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निजी अस्पताल व लैब संचालक नहीं कर सकेंगे डेंगू की पुष्टि

पलवल : निजी अस्पताल और पैथ लैब संचालक किसी मरीज में डेंगू की पुष्टि नहीं कर सकेंगे। वर्ष 2017 में कई निजी अस्पताल व लैब संचालकों ने कई लोगों में डेंगू की पुष्टि कर दी थी। उस दौरान कई लोगों की मौत को भी डेंगू से जोड़ा गया था, जिस पर स्वास्थ्य विभाग को बाद में सफाई देनी पड़ी थी। जिसे देखते हुए अबकी बार स्वास्थ्य विभाग ने पहले ही दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Jul 2018 07:22 PM (IST)Updated: Sun, 15 Jul 2018 07:22 PM (IST)
निजी अस्पताल व लैब संचालक नहीं कर सकेंगे डेंगू की पुष्टि

- वर्ष 2017 में निजी अस्पतालों द्वारा कई मरीजों में डेंगू करार दिए जाने से हुई थी स्वास्थ्य विभाग की किरकिरी

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जागरण संवाददाता, पलवल : निजी अस्पताल और पैथ लैब संचालक किसी मरीज में डेंगू की पुष्टि नहीं कर सकेंगे। वर्ष 2017 में कई निजी अस्पताल व लैब संचालकों ने कई लोगों में डेंगू की पुष्टि कर दी थी। उस दौरान कई लोगों की मौत को भी डेंगू से जोड़ा गया था, जिस पर स्वास्थ्य विभाग को बाद में सफाई देनी पड़ी थी। इसे देखते हुए अबकी बार स्वास्थ्य विभाग ने पहले ही दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार निजी लैब संचालकों को इसकी जांच रिपोर्ट मलेरिया विभाग को भेजनी होगी। लैब और निजी अस्पताल संचालक को डेंगू की पुष्टि होने के बाद पीड़ित मरीज के खून के नमूने लेकर स्लाइड तैयार कर मलेरिया विभाग को देनी होगी। इसकी जांच दिल्ली के गैर संचारी बीमारी के लैब में कराई जाएगी। दोनों जांच रिपोर्ट को क्रॉसचेक करने के बाद ही मामले को सार्वजनिक किया जाएगा।

निजी अस्पताल और लैब में अगर डेंगू के मरीज की पुष्टि होती है तो उसकी सूचना फोन के माध्यम से तुरंत सिविल सर्जन कार्यालय और मलेरिया अधिकारी को देनी होगी। मरीज की स्लाइड जांच में पुष्टि होती है तो मरीज के घर के आस पास फॉ¨गग कराई जाएगी। ऐसा नहीं करने पर अस्पताल व लैब संचालक के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। इसका मुख्य मकसद यह है कि लोगों को इस रोग के भय से बचाया जा सके।

स्वास्थ्य विभाग की जिला प्रवक्ता डा. सुषमा चौधरी का कहना है सामान्य बुखार को भी निजी अस्पताल प्रबंधन द्वारा डेंगू बताकर भय का माहौल बनाया जाता है। सामान्य बुखार में भी प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है। इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है। कई बार निजी अस्पताल के रिपोर्ट को क्रॉसचेक किया जाता है, तो मरीज में डेंगू के लक्षण नहीं मिलते है। स्कूलों में किया जा रहा जागरूक :

जिले में डेंगू व मलेरिया की रोकथाम के लिए विशेष अभियान चलाया गया है। सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में जाकर छात्रों को डेंगू का लारवा दिखाकर उन्हें जागरूक किया जा रहा है ताकि वे अपने घर के आस पास डेंगू मच्छर का लारवा पनपने नहीं दे। इसके लिए जिले में 20 से अधिक टीम बनाई गई हैं। इसकी रिपोर्ट रोजाना शाम में जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. जेपी प्रसाद द्वारा लिया जाता है। डेंगू के लक्षण :

- ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़ना।

- सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना।

- आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता है।

- बहुत ज्यादा कमजोरी लगना, भूख न लगना, जी मितलाना और मुंह का स्वाद खराब होना। बचाव के उपाय :

- डेंगू से रोगग्रस्त मरीज का तुरंत इलाज शुरू करें।

- एस्प्रिन या डायक्लोफेनिक जैसी अन्य दर्द निवारक दवाई न लें।

- खुली हवा में मरीज को रहने दें।

- एडिज मच्छर दिन में काटते हैं, इसलिए शरीर दिन में ढक कर रखें।

- पानी के फव्वारों को हफ्ते में एक दिन सुखा दें।

- छत पर पानी एकत्रित न होने दें। कोई भी निजी अस्पताल और लैब संचालक डेंगू होने की पुष्टि न करें। अगर कोई मरीज आता है तो उसकी जानकारी सिविल सर्जन या मलेरिया विभाग को दें। कई बार ऐसा होता है कि निजी अस्पताल संचालक डेंगू के लक्षण नहीं मिलने के बाद भी उनका इलाज करते हैं। इससे मरीज और बीमार हो जाता है।

- डा. जेपी प्रसाद, जिला मलेरिया अधिकारी


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