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वैदिक ग्रंथों का प्रचार-प्रसार जरूरी: दयालु मुनि

सत्य सनातन वैदिक प्रचार यात्रा का मीरपुर कौराली गांव में पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया। इस मौके पर सरपंच नर ¨सह की देखरेख में यज्ञानुष्ठान व प्रवचन का कार्यक्रम हुआ।

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 May 2018 04:06 PM (IST)Updated: Fri, 18 May 2018 04:06 PM (IST)
वैदिक ग्रंथों का प्रचार-प्रसार जरूरी: दयालु मुनि
वैदिक ग्रंथों का प्रचार-प्रसार जरूरी: दयालु मुनि

संवाद सहयोगी, पलवल: सत्य सनातन वैदिक प्रचार यात्रा का मीरपुर कौराली गांव में पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया। इस मौके पर सरपंच नर ¨सह की देखरेख में यज्ञानुष्ठान व प्रवचन का कार्यक्रम हुआ।

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इस मौके पर प्रवचन करते हुए दयालु मुनि ने कहा कि जब से वेद का पठन-पाठन कम हुआ है, आर्ष ग्रंथों का लोप होता जा रहा है और समाज का नैतिक पतन हो रहा है। वैदिक युग में वेद का स्वाध्याय, स्मरण, व्याख्यान जीवन का उद्देश्य होता था, परंतु महाभारत के युद्ध के पश्चात वेद का पठन-पाठन धीरे-धीरे समाप्त होने लगा और विद्वानों द्वारा रचित ग्रंथों ने समाज में वेदों का स्थान लेना शुरू कर दिया। फिर महर्षि दयानंद सरस्वती ने वैदिक सिद्धांतों को प्रमाणों और तर्क से सत्यार्थ प्रकाश में प्रस्तुत किया। हमें अपनी संस्कृति को बचाने और समाज को सही दिशा में ले जाने के लिए वैदिक ग्रंथों का सरंक्षण और उनका प्रचार-प्रसार करना चाहिए।

इस मौके भजनलाल आर्य, शिवचरण आर्य, गंगाराम आर्य, भजनोपदेशक धर्मवीर आर्य, अमीचंद आर्य के भजनोपदेश हुए। इस मौके पर महाशय रतिराम आर्य, अजीत, देशराज, रमेश, रनवीर, बिरजन, मेघराज, प्रताप, अर्जुन, मनोहर, श्यामवीर, धारा, भरती, मुखराम, ओमी मुख्य रूप से मौजूद थे


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