पुराने दोस्तों में फिर तकरार, शिअद को इनेलो की चुनौती से सियासी गर्मी
कभी राजनीतिक दोस्त रहे इनेलो आैर शिअद संबंधों में तल्खी आने के बाद एक बार फिर अामने-सामने हैं। इनेलो नेता अभय चौटाला द्वारा शिअद को चुनौती देने से राजनीति गर्मा गई है।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा के दो दल कभी मित्र थे और उनके नेताओं में सियासी रिश्ते के संग करीबी पारिवारिक संबंध भी थे। लेकिन, आज वे एक-दूसरे के खिलाफ खड़े दिख रहे हैं। हम बात कर रहे हैं इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और श्ािरोमणि अकाली दल (शिअद) की। दाेनों दलों में एसवाईएल नहर पर तकरार और संबंध विच्छेद हुआ था। अब इसी मुद्दे पर इनेलाे ने शिअद को ऐसी चुनौती दे दी है कि सियासी माहौल गर्मा गया है।
इनेलो नेता हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला ने हरियाणा की राजनीति में सक्रिय हाेने की तैयारी कर रहे शिअद नेताओं को एसवाईएल पर स्टैैंड स्पष्ट करने की चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि किसी राजनीतिक दल को किसी भी प्रदेश में चुनाव लड़ने का हक है, लेकिन शिअद ने हमेशा एसवाईएल पर हरियाणा के हितों के विपरीत बात की। ऐसे में उसे हरियाणा में राजनीति करने से पहले एसवाईएल पर अपनी स्थिति साफ करनी चाहिए।
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चौटाला ने चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बादल परिवार के साथ हमारे पारिवारिक संबंध आज भी हैैं, लेकिन राजनीतिक संबंध हम काफी पहले तभी तोड़ चुके हैं। जब पंजाब में अकाली सरकार ने एसवाईएल पर हरियाणा के हितों पर कुठाराघात किया था, हमने उसी समय शिअद से संबंध तोड़ लिया है।
इनेलो नेता अभय चौटाला ने अकाली नेताओं पर बोला हमला
चौटाला ने कहा कि पूर्व में इनेलो ने भले ही अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड़े, लेकिन वर्तमान में दोनों दलों की राजनीतिक राह अलग है। राजनीतिक विकल्प खुले रखते हुए उन्होंने कहा कि अगर अकाली दल एसवाईएल का पानी हरियाणा को दिलवाने के लिए इनेलो द्वारा शुरू की गई लड़ाई में समर्थन करेगा तो फिर साथ पर विचार किया जा सकता है।
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बता दें कि शिअद अध्यक्ष और पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने पिछले दिनों हरियाणा की राजनीति में अकेले सक्रिय होेने और पार्टी के अपने बलबूते पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। इससे पहले शिअद हरियाणा में इनेलो के साथ मिलकर कुछ सीटों पर चुनाव लड़ता था। सुखबीर ने हरियाणा में होनेवाले नगर निगम चुनाव में भी उतरने के संकेत दिए थे। इसके बाद दाेनों राज्यों की राजनीति में हल्की ही सही, लेकिन हलचल शुरू हो गई थी।
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