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हरियाणा की अफसरशाही को अब समझ में आया ध्वजारोहण और राष्‍ट्रीय ध्वज फहराने में अंतर

Haryana Republic Day 2021 हरियाणा में अफसरशाही को इतने दिन के बाद समझ में आया है कि ध्‍वजारोहण और राष्‍ट्रीय ध्‍वज फहराने में अंतर है। इस मामले में त्रुटि सामने लाने के बाद हरियाणा सरकार ने आदेश जारी किया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 26 Jan 2021 02:16 PM (IST)Updated: Tue, 26 Jan 2021 02:16 PM (IST)
हरियाणा की अफसरशाही को अब समझ में आया ध्वजारोहण और राष्‍ट्रीय ध्वज फहराने में अंतर
हरियाणा में सरकारी पत्रों में ध्‍वजारोहण की जगह राष्‍ट्रीय ध्‍वज फहराना लिखा जाएगा। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में अफसरशाही को आखिर ध्वजारोहण और राष्ट्रीय ध्वज फहराने में अंतर समझ आ गया है। कई वर्षों से गणतंत्र दिवस पर जारी सरकारी पत्रों में ध्वजारोहण ही लिखा जा रहा था। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत ने राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य, मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री मनोहर लाल और मुख्य सचिव विजय वर्धन को ई-मेल कर उनके संज्ञान में यह मामला लाया था। इसके बाद त्रुटि को दुरुस्त कर लिया गया।

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गणतंत्र दिवस पर वर्षों से सरकारी पत्र में किया जाता रहा ध्वजारोहण का उल्लेख

गणतंत्र दिवस के संशोधित कार्यक्रमों के जारी पत्र के साथ ही बीती 22 और 23 जनवरी को जारी शासकीय पत्रों में राष्ट्रीय ध्वज फहराने का उल्लेख किया गया। इससे पहले 8 जनवरी को जारी मूल पत्र और उसमें प्रथम संशोधन करने पर 12 जनवरी को जारी पत्र में ध्वजारोहण का उल्लेख किया गया था।

एडवोकेट हेमंत ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया मामला, अब हुआ सुधार

दरअसल ध्वजारोहण और ध्वज फहराने में अंतर है। 15 अगस्त 1947 के दिन देश को आजादी मिली थी। उस दिन ब्रिटिश झंडे (यूनियन जैक) को नीचे उतारकर भारतीय ध्वज तिरंगे को ऊपर चढ़ाकर फहराया गया। झंडे को नीचे से ऊपर ले जाकर फहराने की इस प्रक्रिया को ध्वजारोहण कहते हैं। इसलिए 15 अगस्त को ध्वजारोहण किया जाता है। वहीं, 26 जनवरी 1950 को हमारा संविधान लागू हुआ था। इसलिए उस दिन पहले से ऊपर बंधे झंडे को केवल फहराया जाता है। इस प्रकार दोनों में अंतर होता है.

एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि वर्ष 1974 से पहले हर वर्ष 15 अगस्त और 26 जनवरी को सरकारी समारोहों में केवल प्रदेश के राज्यपाल ही ध्वजारोहण एवं राष्ट्रीय ध्वज फहराते थे। तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि ने फरवरी 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर मांग की थी कि जिस तरह प्रधानमंत्री 15 अगस्त को लाल किले पर ध्वजारोहण करते हैं, वैसे ही मुख्यमंत्रियों को भी अपने प्रदेशों में ऐसा करने की अनुमति मिलनी चाहिए। इसके बाद केंद्र सरकार ने यह व्यवस्था बनाई कि गणतंत्र दिवस पर राज्यपाल राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे, जबकि स्वतंत्रता दिवस पर राज्यों के मुख्यमंत्री ध्वजारोहण करेंगे।


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