आइएएस अधिकारी अशोक खेमका FIR रद कराने हाईकोर्ट पहुंचे, संजीव वर्मा की मांग- सीबीआइ जांच हो
Ashok Khemka vs Sanjeev Verma हरियाणा के दो वरिष्ठ आइएएस अफसरों का विवाद अब हाई कोर्ट पहुंच गया है। वरिष्ठ आइएएस अफसर अशोक खेमका ने अपने खिलाफ दर्ज एफआइआर को दर्ज कराने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। Ashok Khemka vs Sanjeev Verma: हरियाणा के दो सीनियर आइएएस अफसरों का विवाद अब पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गया है। वरिष्ठ आइएएस अधिकारी अशोक खेमका ने अपने खिलाफ दर्ज एफआइआर को रद कराने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। दूसरी ओर, आइएएस अधिकारी ने हरियाणा सरकार को पत्र लिखकर पूरे मामले की सीबीआइ जांच कराने की मांग की है।
हरियाणा के विज्ञान एवं तकनीक विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. अशोक खेमका अपने विरुद्ध पंचकूला के सेक्टर पांच थाने में दर्ज एफआइआर को रद करवाने के लिए हाईकोर्ट पहुंचे हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस अवनीश झींगन की अदालत में अशोक खेमका की याचिका पर आज सुनवाई होगी। खेमका की दलील है कि वह प्रथम श्रेणी अधिकारी हैं और उनके विरुद्ध सीधे एफआइआर कराना सर्विस रूल्स के खिलाफ है।
प्रशासनिक व राजनीतिक गलियारों में चर्चित हुआ खेमका और वर्मा का विवाद
हाईकोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट व पंजाब के पूर्व एडवोकेट जनरल आरएस चीमा पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में अशोक खेमका के केस की पैरवी करेंगे। दोनों आइएएस अधिकारियोंंके बीच का विवाद हरियाणा के प्रशासनिक व राजनीति गलियों में चर्चा का विषय बन गया है।
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बता दें कि राज्य के एक अन्य आइएएस अधिकारी व हरियाणा वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के एमडी एवं करनाल के मंडलायुक्त संजीव वर्मा की शिकायत पर अशोक खेमका के विरुद्ध पंचकूला थाने में एफआइआर दर्ज हुई थी। संंजीव वर्मा ने अपनी शिकायत में कहा गया था कि करीब 12 साल पहले अशोक खेमका जब कारपोरेशन के एमडी थे, तब कुछ भर्तियां हुई थी, जिनमें अनियमितताएं बरती गई हैं। संजीव वर्मा ने खेमका के विरुद्ध दो शिकायतें पंचकूला पुलिस को दी थी, जिन्हें एक एफआइआर में ही समाहित कर दिया गया था।
इसके बाद अशोक खेमका ने संजीव वर्मा पर मानहानि व उत्पीड़न के आरोप में पंचकूला थाने में ही एफआइआर दर्ज कराई। खेमका के साथ एफआइआर दर्ज कराने के लिए गृह मंत्री अनिल विज भी थाने पहुंचे थे। हालांकि बाद में अनिल विज ने वर्मा व खेमका के विरुद्ध सुलह कराने का प्रयास किया, लेकिन इसमें खास कामयाबी नहीं मिल सकी।
खेमका द्वारा आशंका जताए जाने के बाद कृषि विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. सुमिता मिश्रा इस केस से जुड़े दस्तावेज संजीव वर्मा से हासिल कर चुकी हैं। खेमका को आशंका थी कि इन दस्तावेजों में छेड़छाड़ की जा सकती है।सुमिता मिश्रा द्वारा रिकार्ड अपने कब्जे में ले लिए जाने के बाद संजीव वर्मा ने तीन दिन बाद एक चिट्ठी लिखी और प्रदेश सरकार से अनुरोध किया कि दूध का दूध और पानी का पानी अलग करने के लिए पूरे मामले की जांच सीबीआइ को सौंप देनी चाहिए।
संजीव वर्मा का इस पत्र में कहना है कि खेमका के विरुद्ध उन्होंने जो शिकायत थाने में दी और एफआइआर दर्ज हुई तथा खेमका के कहने पर मेरे विरुद्ध जो एफआइआर हुई, उन सभी की जांच सीबीआइ से करानी जरूरी है, ताकि असलियत सामने आ सके।
वहीं हरियाणा के लोकायुक्त ने इस मामले में राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी हुई है। लोकायुक्त की रिपोर्ट के आधार पर ही मुख्य सचिव ने पूरे मामले की जांच वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के एमडी को दी थी, जिसके आधार पर वह जांच कर अपनी रिपोर्ट सरकार को दे चुके हैं।