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Dera Violence: हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा- पंचकूला में धारा 144 लगी थी तो इतनी भीड़ कैसे जुटी

बेंच ने पूछा कि जब धारा-144 लगी थी तो पंचकूला में तीन दिनों में हजारों डेरा अनुयायी कैसे एकत्रित हो गए थे। इससे साफ है कि सरकार धारा-144 को लागू करने में पूरी तरह से नाकाम रही।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 04 Feb 2020 07:11 PM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 09:08 AM (IST)
Dera Violence: हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा- पंचकूला में धारा 144 लगी थी तो इतनी भीड़ कैसे जुटी

जेएनएन, चंडीगढ़। साध्वी यौनशोषण मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह को दोषी करार दिए जाने के बाद पंचकूला में हुए हिंसा प्रकरण में दायर याचिका पर मंगलवार को हाई कोर्ट की फुल बेंच के सामने सुनवाई हुई। जस्टिस राजीव शर्मा, जस्टिस आरके जैन एवं जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने पूछा कि जब धारा-144 लगी थी तो पंचकूला में तीन दिनों में हजारों डेरा अनुयायी कैसे एकत्रित हो गए थे। इससे साफ है कि सरकार धारा-144 को लागू करने में पूरी तरह से नाकाम रही।

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फुल बेंच ने कहा कि एक तरफ सरकार कह रही है कि यह लोग शांतिपूर्वक एकत्रित हुए थे। अगर शांतिपूर्वक बैठे थे तो धारा 144 लगाने की क्या जरूरत थी, वहीं लगाने के बाद इसे सख्ती से लागू क्यों नहीं किया गया। कोर्ट ने पूछा कि तीन दिन तक किसने इनको खाना उपलब्ध करवाया।

इस पर हरियाणा के एडवोकेट जनरल बीआर महाजन ने कहा कि यह लोग शांतिपूर्वक बैठे थे, लेकिन इनकी संख्या ज्यादा होने के कारण सरकार ने किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए धारा 144 लगाई थी। जैसे ही भीड़ उग्र हुई तो उस पर तत्काल नियंत्रण पा लिया गया। महाजन ने कहा कि यह आरोप गलत है कि डेरा प्रेमियों को सरकार की ओर से खाना दिया जा रहा था। इनको खाना डेरा पंचकूला की तरफ से दिया गया था।

सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र अनुपम गुप्ता ने कहा कि उस दौरान सरकार ने डेरा समर्थकों के समक्ष पूरी तरह से समर्पण कर दिया था। सरकार की नाकामी के कारण ही तोडफ़ोड़, आगजनी और हिंसा हुई थी। पंचकूला में डेरा समर्थक सरकार से अपनी किसी मांग को लेकर नहीं जुटे थे, यह जुटे थे न्यायपालिका पर दबाव बनाने के लिए। इसीलिए जब फैसला डेरा मुखी के विरुद्ध आया तो इन्होंने हिंसक होते हुए तोडफ़ोड़ और आगजनी की।

हिंसा में हुई सरकारी और निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई किससे की जाए, हाई कोर्ट अब इस मुद्दे पर सभी पक्षों से दलीलें सुन रहा है। अनुपम गुप्ता ने कहा कि इस पूरे मामले में सरकार की नाकामी ही सामने आई है, इसलिए नुकसान के लिए सरकार अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती। समय की कमी के कारण हाई कोर्ट ने सुनवाई 18 फरवरी तक स्थगित कर दी।

मामले की सुनवाई के दौरान वकील मोहिंदर जोशी ने कहा कि पंचकूला में दंगे डेरा मुखी के इशारे पर हुए थे। अब तो इसके कई सबूत भी सामने आ चुके हैं। ऐसे में इन दंगों को लेकर पंचकूला में जितनी भी एफआइआर दर्ज की गई हैं उन सभी में डेरा मुखी को भी नामजद किया जाए। इस पर हाई कोर्ट ने वकील जोशी को कहा कि तुसी इस केस न मुक्कन नहीं देना। इसके बाद हाई कोर्ट ने कोर्ट मित्र को पक्ष रखने का आदेश दिया।

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