जाट आंदोलनः हरियाणा सरकार के 90 अफसर थे जातीय हिंसा में शामिल
हरियाणा में जाट आंदोलन के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए बनी प्रकाश सिंह समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी है।
चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो। हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में अफसरों की भूमिका की जांच के लिए गठित प्रकाश सिंह कमेटी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट मे कहा गया कि 90 ऐसे अधिकारी थे जिन्होंने अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं किया और हरियाणा को जातीय हिंसा की आग में जलने के लिए छोड़ दिया।
71 दिन में तैयार हुई सौ पेज की इस जांच रिपोर्ट में जहां पुलिस में प्रशासनिक अधिकारियों की जातीय हिंसा में भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं वहीं हरियाणा पुलिस को किसी भी चुनौती का सामना करने में नाकाबिल करार दिया गया है।
रिपोर्ट में प्रकाश सिंह ने पुलिस सुधार के उपाय तुरंत प्रभाव से करने की सलाह सरकार को दी है। उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की तीन सदस्यीय कमेटी ने शुक्रवार सुबह करीब 11:00 बजे सीएम के प्रधान सचिव आर के खुल्लर और गृह सचिव पीके दास से मुलाकात करने के बाद मुख्यमंत्री को अपनी यह रिपोर्ट सौंपी है।
ये रिपोर्ट दो हिस्सों में है इसमें 40 पेज बेहद गोपनीय है जिनमें सीआईडी तथा अन्य गुप्तचर एजेंसियों की विफलताओं का विस्तार से खुलासा किया गया है।
पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा कि जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हरियाणा के पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी जातिवाद में पूरी तरह से जकड़े हुए थे और उन्होंने लोगों को जातीय हिंसा में बचाने की बजाय खुद की हिफाजत करना अधिक जरुरी समझा।
प्रकाश कमेटी ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट में माना है कि पुलिस अफसरों और प्रशासनिक अधिकारियों ने बातचीत के दौरान यह स्वीकार करने में कोई गुरेज नहीं किया कि वह अपनी जान बचाने के लिए मौका छोड़ कर भाग खड़े हुए थे।
प्रकाश कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में करीब आधा दर्जन पुलिस अधिकारियों में प्रशासनिक अफसरों की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए उन अवसरों की पीठ ठोकी है जिन्होंने जातीय हिंसा को नियंत्रण करने के प्रयास में अहम भूमिका निभाई । ऐसे अफसर जहां भी दंगा हुआ वहां मौके पर खड़े नजर आए । प्रकाश कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यदि पुलिस सुधार नहीं हुआ तो भविष्य में राज्य पुलिस किसी चुनौती का सामना नहीं कर पाएगी।
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