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सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में नहीं है हेपेटाइटिस के इलाज की व्यवस्था

जिले की आबादी करीब 15 लाख है, परंतु इतनी बड़ी आबादी पर जिले के किसी भी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में हेपेटाइटिस के इलाज की व्यवस्था नहीं है। इस बीमारी का इलाज कराने के लिए लोगों को निजी अस्पतालों या अन्य जिलों के स्वास्थ्य केंद्रों की तरफ रुख करना पड़ता है। सरकार लोगों से इस गंभीर बीमारी का मुफ्त में इलाज कराने का दावा करती है, परंतु हकीकत कोसों दूर है। हालात यहां तक खराब हैं कि हेपेटाइटिस का पता लगने के बाद रोगी के पांव उखड़ जाते हैं तथा उन्हें उचित उपचार नहीं मिल पाता।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Jul 2018 07:46 PM (IST)Updated: Thu, 26 Jul 2018 07:46 PM (IST)
सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में नहीं है हेपेटाइटिस के इलाज की व्यवस्था
सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में नहीं है हेपेटाइटिस के इलाज की व्यवस्था

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विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर विशेष

संजीव मंगला, पलवल

जिले की आबादी करीब 15 लाख है, परंतु इतनी बड़ी आबादी पर जिले के किसी भी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में हेपेटाइटिस के इलाज की व्यवस्था नहीं है। इस बीमारी का इलाज कराने के लिए लोगों को निजी अस्पतालों या अन्य जिलों के स्वास्थ्य केंद्रों की तरफ रुख करना पड़ता है। सरकार लोगों से इस गंभीर बीमारी का मुफ्त में इलाज कराने का दावा करती है, परंतु हकीकत कोसों दूर है। हालात यहां तक खराब हैं कि हेपेटाइटिस का पता लगने के बाद रोगी के पांव उखड़ जाते हैं तथा उन्हें उचित उपचार नहीं मिल पाता।

विभिन्न कारणों से लिवर में आई सूजन की स्थिति को हेपेटाइटिस कहते हैं। इस गंभीर रोग से लिवर की कार्यप्रणाली में व्यवधान आ जाता है। इससे सेहत खराब हो जाती है। अब तो इसका इलाज भी आसानी से संभव है। एक समय ऐसा था, जब इसकी बी व सी किस्मों का इलाज बहुत ही मुश्किल था। वैसे कई बार इस रोग का आसानी से नहीं पता लगता। इस रोग के होने के कारणों में अल्कोहल का प्रयोग करना, दूषित इंजेक्शन लगना, जांच किए बिना रक्त चढ़ाना, दूसरे व्यक्ति का रेजर प्रयोग करना शामिल है। इसके लक्षणों में भूख न लगना, जी मिचलाना, उल्टी होना, पीलिया होना, पांवों में सूजन होना तथा पेट में तरल पदार्थ का संचित होना, खून की उल्टी होना शामिल है।

अनेक बार इस रोग का पता रक्तदान करने के बाद लगता है। पलवल के जिला नागरिक अस्पताल में रक्त बैंक शुरू होने के बाद अनेक ऐसे रोगी पाए गए हैं, जो हेपेटाइटिस से पीड़ित थे तथा जिन्हें यह मालूम नहीं था कि उन्हें यह रोग है। उनके रक्तदान करने के बाद जब उनके खून की जांच की गई तो उनमें हेपेटाइटिस बी व सी पाजिटिव पाया गया। इसके बाद उन्हें इस बारे में सूचित किया गया। अस्पताल में हेपेटाइटिस बी व सी का इलाज न होने के कारण उन्होंने बाहर से ही इसका इलाज कराया। हर तरह की हेपेटाइटिस का इलाज आयुर्वेद में है। इसके साइड इफेक्ट भी नहीं हैं। दवाइयों से ही यह बीमारी समाप्त हो जाती है। इंजेक्शन भी नहीं लगवाना पड़ता।

- डॉ.धर्मप्रकाश आर्य, वरिष्ठ सलाहकार, केंद्र सरकार, स्वास्थ्य योजना जिले में यदि किसी को हेपेटाइटिस सी है तो वह जिला सामान्य अस्पताल में आकर निश्शुल्क कूपन प्राप्त कर सकता है। उसके इलाज कराने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की है। जो कूपन प्रदान किया जाता है, उसकी बाजारी कीमत पांच हजार रुपये हैं। स्वास्थ्य विभाग इस रोग को लेकर काफी ¨चतित है।

- डॉ.बीर ¨सह सहरावत, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी


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