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किसानों की धान को न, कपास व ज्वार को हां

धन की फसल बोआई को लेकर पिछले कई दिनों से प्रदेश में सत्ताधारी दल भाजपा व विपक्ष के बीच वाकयुद्ध चल रहा था। मेरा पानी मेरी विरासत योजना चलाकर सरकार ने किसानों का आह्वान किया था कि वे धान की फसल की बोआई से बचें ताकि पानी की बचत की जा सके।

By JagranEdited By: Published: Sat, 30 May 2020 08:36 PM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 06:13 AM (IST)
किसानों की धान को न, कपास व ज्वार को हां
किसानों की धान को न, कपास व ज्वार को हां

संजय मग्गू, पलवल

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मेरा पानी, मेरी विरासत योजना चलाकर सरकार ने किसानों का आह्वान किया था कि वे धान की फसल की बोआई से बचें ताकि पानी की बचत की जा सके। एक आकलन के अनुसार एक किलो धान पकाने पर 100 से 150 लीटर तक पानी का खर्च आता है। क्योंकि नहरी पानी की समस्या बनी रहती है तथा कई बार बरसात न होने के चलते किसान भूजल का दोहन करते हैं।

पानी के अत्यधिक दोहन के चलते भूजल स्तर काफी नीचे जाने लगा तथा कई स्थानों पर तो डार्क जोन की स्थिति बन गई, जिससे बचने के लिए प्रदेश सरकार ने पानी को विरासत से जोड़ दिया ताकि आने वाली पीढि़यों के लिए पानी की परेशानी न हो, तथा किसानों ने भी धान से तौबा करनी शुरू कर दी है। जिले में अब 18 हजार हेक्टेयर में धान की बोआई की गई है, जबकि 23 हजार हेक्टेयर में कपास।

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धान न बोने वाले किसानों को मिलेगी प्रोत्साहन राशि :

जल संरक्षण की दिशा में सरकार ने धान न बोने वाले किसानों को सात हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देने का भी एलान किया है। क्योंकि वैसे भी धान की खेती में प्रति एकड़ 15 से 18 हजार रुपये लागत आती है, तथा पिछले दो वर्ष से भाव बहुत कम मिल रहा है। किसानों ने खेती का तरीका बदलना शुरू कर दिया है तथा कपास, ज्वार व दलहनी फसलों की तरफ भी अग्रसर होने लगे हैं। ---

धान की फसल में सिचाईं के लिए अधिक पानी की मात्रा की जरूरत होती है। जिसका प्रभाव भूजल और नहरी पानी के स्तर पर भी पड़ता है। इसलिए हम अपने खेतों में धान की कोई भी किस्म नहीं बोई है। पानी की बचत करने के लिए कपास की फसल बोई है।

- मुकेश कुमार, किसान हथीन

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धान की फसल पानी बहुत खर्च होता था इसलिए खेतों में ज्वार की फसल बोई है। इससे पशुओं के चारे का भी काम चल जाएगा और कुछ फसल को बेच कर आमदनी भी कर सकेंगें। ज्वार की फसल में पानी की सिचाई भी कम करनी पड़ेगी।

- खजान सिंह सहरावत, किसान गहलब

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बड़ी संख्या में जिले में किसानों ने कपास की खेती करनी शुरू कर दी है। कपास की सबसे बड़ी बात ये है कि इससे जल संरक्षण होता है। धान का भाव भी पिछले वर्षों से लगातार घटता जा रहा है, जबकि कपास महंगी बिक रही है। कपास की खेती से भूमि की उर्वरा भी बढ़ती है।

-डॉ. महावीर मलिक, कृषि विशेषज्ञ


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