साले सुशांत सिंह राजपूत का गम और पत्नी की चिंता, पढ़ें हरियाणा की अंदर की और भी खबरें
कई ऐसी खबरें होती हैं जो अक्सर सुर्खियां नहीं बन पाती। आइए हरियाणा के साप्ताहिक कालम ताऊ की वेबसाइट के जरिये कुछ ऐसी ही खबरों पर नजर डालते हैं।
चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा के मुख्यमंत्री कार्यालय में ओएसडी रह चुके, फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर ओपी सिंह को पहले दिन से पता था कि उनके साले अभिनेता सुशांत राजपूत की जिंदगी में उथल-पुथल चल रही है। सुशांत की बहन यानी ओपी सिंह की पत्नी रानी भी जानती थी कि उनके भाई की जिंदगी में सब कुछ ठीक नहीं है।
सिंह ने सुशांत को वाट्सएप मैसेज कर उनकी हरसंभव मदद करने का भरोसा भी दिया और मुंबई पुलिस को सुशांत की बेचैनी से अवगत कराते हुए उसका सहयोग करने का अनुरोध भी किया, लेकिन पुलिस तो पुलिस ठहरी। उसे न कुछ करना था, न उसने किया। एक सीनियर आइपीएस अधिकारी के साले का मामला होने के बावजूद हाथ पर हाथ धरे बैठी रही, शायद जानबूझ कर। काफी दिनों तक ओपी सिंह चुप रहे, लेकिन अब उनसे अपने परिवार की पीड़ा देखी नहीं जाती और वह जल्द ही नए अवतार में नजर आ सकते हैं।
अपने बल पर राज करने वाले कुंडू
भाजपा से बगावत कर रोहतक के महम से निर्दलीय चुनाव जीते क्रांतिकारी विधायक बलराज कुंडू के तेवर तीखे होते जा रहे। रोहतक से विधायक रह चुके पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर के साथ उनका छत्तीस का आंकड़ा है। दोनों के बीच पिछले दिनों भ्रष्टाचार को लेकर खूब विवाद हुआ। ग्रोवर ने कुंडू के खिलाफ मानहानि का मुकदमा किया। अदालत ने खारिज कर दिया। किसी परिवार में कोई हादसा हो या खुशी, कुंडू उसमें शरीक होना नहीं भूलते।
जरूरतमंद परिवारों की आर्थिक मदद तक करते हैं। अब बरोदा उपचुनाव सिर पर है। भाजपा ने प्रांतीय महामंत्री एवं करनाल के सांसद संजय भाटिया को चुनाव प्रभारी लगाया तो कुंडू ने भरी जनसभा में सवाल खड़े कर दिए। कुंडू के सवालों का असर यह हुआ कि भाजपा को उपचुनाव का प्रभारी बदलना पड़ गया। अब कृषि मंत्री जेपी दलाल को चुनाव का प्रभार दे दिया गया। इसको ही कहते हैं, बात में दम होना।
गाय नहीं दे रही गाढ़ा दूध
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) को सरकार की दुधारू गाय कहा जाता है। राज किसी का भी हो, यह गाय हमेशा गाढ़ा दूध देती है। अगर मुख्य प्रशासक यानी गाय को दुहने वाला अधिकारी अनुभवी है तो गाय लात नहीं मारती। अगर अनुभव कम है तो न केवल दूध कम उतरता है, बल्कि कम गाढ़े दूध से न तो ठीक से मिठाई बन पाती है और न ही खीर। आज तक जितने भी मुख्य प्रशासक बने, वह एक समय सीमा के बाद रुखसत कर दिए जाते रहे। जरूरी फाइलें निकालने के चक्कर में जब वे अपनी फाइलें निकालना शुरू कर देते हैं तो समझो विदाई तय है। मौजूदा मुख्य प्रशासक आजकल डर-डर कर काम कर रहे हैं। किसी भी तरह की आपदा से बचने के लिए उन्होंने सारी फाइलें होल्ड पर डालनी शुरू कर दी। इसे कहते हैं, बीच का रास्ता। जब कोई फाइल ही नहीं निकलेगी तो डर कैसा।
सरकार तो छोटा भगवान होती है
सरकार की ताकत क्या होती है, सभी जानते हैं। हुआ यूं कि हरियाणा वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के चेयरमैन नयनपाल रावत के कार्यालय में उनके हलके के नजदीक का कोई व्यक्ति काम के लिए आया। रावत ने काम पूछा और अधिकारी को फोन लगा दिया। हो सकता है कि अधिकारी ने कुछ आनाकानी की हो। उनके हाव-भाव देखकर कार्यकर्ता समझ गया। रावत से बोला कि साहब, इन अफसर महोदय को यह समझाओ कि सरकार छोटा भगवान होती है। बड़े भगवान तो जो करते हैं, सो करते ही हैं, लेकिन छोटे भगवान चाह ले तो यह हो ही नहीं कि वह काम रुक जाए। रावत ने अधिकारी को फोन होल्ड कराया और उसे कार्यकर्ता की बात सुनाई। रावत के इस अंदाज में हंसी ठिठोली भी छिपी थी और अफसर को संदेश भी छिपा था। थोड़ी देर बात पता चला कि काम हो गया और छोटी सरकार की ताकत भी रेखांकित हो गई।