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नमो-मनो का सपना पूरा, मुसाफिरों का अधूरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को वैस्टर्न पैरिफेरल एक्सप्रेस वे (केएमपी) के दूसरे भाग (मानेसर से कुंडली) का उद्घाटन कर देश की जनता को समर्पित कर दिया। केएमपी पीएम मोदी व हरियाणा के सीएम मनोहर लाल की सपनों की परियोजना (ड्रीम प्रोजेक्ट) के साकार होने के करीब एक लाख से अधिक लोग प्रत्यक्ष गवाह बनें तथा लाखों लोगों ने इलैक्ट्रोनिक मीडिया के माध्यम से इसका घर बैठे अवलोकन किया। पहले चरण (पलवल से मानेसर) का उद्घाटन केंद्रीय सड़क मंत्री नितिन गड़करी व प्रदेश के मुख्यमंत्री ने पांच अप्रैल 2016 को पलवल में हजारों लोगों के समक्ष किया था।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Nov 2018 07:13 PM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 07:13 PM (IST)
नमो-मनो का सपना पूरा, मुसाफिरों का अधूरा
नमो-मनो का सपना पूरा, मुसाफिरों का अधूरा

संजय मग्गू, पलवल

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे के दूसरे भाग केएमपी(कुंडली, मानेसर, पलवल) का उद्घाटन कर इसे देश की जनता को समर्पित कर दिया। प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहरलाल और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट के करीब एक लाख लोग गवाह बने। कहने को इस अत्याधुनिक हाईवे पर आवागमन सुचारू हो गया है। लेकिन वास्तविक हालात सही नहीं हैं, एक्सप्रेस-वे पर अवैध कट, डिवाइडर पर घूमते आवारा जानवर और जगह- जगह उखड़ी सड़क विभागीय अधिकारियों की पोल खोल रही है। यही नहीं एक्सप्रेस-वे पर पर्याप्त लाइटिंग और जनसुविधाएं यह इशारा कर रही हैं कि फिलहाल आम जनता का सपना अभी अधूरा ही है। दैनिक जागरण ने बुधवार को पलवल के गांव कुसलीपुर से कुंडली तक का सफर कर सुविधाओं का जायजा लिया तो कुछ इस तरह के हालात दिखे।

डेढ़ दर्जन से अधिक स्थानों पर अवैध कट

पलवल से कुंडली के बीच डेढ़ दर्जन से अधिक स्थानों पर लोगों ने साइड से ग्रिल को हटाकर अवैध कट बना दिए हैं। इन अवैध कटों से दोपहिया वाहन चालक,ट्रैक्टर-ट्राली व कारों को बड़े आराम से निकाल ले जाते हैं, जो कि कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं। पहला कट पलवल से करीब नौ किलोमीटर दूर गांव महेशपुर के समीप, दूसरा मंडकोला के समीप, तीसरा खेड़ा खलीलपुर के पास है। नूंह जिले के दलवाड़ी गांव के लोगों ने तो करीब पांच मीटर तक ग्रिल उखाड़ कर गांव को सीधे केएमपी से जोड़ लिया है। बादली एग्जिट के समीप गांव आसौदा में ग्रामीणों ने दोनों तरफ ग्रिल व डिवाइडर भी काट दिया है। खरखोदा एग्जिट के समीप करीब 15 मीटर लंबा कट बनाया है। इन अवैध कटों से एक्सप्रेस-वे पर मस्ती करते घूमने वाले वाहन चालक एक साथ अपने वाहन को मोड़ कर दूसरी सड़क पर आ जाते हैं। रात में शराब पीकर वाहन दौड़ाने वाले वाहन चालक इन अवैध कटों का खुलकर प्रयोग करते हैं।

स्पीड 80 तक पहुंचते ही हिचकोले खाने लगते हैं वाहन

पांच अप्रैल 2016 को जब पलवल से मानेसर तक केएमपी के पहले हिस्से (पलवल से मानेसर) का उद्घाटन किया था तो केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया था कि मार्ग को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि कार 120 की स्पीड से दौड़ेगी तब भी कार के अंदर सवार चाय पी सकेंगे तथा गिलास से उसके छलकने का कोई खतरा नहीं रहेगा। लेकिन अब 80 की स्पीड पर पहुंचते ही वाहन हिचकोले खाने लग जाते हैं। मानेसर से कुंडली के बीच अंडर पास व ओवर ब्रिज के ऊपर से गुजरते समय एक्सीलेटर से पैर हटाना चालक की मजबूरी बन जाता है। संभवत: यहां जोड़ में कमी है जिसके चलते तेज स्पीड वाहन डगमगाने लगते हैं। मानेसर से पलवल तक छह स्थानों पर सड़क उखड़ी पड़ी है, विभागीय अधिकारियों ने सप्ताह भर पूर्व इनकी पै¨चग कराने का दावा किया था, लेकिन कहीं काम नहीं दिखा। कई स्थानों पर कचरा भी जलाया जाता है।

रात में अमावस का सन्नाटा

पलवल व मानेसर में बने टोल नाकों को छोड़ दिया जाए 135.6 किलोमीटर लंबे सफर पर एक भी लाइट नहीं जलती है। स्याह अंधेरे में सारे रास्ते का सफर अमावस्या की काली रात जैसा दिखा, केवल टोला नाकों पर जरूर दीपावली सी रोशनी दिखी। अवैध कटों से निकलने वाले लोग रात के सफर को और भी मुश्किल बना रहे थे। इस सबके बीच कुंडली से मानेसर की तरफ करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर डिवाइडर पर मजदूरों ने अपना अस्थाई आशियाना बना लिया है। इसी के समीप ही सड़क के बीचों-बीच पानी का भरा टैंकर खड़ा है। अंधेरे में कई वाहनों चालकों को नजर न पड़ने पर आपातकालीन ब्रेक लेनी पड़ती है, जिससे दुर्घटना का खतरा बना रहता है। सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह दयनीय स्थिति में है। केवल मानेसर के समीप, नूंह कट के समीप तथा तीसरी पलवल टोल नाके के समीप पुलिस की जिप्सी गश्त करती दिखी। उनमें से भी दो जिप्सियों के गश्ती दल ट्रक चालकों से उगाही के जुगाड़ में लगे थे।

पशुओं के लिए डिवाइडर चारागाह, सड़क जैसे बाड़े

एक्सप्रेस-वे के आसपास के गांवों के लोग अपने पशुओं को चराने के लिए केएमपी पर ही ले आते हैं। डिवाइडर पर लगी घास पशुचारे का बेहतर स्त्रोत बन रही हैं। डिवाइडर पर घास चरते-चरते बकरियां व गाय सड़क के बीचों-बीच आ जाती हैं तो बाड़े जैसा नजारा दिखता है। शाम को साढ़े चार बजे से पांच बजे के बीच खेड़ा खलीलपुर से नूंह एग्जिट के बीच रास्ते में गाय व बकरियों के कई झुंड केएमपी पार करते दिखे।

गाड़ी के फ्यूल टैंक व अपने पेट को करके चलें फुल

केएमपी के सफर को सुहाना करने की लिए वैसे तो सरकार की केएमपी पर कई योजनाएं हैं, लेकिन शायद नौकरशाही उस पर अभी पूरा ध्यान नहीं दे रही है। सारे मार्ग पर न तो कहीं आराम की कोई व्यवस्था है व न ही प्रसाधन को लिए शौचालय। जरूरत पड़ने पर कोई खाद्य पदार्थ तो दूर पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है। पैट्रोल पंप खोलने की भी बात तो कही गई है, लेकिन अभी वह भी दूर की कौड़ी नजर आ रहा है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार अभी तक तो इन सभी सुविधाओं के लिए कोई स्थान तक भी निश्चित नहीं किया गया है।

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2016 में हुआ था पहले चरण का शुभारंभ

केएमपी बनाने की योजना वर्ष 2004 में तत्कालीन चौटाला सरकार के दौरान बनी थी, लेकिन कांग्रेस की 10 वर्ष की हुड्डा सरकार (पार्ट एक व दो) में इस पर कोई विशेष कार्य नहीं हुआ। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इसे चुनावी मुद्दा बना। सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कार्यभार संभालते ही केएमपी के कार्य को गति दी तथा चार मार्गीय मार्ग को छह मार्गीय किया। पांच अप्रैल 2016 को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पलवल से मानेसर के 56 किलोमीटर के हिस्से को जनता को समर्पित कर दिया था।

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अवैध कटों को एक सप्ताह में बंद करा दिया जाएगा। लाइट की व्यवस्था होने में अभी समय लगेगा। सड़क कहीं से उखड़ी नहीं है, बल्कि चार-पांच स्थानों पर कुछ कमी आ गई थी, जिसकी पै¨चग कराई जा रही है। मानेसर से कुंडली के बीच कुछ स्थानों पर तकनीकी समस्या को जल्द ही दूर है उसे भी जल्दी ही ठीक करा दिया जाएगा। यदि कहीं कचरा जलाया जाता है तो उसका पता लगाकर संबंधित अधिकारियों को दंडित किया जाएगा।

- सुरेंद्र देशवाल, कार्यकारी अभियंता व परियोजना अधिकारी, एचएसआइआइडीसी


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