हुरियारों ने चौपालों पर बरसाया जमकर रंग
संवाद सहयोगी, होडल: जिले के बंचारी, सौंदहद में शनिवार को दोपहर बाद आयोजित फूलडोर मेले
संवाद सहयोगी, होडल: जिले के बंचारी, सौंदहद में शनिवार को दोपहर बाद आयोजित फूलडोर मेले (हुरंगा) में हुरियारों ने बड़ी-बड़ी पिचकारियों से चौपालों पर जमकर रंग बरसाया। मेले में इस कदर रंग बरसा कि गांवों की चौपालें, गलियां और लोग रंग में तर हो गए। मेले को देखकर ब्रज की प्राचीन होली की यादें ताजा हो गई। गांवों में जो भी अंदर गया, वह रंग से रंगे बिना नहीं रहा। दीघोट में आयोजित मेले में तो साधु संतों ने झांकियां निकाली और तलवारबाजी, लाठी का भी प्रदर्शन किया।
बंचारी व सौंदहद गांव का हुरंगा पूरे ब्रज क्षेत्र में मशहूर है। मेले का अंग बनने के लिए आसपास के गांवों के ही नहीं सुदूर क्षेत्रों से महिलाएं एवं भजनोपदेशकों, रागनी गायकों के अलावा हुरयारे अपनी रंग बिरंगी पिचकारियां लेकर पहुंचे थे। बंचारी में मेले का शुभारंभ दोपहर को प्राचीन बलदाऊ जी मंदिर में पूजा अर्चना से शुरू हुआ। हुरयारे पिचकारियों से रंगों की बौछार करते हुए ढोलक व नंगाड़ों की थाप पर नाचते हुए गलियों से होते हुए पुराने मार्ग पर पहुंचे। यहां पर ब्रज क्षेत्र की विभिन्न पार्टियों द्वारा भजन एवं फाग गाए गए।
हुरियारे गांव की पैम पट्टी, चौथाइयां पट्टी व पछा पट्टी आदि की चौपालों पर रंग बरसाते हुए निकले। चौपालों पर बड़े-बड़े ड्रमों में रंग घोलकर रखा हुआ था। चौपालों पर भी पिचकारियां लेकर दूसरी पार्टी खड़ी थी। इसी तरह से गांव सौंदहद में पक्की चौपाल से शुरूआत की गई और हुरियारे गांव की अन्य चौपालों पर रंग बरसाते हुए गांव के बाहर नत्थी वाली चौपाल पर पहुंचे। गांव की लगभग प्रत्येक चौपाल पर पंचायत की तरफ से लगभग 20-25 ड्रमों में रंग व गुलाल मिलाकर रखा हुआ था। हुरियारों द्वारा चौपालों पर रंग बरसाया गया। बाहर से आए हुए मेहमानों की सेवा के लिए भी ग्रामीणों ने इंतजाम किया हुआ था। रात्रि में भी होली के रसिया कार्यक्रमों के लिए जगह-जगह तैयारियां थी।
मेले में रसिया पर भी ग्रामीण खूब झूमते नजर आए। Þमेरे धोरे आ श्याम तोपे रंग डारू, मेरे धोरे आ रंग तोपे डारू, गुलाल तो पै डारू'। Þतेरे गालन पै गुपची मारू'और ब्रज क्षेत्र से जुड़ा होने के कारण यहां के लोक गीतों व रसियाओं में भगवान कृष्ण, राधा और गोपिकाओं को जरूर याद किया गया। गोपिकाओं के रंग में रंगी महिलाएं जब कहती हैं कि Þकाली देह पै खेलन आयो री, मेरो बारो सौ कन्हैया, काहे की तैने गेंद बनाई, काहे को बल्ला लायो री,'तब छतों से महिलाओं की हुरियारों पर इस टिप्पणी के बाद जवाब में हुरियारे इस रसिया से जवाब देते हैं कि Þछोरो लइयो तीर कमान, मुंडेली पै बुलबुल बैठी है'। इस तरह सभी ने खूब आनंद उठाया।