अच्छे उत्पादन के लिए उपजाऊ भूमि व स्वच्छ पर्यावरण जरूरी
किसानों को मृदा या भूमि के स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से शनिवार को विश्व मृदा दिवस के अवसर पर कृषि विशेषज्ञ डा. महावीर सिंह मलिक ने कहा कि मृदा या भूमि को धरती माता के नाम से पुकारते हैं।
जागरण संवाददाता, पलवल : किसानों को मृदा या भूमि के स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से शनिवार को विश्व मृदा दिवस के अवसर पर कृषि विशेषज्ञ डा. महावीर सिंह मलिक ने कहा कि मृदा या भूमि को धरती माता के नाम से पुकारते हैं। मृदा पेड़-पौधे की जन्मदात्री वह हमारे भोजन उत्पादन का एकमात्र स्त्रोत है।
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक के मतानुसार मृदा की एक इंच मोटी परत बनने में एक हजार वर्ष लगते हैं। अत: मृदा संरक्षण व संभाल बहुत जरूरी है। फसलों का उत्पादन मृदाएं मिट्टी की उपजाऊ शक्ति पर ही निर्भर है। भूमि की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखकर ही देश विश्व की खाद समस्या का समाधान व स्वच्छ पर्यावरण बनाए रख सकते हैं। डा. मलिक ने गांव दीघोट में विश्व मृदा दिवस पर किसान कल्याण मंच द्वारा आयोजित गोष्ठी में किसानों को जानकारी दी। गोष्ठी की अध्यक्षता जल सिंह उर्फ झल्ली तंवर ने की तथा संचालन भागीरथ व शीशराम ने किया।
डा. मलिक ने कहा कि जैसे हम अपने स्वास्थ्य की चिता करते हैं उसी तरह हमें मृदा या भूमि की सेहत का ध्यान रखना चाहिए। भूमि में कौन से तत्व प्रचुर मात्रा में है। किस तत्व की कमी या अधिकता है, इसकी सही जानकारी के लिए भूमि की जांच कराना जरूरी है। भूमि को पानी वह हवा से होने वाले कटाव से बचाव भी जरूरी है तथा रसायनिक उर्वरकों व जहरीले कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से धरती माता मृदा बीमार व पर्यावरण प्रदूषित हुआ है।
उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य उपजाऊ मृदा बनाए रखने के लिए रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कम करके जीवाणु खादों, कार्बनिक खादो, व हरि खादों का प्रयोग करना चाहिए। फसल चक्र में दलहनी फसल का समावेश करना चाहिए। धान, गेहूं फसल चक्र लगातार अपनाने से भूमि की उर्वरा शक्ति घट रही है। तथा जलस्तर भी नीचे जा रहा है। अत: धान के स्थान पर मक्का, बाजरा कपास, अरहर, व मूंग, मोठ, ग्वार उगा सकते हैं।
रासायनिक दवाओं का कीट रोग नियंत्रण में कम से कम प्रयोग करते हुए समन्वित कीट प्रबंधन तकनीक अपनाना जरूरी है। फसल अवशेष ना जलाएं। इससे भूमि में दबाकर भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाएं। इससे पानी व पर्यावरण स्वच्छ बनेगा। भूमि को लेजर लेवलर से समतल करवाने तथा मेडबंदी करके, सूक्ष्म सिचाई विधि, निराई गुड़ाई अपनाकर मृदा के साथ-साथ पानी की भी भारी बचत की जा सकती है। गोष्ठी में संदीप, अमर सिंह, बुध सिंह, तूही राम, बुचा पहलवान, नरेंद्र, बहादुर, अंश कुमार, हरी पंच, शिवांश, गोपाल, बीर सिंह, राजवीर पवन, रननी, थुत्तल, चरण सिंह, रमेश, बिजेंद्र मुख्य रूप से मौजूद रहे।