हरियाणा मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलों के बीच भाजपा के लिए 'संजीवनी' बन रहे निर्दलीय, पढ़ें क्या है विधानसभा का सियासी गणित
हरियाणा में भाजपा को फील गुड कराने में निर्दलीय विधायक मददगार साबित हो रहे हैं। मंत्रिमंडल में बदलाव की अटकलों के बीच मंत्री और चेयरमैन के पदों पर निर्दलियों की निगाह है। प्रदेश में सात निर्दलीय विधायक हैं।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा मंत्रिमंडल में बदलाव की अटकलों के बीच प्रदेश के निर्दलीय विधायक अचानक सक्रिय हो गए हैं। यह निर्दलीय विधायक हालांकि शुरू से ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के साथ हैं, लेकिन जिस तरह से इन विधायकों को अचानक सरकार का हर मोर्चे पर खुलकर साथ देने का ऐलान करना पड़ा, उससे इस बात की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता कि भाजपा सरकार अपनी सहयोगी पार्टी जजपा के दबाव में है।
निर्दलीय विधायकों ने सरकार को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा कर उसे राजनीतिक दबाव से बाहर निकालने की कोशिश की है। निर्दलीय विधायकों की इस कोशिश से भाजपा राहत महसूस कर रही है। प्रदेश में 10 विधायकों वाली जननायक जनता पार्टी 40 विधायकों वाली भाजपा के साथ सरकार में साझीदार है।
90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में जिस पार्टी के पास 46 विधायक होते हैं, वह सरकार बना लेती है। प्रदेश में सात निर्दलीय विधायक हैं, जिनमें से एक विधायक बलराज कुंडू को छोड़कर बाकी छह विधायक पूरी तरह से सरकार के साथ हैं।
हरियाणा लोकहित पार्टी के एकमात्र विधायक गोपाल कांडा भी सरकार के साथ हैं। इस तरह भाजपा 57 विधायकों के साथ सरकार चला रही है और उसे किसी तरह का खतरा नहीं है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में जब यह चर्चा चलती है कि भाजपा अपनी सहयोगी पार्टी जजपा के दबाव में है तो निर्दलीय विधायक एकदम सरकार की ढाल बनकर खड़े हो जाते हैं।
इस बार मुद्दा भ्रष्टाचार रहित व्यवस्था को लेकर है। ऐसा पहले भी हो चुका है, जब निर्दलीय विधायकों ने एकजुटता दिखाते हुए कई बार मिलकर लंच या डिनर किया और सरकार के हक में ताल ठोंकी। प्रदेश में पांच निर्दलीय विधायक नयनपाल रावत, धर्मपाल गोंदर, सोमवीर सांगवान, राकेश दौलताबाद और रणधीर सिंह गोलन सभी भाजपा की मानसिकता के विधायक हैं। इन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो वह निर्दलीय लड़े और चुनाव जीते।
रानियां के विधायक रणजीत चौटाला गठबंधन की सरकार में बिजली व जेल मंत्री हैं। हालांकि बलराज कुंडू भी भाजपा की पृष्ठभूमि के नेता हैं, लेकिन कई मुद्दों पर उनका सरकार से टकराव बना रहता है। अब वह खुद का संगठन जनसेवक मंच बनाकर अपनी नई लाइन तैयार कर रहे हैं।
निर्दलीय विधायकों का नेतृत्व नयनपाल रावत करते हैं। उन्होंने दो दिन पहले चार विधायकों को साथ जोड़ते हुए जिस तरह भ्रष्टाचार पर हमला बोला और मुख्यमंत्री को अपना समर्थन देने की घोषणा की, उससे यह संदेश गया कि सरकार में गठबंधन की राजनीति को लेकर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
भाजपा में भी एक बहुत बड़ा धड़ा है जो भ्रष्टाचार रहित व्यवस्था चाहता है, मगर राजनीतिक मजबूरियों के चलते इसमें वह पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पा रहा है। इस धड़े की अंगुली बार-बार अपनी सहयोगी पार्टी की तरफ उठती है, जो सरकार का स्थायित्व चाहने वाले धड़े को बिल्कुल भी पसंद नहीं है।
निर्दलीय विधायकों की निगाह मंत्री और चेयरमैन पदों पर
नई परिस्थितियों में निर्दलीय विधायकों ने आगे बढ़कर भाजपा के सामने यह विकल्प पेश किया है कि भले ही वह गठबंधन की राजनीति को आगे बढ़ाती रहे, लेकिन यदि उसे भविष्य में किसी तरह का ठोस निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़े तो निर्दलीय विधायक भाजपा के साथ हैं। यह अलग बात है कि इन निर्दलीय विधायकों को इसमें खुद मंत्री या चेयरमैन बनने की संभावनाएं भी दिखाई दे रही हैं।
निर्दलीय विधायकों की इस हुंकार से ठीक पहले उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने जिस तरह भाजपा के साथ मिलकर अगला लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने तथा सरकार का कार्यकाल पूरा होने का दावा किया है, उसके तुरंत बाद निर्दलीय विधायकों की एकजुटता यह बताने के लिए काफी है कि सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।