आढ़तियों और धरतीपुत्र के रिश्तों में मजबूर हुई सरकार, खातों में पेमेंट का फैसला किसानों पर छोड़़ा
हरियाणा में किसानों को उनकी फसल का पैसा खातों में देने की योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। आढ़तियों और किसानों की विरोधाभासी राय के बीच हरियाणा सरकार ने अब बीच का रास्ता निकाला है।
चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में किसानों को उनकी फसल का पैसा खातों में देने की योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। प्रदेश सरकार की दलील है कि किसानों का आढ़तियों के साथ चोली दामन का साथ है, इसलिए किसान नहीं चाहते कि उन्हें आढ़तियों के बजाय बैंक खातों में पेमेंट मिले। इसके विपरीत किसानों की दलील है कि सरकार आढ़तियों के दबाव में है और उनके कहने पर ही सरकार किसानों को उनके खातों में फसल की पेमेंट करने को तैयार नहीं है।
आढ़तियों और किसानों की विरोधाभासी राय के बीच हरियाणा सरकार ने अब बीच का रास्ता निकाला है। राज्य के जो किसान आढ़तियों की बजाय बैंक खातों में अपनी पेमेंट चाहते हैं, उन्हें मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर यह विकल्प चुनना होगा। प्रदेश सरकार ने किसानों की जमीन और उस पर बोई जाने वाली फसलों की जानकारी जुटाने को हाल ही में मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल लांच किया है। इस पोर्टल पर सभी किसानों, उनकी बोई जाने वाली जमीन, खाली जमीन तथा फसलों के बारे में पूरी जानकारी होगी। इस जानकारी के आधार पर न तो भ्रष्टाचार होगा और न ही किसानों को ठगा जा सकेगा।
वेबपोर्टल पर दर्ज की जाने वाली फसल के आधार पर किसानों की बीमा संबंधी दिक्कतें भी दूर होंगी। अभी तक बीमा कंपनियां तमाम तरह की अड़चन पैदा कर किसानों को उनकी खराब फसल की बीमा राशि मुहैया नहीं कराती। दलील दी जाती है कि किसान ने बीमा गेहूं की फसल का कराया और खेत में धान खड़ा है। वेब पोर्टल पर यह जानकारी बिल्कुल सटीक होगी।
प्रदेश सरकार के सामने जब किसानों को उनके खाते में पेमेंट दिए जाने का मामला आया तो अधिकारियों ने दलील दी कि किसान नहीं चाहते कि उन्हें पेमेंट बैंक के माध्यम से मिलें। इसके पीछे वजह बताई गई कि आढ़ती और साहुकार किसानों का 24 घंटे का एटीएम है। घर में शादी, कर्ज उतारने, बच्चों की पढ़ाई और खाद-बिजली-पानी के लिए किसान किसी भी समय आढ़ती से पैसा उठा लेते हैं, जो मंडी में फसल आने के बाद चुकता कर दिया जाता है।
अधिकारियों की इस दलील के विपरीत कई किसानों का कहना है कि आढ़तियों के दबाव में सरकार ने किसानों को उनके खातों में पैसा नहीं देने का निर्णय लिया है। अपनी जरूरतों के लिए आढ़तियों से पैसा लेना किसानों की मजबूरी है, लेकिन सौ रुपये के कर्ज का भुगतान पर किसान को दो सौ रुपये चुकाकर करना पड़ता है। काबिल-ए-जिक्र है कि राज्य सरकार ने पिछले दिनों आढ़तियों के माध्यम से पेमेंट बंद कर लिया था, लेकिन हरियाणा व्यापार मंडल के अध्यक्ष बजरंग गर्ग समेत कई व्यापारियों व आढ़तियों ने सरकार की इस व्यवस्था का खुला विरोध किया था, जिसके बाद सरकार को अपना निर्णय वापस लेना पड़ा।
हमने किसानों को उनका विकल्प चुनने की छूट दे दी
सीएम मनोहर लाल का कहना है कि आढ़तियों और किसानों का चोली-दामन का साथ है। आढ़ती किसानों का 24 घंटे का एटीएम होता है। हमने किसानों को उनकी फसल का भुगतान बैंक खातों में करने की व्यवस्था शुरू कर दी थी, लेकिन आढ़तियों व किसानों दोनों ने इसका विरोध यह कहते हुए किया कि इससे सामाजिक भाईचारे पर आंच आ सकती है। मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर अब हमने यह विकल्प दिया कि यदि किसान वास्तव में अपनी फसल का दाम बैंक खाते में चाहता है तो उसे यह विकल्प चुनना होगा। अपनी बैंक की पूरी जानकारी देनी होगी।