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Haryana Politics: हरियाणा की गठबंधन की राजनीति-थोड़ा दर्द...थोड़ी दवा!

मनोहर लाल और अजय चौटाला के बयानों में साफ संकेत मिल रहा है कि दोनों दल जब तक गठबंधन के जरिये सत्ता में बने रहना चाहते हैं तब तक तो ठीक है वरना चुनाव नजदीक आने के समय तुम अपने घर राजी और हम अपने घर राजी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 01 Jun 2022 12:34 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jun 2022 12:36 PM (IST)
Haryana Politics: हरियाणा की गठबंधन की राजनीति-थोड़ा दर्द...थोड़ी दवा!
मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के चेहरे के भाव कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं।

पंचकूला, अनुराग अग्रवाल। हरियाणा की राजनीति आजकल एक अलग ही दौर से गुजर रही है। पांच साल तक मिलकर सत्ता चलाने का संकल्प लेने वाले दोनों दलों भाजपा एवं जजपा (जननायक जनता पार्टी) की राहें शहरी निकाय चुनाव में अलग हो गई हैं। भाजपा ने फैसला किया है कि वह शहरी निकाय चुनाव में जनता के बीच अकेले जाएगी। अब परिस्थितियां यह बनने वाली हैं कि सरकार में शामिल दोनों दल जनता के बीच शहरी निकाय चुनाव में आमने-सामने होंगे।

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भाजपा-जजपा के सामने ऐसे हालात उस स्थिति में बने हैं, जब दोनों दल मिलकर हरियाणा में बरौदा और ऐलनाबाद विधानसभा सीटों का उपचुनाव लड़ चुके हैं। जिस तरह से दोनों दलों ने मिलकर विधानसभा उपचुनाव लड़ा, उसे देखते हुए जजपा को लग रहा था कि शहरी निकाय एवं पंचायत चुनाव में भी यह गठबंधन बरकरार रहेगा, लेकिन ऐसा हो न सका। शहरी निकाय चुनाव अलग लड़ने के भाजपा के फैसले के बाद अब इस बात की पूरी संभावना बन गई है कि 2024 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भी भाजपा एवं जजपा का चुनावी गठबंधन बिल्कुल नहीं रहने वाला है। भविष्य की इन संभावनाओं को देखते हुए जजपा अभी से अपनी तैयारी में जुट गई है।

आखिर भाजपा और जजपा की चुनावी राहें अलग होने की वजह क्या है? इसका जवाब हालांकि भाजपा और जजपा दोनों को पता है, लेकिन दोनों ही खुलकर इन स्थितियों पर जनता के बीच बात करने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। 2019 के चुनाव नतीजों के बाद जब भाजपा एवं जजपा का गठबंधन हुआ था, तब जजपा संरक्षक के नाते दुष्यंत चौटाला को उप मुख्यमंत्री बनाकर करीब एक दर्जन ऐसे विभाग सौंपे गए थे, जिनका सरोकार सीधे जनता से है, जिनमें काम करने की बहुत संभावनाएं हैं। जाहिर है इन विभागों से पैसे के लेन-देन कुछ ज्यादा ही जुड़े हैं। वहीं 2014 में पहली बार सत्ता में आने के बाद से मुख्यमंत्री मनोहर लाल लगातार राज्य में भ्रष्टाचार खत्म करने का अभियान चलाए हुए हैं। इस बीच कई घोटालों का पर्दाफाश भी हुआ है। सैकड़ों अफसर रिश्वत लेते और भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़े गए हैं।

विजिलेंस को पहले से अधिक अधिकार दे दिया गया है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री मनोहर लाल मानते हैं कि भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से अंकुश नहीं लग पाया है। हालांकि ऊपर के स्तर पर यानी मुख्यमंत्री कार्यालय एवं प्रशासनिक सचिव के स्तर के भ्रष्टाचार में काफी हद तक कमी आई है। अब एजेंडा लोकल स्तर के भ्रष्टाचार में कमी लाने का है। जजपा के साथ गठबंधन के बाद से ही भाजपा के अंदर इस तरह की आवाज उठती रही है कि भ्रष्टाचार के मामले में सरकार के एजेंडे के सिरे चढ़ने में बाधाएं आ रही हैं।

भाजपा की करीब चार माह पहले पंचकूला में हुई प्रांतीय परिषद की बैठक में इस बात पर विस्तार से मंथन हुआ कि हमें लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अकेले जाना चाहिए या फिर किसी दल यानी जजपा को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहिए? अंत में इस बात पर सहमति बनी कि भाजपा अकेले ही लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों में जाएगी। अब हिसार में भाजपा की प्रांतीय कार्यकारिणी की हुई बैठक में सुझाव आया है कि शुभ काम में देरी कैसी। सैद्धांतिक रूप से भाजपा जब लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों में अकेले उतरने का फैसला ले ही चुकी है तो उसका ट्रेलर शहरी निकाय चुनाव में जांचने में कोई बुराई नहीं है।

भाजपा का यह ऐसा फैसला था, जो जजपा को असहज कर गया। उसके बाद जजपा अध्यक्ष डा. अजय सिंह चौटाला, उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और जजपा महासचिव दिग्विजय चौटाला ने भी अकेले ही शहरी निकाय चुनाव लड़ने का एलान कर दिया। प्रदेश में 19 जून को शहरी निकाय चुनाव हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि दोनों दल किन मुद्दों पर एक दूसरे के खिलाफ वोट मांगते हैं, लेकिन चूंकि भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार में अभी दो साल तीन माह का कार्यकाल शेष है तो ऐसे में भाजपा ने फिलहाल जजपा को साथ लेकर ही सत्ता में बने रहने की रणनीति बनाई है।

भाजपा के पास हालांकि निर्दलीय विधायकों का पूरा और खुला समर्थन है और जजपा को अपने से अलग करने के बावजूद मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार को किसी तरह का खतरा नहीं है, लेकिन जब तक चलती है, चलती रहनी चाहिए कि नीति पर अमल करते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एलान कर दिया है कि हम सत्ता में गठबंधन के तरीके से बने रहेंगे, लेकिन हमारी चुनावी राह अलग होगी। इसके जवाब में अजय सिंह चौटाला का बयान आया कि यदि भाजपा शहरी निकाय चुनाव में फ्रेंडली मैच खेलना चाहती है तो हम भी इसके लिए तैयार हैं। मनोहर लाल और अजय चौटाला के बयानों में साफ संकेत मिल रहा है कि दोनों दल जब तक गठबंधन के जरिये सत्ता में बने रहना चाहते हैं, तब तक तो ठीक है, वरना चुनाव नजदीक आने के समय तुम अपने घर राजी और हम अपने घर राजी।

[राज्य ब्यूरो प्रमुख, हरियाणा]


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