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हरियाणा में HCS के 15 व डेंटल सर्जन की भर्ती के 17 उम्मीदवारों से हुई थी अनिल नागर की सेटिंग, जानें पूरा मामला

हरियाणा स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने अपनी जांच में कुल 32 उम्मीदवारों से नौकरी के लिए सेटिंग का खुलासा किया है। इनसे अनिल नागर ने सेटिंग की थी। HCS प्री-एग्जाम में पांच उम्मीदवार और 13 डेंटल सर्जन के एग्जाम भी क्लीयर हो चुके थे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 10:20 AM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 01:31 PM (IST)
हरियाणा में HCS के 15 व डेंटल सर्जन की भर्ती के 17 उम्मीदवारों से हुई थी अनिल नागर की सेटिंग, जानें पूरा मामला
हरियाणा विजिलेंस टीम एचसीएस अनिल नागर व अन्‍य आरोपिताें को ले जाती हुई। फाइल फोटो जागरण

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने जिस HCS अधिकारी अनिल नागर को बर्खास्त किया है, वह पैसे लेकर पेपर पास कराने व नौकरियों में पैसे लेने का मास्टर माइंड था। इस काम के लिए उसने भिवानी के नवीन और झज्जर के अश्विनी शर्मा को अपने साथ ले रखा था। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने इन तीनों द्वारा 32 नौकरियों में सेटिंग की बात का पता लगाया है। अनिल नागर ने HCS प्री-एग्जाम क्लीयर करवाने के लिए 15 उम्मीदवारों से सेटिंग की थी। इनमें से पांच के नाम पेपर पास करने वालों की सूची में शामिल हैं।

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इसी तरह, डेंटल सर्जन की नौकरी के लिए 17 उम्मीदवारों से पैसे की सौदेबाजी हुई थी। इनमें भी 13 उम्मीदवारों के नाम पेपर पास करने वालों की लिस्ट में शामिल हैं। हरियाणा लोक सेवा आयोग में उपसचिव के पद पर कार्यरत रहा बर्खास्त HCS अधिकारी अनिल नागर और अश्विनी शर्मा मिलकर पेपरों की ओएमआर शीट में गड़बड़ करते थे। 22 नवंबर को विजिलेंस ने सर्च के दौरान अनिल नागर के दफ्तर से ओएमआर शीट भी बरामद की है।

हरियाणा सरकार द्वारा जारी किए गए अनिल नागर के बर्खास्तगी आदेश में इस पूरे घटनाक्रम के अहम बिंदुओं का उल्लेख किया गया है। इन तीनों ने विजिलेंस व पुलिस की पूछताछ के दौरान डेंटल सर्जन और HCS प्री-एग्जाम के नाम पर न सिर्फ सेटिंग करने, बल्कि ओएमआर शीट में गड़बड़ करने की बात भी स्वीकार की है। मुख्य सचिव संजीव कौशल की ओर से जारी बर्खास्तगी आदेश में हरियाणा सरकार ने माना है कि अनिग नागर की इस कारगुजारी की वजह से प्रदेश के आम लोगों की नजरों में सरकार की छवि पर विपरीत असर पड़ा है।

स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने हिसार के उकलाना के रहने वाले नरेंद्र की शिकायत पर 17 नवंबर को भ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम सहित विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया। एफआइआर में स्पष्ट है कि 29 सितंबर को हरियाणा लोकसेवा आयोग (एचपीएससी) द्वारा डेंटल सर्जन की भर्ती के लिए ली गई लिखित परीक्षा में सेटिंग की गई। इस मामले में भिवानी के नवीन और झज्जर के अश्विनी शर्मा के तार भी HCS अनिल नागर के साथ जुड़े पाए गए।

इस तरह से पकड़ में आया नौकरियों में पैसे लेने वाला यह रैकेट

स्टेट विजिलेंस को जांच में पता चला कि सोमबीर नाम के एक व्यक्ति ने जान-पहचान वाले की मदद ने डेंटल सर्जन पद के लिए भिवानी के नवीन से संपर्क किया था। नवीन ने डेंटल सर्जन के लिए प्रति उम्मीदवार का रेट बताया। साथ ही, यह शर्त भी लगाई कि उम्मीदवार प्रदेश के किसी भी सांसद या विधायक का परिचित या नजदीकी नहीं होना चाहिए। फिर सोमबीर ने दो उम्मीदवारों के नाम नवीन को दिए। इनमें से एक उम्मीदवार ने काफी सारे प्रश्नों के उत्तर ओएमआर शीट पर में भर दिए थे। ऐसे में कहा गया कि इस स्थिति में ओएमआर शीट में बदलाव नहीं हो सकता। दलबीर नाम के एक उम्मीदवार का नाम रिजल्ट लिस्ट में आने के बाद नवीन ने पैसों की डिमांड की। सोमबीर ने मोल-भाव करने के बाद नवीन को 20 लाख रुपये दे दिए। सोमबीर ने नवीन के साथ हुई यह पूरी बातचीत रिकार्ड कर ली। इसके बाद शिकायतकर्ता नरेंद्र ने इस पूरे मामले में स्टेट विजिलेंस ब्यूरो को शिकायत की। साथ ही, इसके तथ्य भी सौंपे गए। विजिलेंस ब्यूरो ने जाल बिछाया और नवीन को 20 लाख रुपये लेते हुए पकड़ लिया।

हरियाणा लोक सेवा आयोग के दफ्तर में लिए थे नागर ने पैसे

हरियाणा के मुख्य सचिव की ओर से जारी HCS अनिल नागर के बर्खास्तगी आदेश में यह भी जानकारी दी गई कि डेंटल सर्जन की परीक्षा पास कराने के लिए पैसों की डिलीवरी पंचकूला स्थित हरियाणा लोक सेवा आयोग के दफ्तर में हुई थी। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने जब अनिल नागर और भिवानी के नवीन से पूछताछ की तो झज्जर के अश्विनी शर्मा को गिरफ्तार किया गया। उसके घर से एक करोड़ सात लाख 90 हजार रुपये नकद भी बरामद हुए।

पूछताछ में अश्विनी ने बताया कि डेंटल सर्जन की लिखित परीक्षा में पास कराने की एवज में लिया गया पूरा पैसा एचपीएससी के उपसचिव अनिल नागर को सौंपा जाना है। विजिलेंस की टीम के सामने ही अश्विनी ने पैसों की डिलीवरी के लिए अनिल नागर से फोन पर बात की। इस बातचीत की रिकार्डिंग भी विजिलेंस के पास मौजूद है। अनिल नागर ने अश्विनी नागर को यह पैसा एचपीएससी के पंचकूला स्थित दफ्तर में डिलीवर करने को कहा। नागर ने जब अश्विनी से यह पैसा लिया तो विजिलेंस ने उसे गिफ्तार कर लिया। अनिल नागर के घर से 12 लाख रुपये नकद बरामद किए गए। नागर से पूछताछ में खुलासा हुआ तो उसके करीबी से दो करोड़ 10 लाख रुपये बरामद किए गए। इस मामले में विजिलेंस को कुल तीन करोड़ पांच लाख रुपये की बरामदगी हुई है।

विजिलेंस को मिली HCS प्री-एग्जाम के उम्मीदवारों की हाथ से लिखी लिस्ट

स्टेट विजिलेंस ब्यूरो प्रमुख शत्रुजीत कपूर और सीआइडी चीफ आलोक कुमार मित्तल ने मुख्यमंत्री से अनुमति लेने के बाद पूरे रैकेट को पकड़ने के लिए जाल बिछा दिया। पूछताछ के दौरान HCS प्री-एग्जाम के उम्मीदवारों की हाथ से लिखी हुई एक लिस्ट विजिलेंस ने अनिल नागर के पर्स से बरामद की। तमाम तहकीकात के बाद विजिलेंस इस नतीजे पर पहुंची कि नौकरियों के लिए पेपर पास करवाने के इस मामले का असली मास्टर माइंड अनिल नागर ही था। पुलिस रिमांड के दौरान यह बात सामने आई कि अनिल नागर पूरा प्लान बनाता था। इसे सिरे चढ़ाने के लिए अश्विनी शर्मा को ओएमआर शीट स्कैनिंग के लिए रखा गया। अश्विनी ने इस मामले में नवीन से बात की और नवीन ने उम्मीदवारों से संपर्क साधा। अधिकतर पैसा अनिल नागर को मिलता था। नवीन को इसमें से कुछ हिस्सा जाता था, जबकि अश्विनी का यह लालच था कि इसकी एवज में उसे आगे भी काम मिलता रहेगा।


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