पूर्व मंत्री मांगेराम गुप्ता और कांग्रेस नेता बलजीत सिंह रेढू चुनाव नतीजों को प्रभावित कर सकते हैैं। मांगेराम को सभी राजनीतिक दल टिकट देना चाहते थे और बलजीत रेढू कांग्रेस के दावेदारों में शामिल थे। मांगेराम गुप्ता चार बार यहां से विधायक रह चुके हैैं, जबकि बलजीत रेढू लक्ष्य मिल्क प्लांट के मालिक हैं और उनका जाटों के साथ-साथ हर बिरादरी में अच्छा खासा रसूख है।
भाजपा ने जींद में दिवंगत इनेलो विधायक डाॅ. हरिचंद मिड्ढा के बेटे कृष्ण मिड्ढा पर दांव लगाकर पंजाबी कार्ड खेला है। कांग्र्रेस ने कैथल से विधायक एवं मीडिया विभाग के संयोजक रणदीप सिंह सुरजेवाला के रूप में दमदार उम्मीदवार जींद को दिया है। रणदीप का जाटों के साथ-साथ अन्य बिरादरियों व युवाओं में खूब असर है।
पहली बार चुनावी रण में उतर रही जननायक जनता पार्टी ने युवा नेता दिग्विजय सिंह चौटाला पर दांव खेला है। जाट कार्ड खेलने के साथ-साथ दिग्विजय की युवाओं व गांवों में मजबूत पकड़ है। उनके सांसद भाई दुष्यंत चौटाला का यहां पूरा असर है। इनेलो आरंभ में हालांकि अभय चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला को टिकट देना चाहती थी, मगर परिवारवाद के आरोपों से बचने के लिए कंडेला खाप के स्थानीय प्रतिनिधि उम्मेद सिंह रेढू पर दांव खेला गया है।
भाजपा के बागी सांसद राजकुमार सैनी अपनी अलग लोकतंत्र रक्षा पार्टी बना चुके हैैं। उन्होंने ब्राह्मण विनोद आश्री को जींद उपचुनाव में अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। बृहस्पतिवार को नामांकन का आखिरी दिन होने के बाद अब सभी राजनीतिक दलों ने अपनी जीत के लिए किलेबंदी तेज कर दी है।
रणदीप सुरजेवाला के नामांकन में कांग्रेस के तमाम दिग्गज जहां जींद पहुंच गए, वहीं भाजपा सरकार के मंत्रियों व नीति निर्धारकों ने मोर्चा संभाल लिया है। यही स्थिति जननानयक जनता पार्टी व इनेलो की है। आने वाले समय में धीरे-धीरे यह चुनाव रोचक होता जा रहा है और पूरे देश की निगाह इस पर टिक गई है।