हड़ताल पर रहे डॉक्टर, रिटायर्ड डॉक्टर्स ने संभाला मोर्चा
नागरिक अस्पताल सेक्टर 6 में वीरवार को डॉक्टरों के हड़ताल के कारण मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ी।
जासं, पंचकूला : नागरिक अस्पताल सेक्टर 6 में वीरवार को डॉक्टरों के हड़ताल के कारण मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन आने वाले 4500 से अधिक मरीजों के लिए आये, तो अस्पताल के दरवाजे तक बंद थे। हड़ताल के कारण स्टाफ और कर्मचारी भी काम नहीं कर रहे थे। सिक्योरिटी और अस्पताल के स्टाफ ने मरीजों को यह कहकर बाहर भेज दिया कि आज अस्पताल बंद है। डॉक्टरों की हड़ताल के कारण अस्पताल की सरकारी बिल्डिग को वर्किंग टाइम में ताला लगा दिया गया। प्रिसीपल मेडिकल ऑफिसर डॉ. गोपाल कृष्ण भारद्वाज फर्स्ट फ्लोर पर ओपीडी में मरीजों को देखते रहे। मरीज जब रजिस्ट्रेशन काउंटर पर जाने लगे, तो ब्लॉक में दरवाजों पर ताला लगा दिया।
वीरवार सुबह नजारा सामान्य दिनों से अलग नजर आ रहा था। मरीजों की कुर्सियों पर डॉक्टर बैठकर अपना विरोध जता रहे थे। जहां पहले मरीज और उनके तीमारदार बैठने के लिए कुर्सी खाली होने का इंतजार करते नजर आते थे, वहां पर कार्ड बनवाकर बैठे गिने चुने मरीज इंतजार करते रहे। कुछ मरीज सुबह जल्द आने के कारण कार्ड बनाने मे कामयाब हा गये, लेकिन इलाज न मिलने के कारण निराश होकर वापस लौटना पड़ा। आंदोलनकारियों ने रिटायर्ड डॉक्टर्स को भी रोका
दूसरी ओर रिटायर्ड डॉक्टर ओपीडी में मरीजों की जांच कर रहे थे। जब इस बात का पता हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों को पता चला, तो उन्होंने इन डॉक्टरों को भी ओपीडी में मरीज नहीं देखने के लिए कहा। इसके बाद जो ओपीडी चल रही थी, वो भी बंद करवा दी गई। इमरजेंसी में भी डॉक्टरों के बीच मरीज देखने को लेकर बहस हो गई थी। इसके अलावा हेल्थ सेंटरों पर भी डॉक्टर हडताल पर रहे, जिसके बाद डेंटल और कंस्लटेंट डॉक्टरों ने ओपीडी चलाई। क्या है हड़ताल का कारण
आंदोलन करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि विशेषज्ञ डॉक्टरों को स्पेशल भत्ते और दूसरे राज्यों की तर्ज पर चार, नौ, 13 और 20 साल में एसीपी (एश्योर्ड कॅरियर प्रमोशन) का लाभ देने की मांग पर सरकार चुप्पी साधे हुए है। बीते 24 जुलाई को मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ हुई बैठक में सरकार ने दोनों मांगों को जायज करार देते हुए इन्हें तुरंत पूरा करने का भरोसा दिलाया था, लेकिन अभी तक फाइल सीएमओ से निकलने का नाम नहीं ले रही। डॉक्टरों की अनदेखी के चलते ही प्रदेश में स्वीकृत 3250 पदों में से 650 से अधिक पद भरे नहीं जा रहे। हड़ताल करने के बाद सरकार को मांगों पर कोई ठोस कदम उठाने के लिए तीन दिन दिए जाएंगे। फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो 9 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी। सिविल अस्पताल में डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से ओपीडी में अधिक प्रभाव नहीं पड़ा। कुछ रिटायर्ड डाक्टरों को ओपीडी में बिठाया गया था, जिनसे कुछ हड़ताल डाक्टरों द्वारा बदसलूकी की गई है। इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से की जाएगी।
-डॉ.योगेश शर्मा, सिविल सर्जन पंचकूला।