जाट आंदोलन में हरियाणा में हिंसा फैलाने के 308 केस होंगे वापस
हरियाणा में जाट आंदोलन के दौरान फैली हिंसा में दर्ज 308 मुकदमों को वापस लेने की सरकार ने सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान कर दी है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार भले ही अभी तक जाटों समेत छह जातियों के आरक्षण में आ रही कानूनी बाधाओं को दूर नहीं करा पाई है, लेकिन अपने वादे के मुताबिक दो साल पहले जाट आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की तैयारी शुरू कर दी गई है।
जिला उपायुक्तों की अनुशंसा के बाद राज्य सरकार ने 308 मुकदमे वापस लेने की सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान कर दी है। बता दें, फरवरी 2016 में आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में 31 लोग मारे गए थे और करीब 800 करोड़ रुपये की सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हुआ था।
हरियाणा के महाधिवक्ता और लीगल रिमेंबरेंसर (एलआर) कार्यालयों को इन मुकदमों के वापस लेने पर कोई आपत्ति नहीं है। हरियाणा सरकार ने मुकदमे वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने को लेकर जिला उपायुक्तों को निर्देश जारी कर दिए हैं। यह केस जिला स्तरीय अदालतों में चल रहे हैैं। इसलिए जिला न्यायवादियों (डिस्ट्रिक्ट अटार्नी) की ओर से पैरवी करते हुए सभी केस वापस लेने की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा।
हालांकि अंतिम फैसला अदालत पर निर्भर करेगा, लेकिन पूर्व का इतिहास बताता है कि जिला न्यायवादियों की पैरवी के बाद ऐसे केस वापस होने में खास दिक्कत नहीं आती। सीआरपीसी की धारा 321 के तहत सरकार को यह अधिकार प्राप्त है कि वह किसी भी मामले में अभियुक्त के खिलाफ केस वापस ले सकती है। इसी धारा के तहत जाटों को राहत देने की तैयारी है। इस बारे में अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक को भी अवगत करा दिया गया है। कानूनी राय के बाद अब अगली प्रक्रिया जिलों में पूरी होगी।
वहीं आंदोलन प्रभावित जिलों में उपायुक्तों ने सात केस सरकार के पास ऐसे भेजे, जिनमें सीबीआइ सीधे तौर पर शामिल है और इन्हें वापस लेना जिला उपायुक्तों अथवा जिला अटार्नी के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। इस बारे में राज्य सरकार को सूचना भेज दी गई है। जो मामले सीबीआइ में चल रहे हैैं, उनमें सरकार के हाथ बंधे हुए हैैं।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा सरकार हालांकि कई बार पहले भी जाटों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का एलान कर चुकी है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की 15 फरवरी की जींद रैली के दौरान भी सरकार ने 822 आंदोलनकारियों पर दर्ज 70 मुकदमे वापस लेने का एलान किया था। वहीं गृह विभाग ने पहली खेप में 137, दूसरी में 81 और तीसरी खेप में 180 मुकदमे वापस लेने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए जिला उपायुक्तों से आवश्यक कार्यवाही करने को कहा था।
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