Haryana Municipal Election 2022: स्थानीय निकाय चुनावों में कांग्रेस को भारी पड़ा हार का डर, सिंबल पर न लड़ने से हुआ नुकसान
Haryana Municipal Election 2022 हरियााणा में स्थानीय निकाय चुनाव में पार्टी सिंबल पर नहीं लड़ना कांग्रेस के लिए बड़ी भूल साबित हुआ है। इससे कांग्रेस को सियासी तौर पर काफी नुकसान ही हुआ है। चुनाव सीधे न लड़ कर पार्टी बड़े अवसर से चूक गई।
नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। Haryana Municipal Election 2022: हरियाणा में स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार अपेक्षाकृत परिणाम नहीं दे सके। कांग्रेस ने हार के डर से ये चुनाव सिंबल पर नहीं लड़े थे मगर पार्टी के प्रत्येक बड़े नेता ने अपने गृहक्षेत्र में अपनी पसंद के मजबूत से मजबूत उम्मीदवार को खुला समर्थन दिया था। जमकर प्रचार किया। इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेताओं के समर्थक चुनाव हार गए।
अब हालांकि कांग्रेस की तरफ से यह कहा जा रहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव में टिकट वितरण करने की प्रक्रिया पूरी करने तक का समय नहीं था। नए प्रदेशाध्यक्ष उदयभान के गृहक्षेत्र होडल नगर परिषद के चुनाव में भी निर्दलीय इंद्रेश कुमारी ने चुनाव जीता है। उदयभान समर्थित उम्मीदवार ब्रजभूषण तीसरे नंबर पर रहे। इंद्रेश कुमारी को केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर का खासमखास माना जाता है।
दो माह पहले पार्टी की कमान हुड्डा के हाथ में आने के बावजूद भी कांग्रेस सिंबल पर नहीं लड़ी चुनाव
गुर्जर इंद्रेश को टिकट दिलवाना चाहते थे मगर पार्टी ने टिकट लखन लाल को दी। इसके विरोध में इंद्रेश कुमारी और एक अन्य भाजपा नेता जगमोहन मित्तल ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। गुर्जर के समर्थन से सफलता इंद्रेश कुमारी को मिली। इसी तरह कांग्रेस के दिग्गज नेता करण सिंह दलाल अपने गृहक्षेत्र पलवल में वीर वाल्मीकि को समर्थन दे रहे थे मगर यहां जीत भाजपा के डाक्टर यशपाल ने दर्ज की। वीर वाल्मीकि को लेकर करण सिंह दलाल ने सार्वजनिक मंचों से जीत का दावा भी किया था मगर वह तीसरे नंबर पर रहे।
दक्षिण हरियाणा के नूंह जिला में नूंह , फिरोजपुर झिरका और पुन्हाना से कांग्रेस के विधायक हैं मगर यहां तीनों विधायक अपने समर्थित उम्मीदवार नहीं जिता पाए। यहां भाजपा-जजपा गठबंधन ने तीनों सीट पर जीत दर्ज की है। अहीरवाल में बावल नगर पालिका को छोड़ दें तो नारनौल में निर्दलीय और महेंद्रगढ़,नांगल चौधरी में भाजपा प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की।
इस क्षेत्र के कांग्रेस नेता राव दान सिंह विधायक रहते हुए भी चुनावी समर से दूर रहे। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रभाव क्षेत्र सोनीपत और झज्जर में भी भाजपा के चेयरमैन पद के उम्मीदवारों ने ही जीत का परचम फहराया है। झज्जर, बहादुरगढ़, समालखा, गोहाना में जहां कांग्रेस के विधायक हैं, वहां भी चेयरमैन पद पर भाजपा के उम्मीदवार जीते हैं।
भाजपा-जजपा गठबंधन जीत के रहेंगे अलग मायने
हरियाणा में 18 नगर परिषद और 28 नगर पालिका के चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा गठबंधन ने रिकार्ड जीत के राज्य की राजनीति में अलग ही मायने रहेंगे। 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले दिसंबर 2018 में पांच नगर निगम के चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी ने ठीक इसी तरह की जीत दर्ज की थी।
इसके बाद भाजपा की जीत का परचम जींद उपचुनाव से लेकर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी रहा। 46 में से ज्यादातर स्थानीय निकाय संस्थाओं की छोटी सरकार पर भाजपा-जजपा गठबंधन के चेयरमैन होने से भाजपा-जजपा गठबंधन के प्रति सकारात्मक संदेश जाएगा।
'' हमारे पास सिंबल पर चुनाव लड़ने के लिए प्रक्रिया पूरी करने तक का समय नहीं था। मुझे 27 अप्रैल को हाईकमान ने दायित्व सौंपा और चार मई को पदभार संभाला। इसके बाद राज्यसभा चुनाव में दस दिन हम बाहर रहे और फिर हमारे नेता राहुल गांधी से प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ के विरोध दिल्ली में प्रदर्शन चल रहा है।सही मायनों में निकाय चुनावों में सत्तारूढ़ दल भाजपा की हार हुई है। भाजपा को सिर्फ 26 फीसद मत मिले हैं। कांग्रेस ने यह चुनाव नहीं लड़ा था, फिर भी 74 फीसद मत भाजपा के खिलाफ पड़े हैं। कांग्रेस ने तो निकाय के लिए चुने गए पार्षद और चेयरमैन विकास के लिए सत्ता की तरफ ज्यादा जाते हैं।
- उदयभान, अध्यक्ष, कांग्रेस, हरियाणा।