मस्जिद कुलफा-ए-राशदीन की भी हो सकती जांच
दिल्ली में एनआइए टीम द्वारा आंतकी फ¨डग के मामले में मूल रूप से उटावड निवासी मोहम्मद सलमान खां के पकड़े जाने के बाद उटावड मोड पर बन रही निर्माणाधीन जामा मस्जिद कुलफा-ए-राशदीन भी जांच के दायरे में आ सकती है। क्योंकि मोहम्मद सलमान खां की देखरेख में ही इस मस्जिद पर कार्य चल रहा है, बल्कि मोहम्मद सलमान खान को ही पूरे इलाके की तरफ से इस मस्जिद का सर्वेसर्वा बनाया हुआ था। हालांकि गांव के लोग मस्जिद के निर्माण में आंतकी फं¨डग को लेकर कतई इंकार करते हैं। बहीन थाना प्रभारी रामदयाल ने भी मौके पर जाकर मस्जिद का मुआयना किया। लेकिन जिस तरह से एनआइए ने तीन लोगों को दिल्ली से
संवाद सहयोगी, हथीन (पलवल) राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) द्वारा आंतकी फं¨डग के मामले में मूल रूप से उटावड़ निवासी मोहम्मद सलमान खां के पकड़े जाने के बाद उटावड़ मोड़ पर बन रही निर्माणाधीन जामा मस्जिद कुलफा-ए-राशदीन भी जांच के दायरे में आ सकती है। मस्जिद का निर्माण कार्य मोहम्मद सलमान खां की देखरेख में ही चल रहा है। ऐसे में मस्जिद को मिली आर्थिक मदद भी संदेह के घेरे में है। बहीन थाना प्रभारी रामदयाल ने भी मौके पर जाकर मस्जिद का मुआयना किया। हालांकि गांव के लोग मस्जिद के निर्माण में आतंकी फंडिंग को लेकर साफ इन्कार करते हैं।
दिल्ली में एनआइए की टीम ने लश्कर सरगना और मुंबई हमले के मास्टर माइंड के द्वारा देश की राजधानी में चल रहे आंतकी फं¨डग के मामले में मोहम्मद सलमान, मुहम्मद सलीम उर्फ मामा, अब्दुल राशिद को गिरफ्तार किया था। मोहम्मद सलमान खां मूलरूप से उटावड़ गांव का है। हालांकि वह जन्म से ही दिल्ली में रहता है। लेकिन अपने पैतृक गांव में भी उसका आना जाना रहता है।
ग्रामीणों ने निर्माणाधीन जामा मस्जिद कुलफा-ए-राशदीन को एक तरफ से उसे ही सौंपा हुआ था। हालांकि मस्जिद के लिए गांव की पट्टे शामलात नौ एकड़ भूमि को करीब दस साल पहले दान में दिया गया था। इस भूमि पर एक सरकारी अनुदान से अस्पताल भी बन रहा है। कुछ भूमि पर गांव के लोगों ने अवैध कब्जा किया हुआ है।
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अभी तक कोई जांच एजेंसी नहीं आई है। लेकिन अभी कई स्तर की पड़ताल होनी है। जल्द ही मामले में जांच एजेंसी आ सकती है।
रामदयाल, थाना प्रभारी हथीन
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मस्जिद के निर्माण के लिए दोनों समुदाय के लोगों ने दान दिया है। आंतकियों से मिला पैसा मस्जिद में नहीं लग सकता। जहां तक सलमान की बात है, वह जांच के बाद ही पता चलेगा कि उसकी क्या भूमिका रही है।
-इदरीश खान, पूर्व पार्षद गांव उटावड़।
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मैं कई वर्षो से मस्जिद पर कार्य कर रहा हूं, यहां पर कभी लगातार काम नहीं हुआ है। बड़े स्तर पर फं¨डग होती तो मस्जिद बनने में लंबा अरसा नहीं लगता।
-आस मोहम्मद, मिस्त्री मस्जिद उटावड़।