स्थानीय कवियों की रचनाओं ने भी लोगों पर छोड़ी अमिट छाप
दैनिक जागरण द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में स्थानीय कवियों ने भी खूब रंग जमाया। इन कवियों ने अपने काव्य पाठ पर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी। इन उभरते हुए कवियों को दैनिक जागरण द्वारा इसलिए मंच प्रदान किया गया कि आने वाले समय में ये भी अपनी काव्य रचनाओं से राष्ट्रीय स्तर पर अपने रंग बिखेरें।
- दैनिक जागरण ने उभरते कवियों को दिया काव्य पाठ का मौका
संवाद सहयोगी, पलवल : दैनिक जागरण द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में स्थानीय कवियों ने भी खूब रंग जमाया। इन कवियों ने अपने काव्य पाठ पर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरी। इन उभरते हुए कवियों को दैनिक जागरण द्वारा इसलिए मंच प्रदान किया गया कि आने वाले समय में ये भी अपनी काव्य रचनाओं से राष्ट्रीय स्तर पर अपने रंग बिखेरें।
चंद्रप्रताप सैनी पलवली ने अपनी रचना से अहंकार से दूर रहने की नसीहत कुछ इस तरह दी- न हो तकरार की बातें, न ही अहंकार की बातें, कि चर्चा हो तो फूलों की, न हो फिर खार की बातें, न ¨हसा हो न मंशा हो, न छल-बल हो जगतभर में, मधुरता से सरसता से भरी हों प्यार की बातें।
कवि मोहित मनोहर ने शहीदों की शहादत को कुछ इस तरह याद किया - शहीदों के समर्पण का फकत सम्मान ¨जदा है, अगर हो भावना अच्छी तभी ईमान ¨जदा है, वतन के वास्ते जीना वतन के वास्ते मरना, शहीदों की शहादत से ये ¨हदुस्तान ¨जदा है।
वीरपाल परसू ने मां की महिमा का बखान कुछ इस तरह किया- हजारों रूप है मां के करोड़ों नाम होते हैं, दुआ देती है जब मां तो सफल सब काम होते हैं, स्वर्ग होता है होते तीर्थ सारे मां के चरणों में, चरण कमलों में मां के ही चारों धाम होते हैं।
युवा कवि पवन कुमार पागल ने ब्रज भाषा में भगवान कृष्ण को कुछ इस तरह याद किया- बिरज कौ कूर सही, नैना बिन सूर सही, निकट ना दूर सही, तेरा ही सहारा है, सज धज तज सही, पथ की मैं रज सही, तन मन धन श्याम तोपै सब वारा है। केशव देव भारद्वाज ने भी काव्य पाठ करके लोगों का दिल जीत लिया।