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टीबी मरीज का पता बताओ, 500 रुपया इनाम पाओ

टीबी की बीमारी को जड़ से समाप्त करने के लिए सरकार ने रिवाईज नेशनल ट्यूबरक्लोसिस कंट्रोल प्रोग्राम शुरू किया गया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 06:44 PM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 06:21 AM (IST)
टीबी मरीज का पता बताओ, 500 रुपया इनाम पाओ
टीबी मरीज का पता बताओ, 500 रुपया इनाम पाओ

संजय मग्गू, पलवल

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टीबी की बीमारी को जड़ से समाप्त करने के लिए सरकार ने रिवाईज नेशनल ट्यूबरक्लोसिस कंट्रोल प्रोग्राम शुरू किया गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत इसका मूल उद्देश्य 2030 तक भारत को टीबी मुक्त करना है, लेकिन सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए 2025 का ही लक्ष्य निर्धारित किया है। रिवाईज नेशनल ट्यूबरक्लोसिस कंट्रोल प्रोग्राम के तहत टीबी के मरीजों की तलाश भी की जाएगी। प्राथमिक कड़ी में जिस व्यक्ति को दो हफ्ते से ज्यादा खांसी है, उनके थूक की जांच की जाएगी। अगर थूक में कीटाणु होगें तो तुरंत इलाज शुरू कर दिया जाएगा।

टीबी मुक्त भारत की दिशा में पहल करते हुए जो व्यक्ति टीबी के मरीजों के बारे में सूचना देगा उसे पांच सौ रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा। टीबी के मरीजों को हर महीने डाईट के लिए पांच सौ रुपए दिए जाएंगे। हर टीबी के मरीज का सीबी नेट टेस्ट किया जाएगा जिसपर करीब ढाई हजार रुपये खर्च आता है यह भी सरकार द्वारा मुफ्त में किया जाएगा। इसके अलावा अगर कोई सामाजिक संस्था टीबी के रोगी को पूरा कोर्स कराने यानि कि रोगी के टीबी मुक्त होने तक उसका कोर्स पूरा कराती है तो उसे दो हजार से पांच हजार रुपये बतौर सहायता शुल्क दिया जाएगा। इसमें छह माह के कोर्स वाले रोगी के लिए 2000, साल भर के लिए 3000 रुपये, 18 माह के लिए 4000 रुपये तथा दो वर्ष के लिए 5000 रुपये दिए जाएंगे। बता दें कि स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार पलवल जिले में अभी लगभग 2700 टीबी के केस दर्ज किए गए है। जिनमें से 70 मरीज ऐसे है जो एचआइवी पॉजिटिव भी हैं तथा उन सभी की नियमित उपचार किया जा रहा है।

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यह हैं टीबी के प्राथमिक लक्षण :

- अगर किसी को लगातार दो हफ्ते से ज्यादा खांसी हो

- एकाएक जिसका वजन तेजी से कम हो रहा हो

- रात में ठंडा पसीना तथा बुखार आ रहा हो

- सांस फूलना या सांस लेने में परेशानी

- भूख न लगना या बहुत कम लगना

- थोड़े से ही काम से ज्यादा थकावट होना

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जिला लेवल पर सीबी नेट जांच के माध्यम से भी टीबी के बारे में पता लगाया जा रहा है। सीबी नेट की रिर्पोट के बाद सैंपल करनाल लैब में भी भेजे जाते हैं। टीबी के मरीज हैं वो नियमित टीबी की दवाई लें। बीच में दवाई छोड़ने के दुष्परिणाम हो सकते हैं। टीबी को जिले से समाप्त करने के लिए आशा वर्कर, एएनएम वर्करों व गांवों में सरपंचों से सहयोग लिया जा रहा है।

- डॉ. रेखा, उप सिविल सर्जन व प्रभारी

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रिवाईज नेशनल ट्यूबरक्लोसिस कंट्रोल प्रोग्राम के जरिये देश को टीबी मुक्त बनाना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मिशन है कि वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त किया जाएगा। इस कार्य में स्वास्थ्य विभाग सामाजिक संस्थाओं का भी सहयोग ले रहा है, तथा जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं।

- डॉ. प्रदीप शर्मा, सिविल सर्जन


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