स्वयं सत्यापित अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर सकते हैं जैन : मंजीत ¨सह
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य सरदार मंजीत ¨सह राय ने कहा है कि जैन समाज अल्पसंख्यक है तथा इस समाज को वहीं सुविधाएं व लाभ प्रदान किए जा रहे हैं, जो अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को प्रदान किए जाते हैं। जैनियों को इन सुविधाओं का लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें यह शिकायतें लगातार मिल रही हैं कि प्रशासन द्वारा जैन समाज के लोगों का अल्पसंख्यक प्रमाण-पत्र नहीं बनाया जाता, जिससे वे सुविधाएं नहीं ले पाते। उन्होंने विभिन्न जिलों के उपायुक्तों से इस शिकायत का निपटारा करने को कहा है।
संजीव मंगला, पलवल
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य सरदार मंजीत ¨सह राय ने कहा है कि जैन समाज अल्पसंख्यक है तथा इस समाज को वही सुविधाएं व लाभ प्रदान किए जा रहे हैं, जो अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को प्रदान किए जाते हैं। जैनियों को इन सुविधाओं का लाभ उठाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि उन्हें यह शिकायतें लगातार मिल रही हैं कि प्रशासन द्वारा जैन समाज के लोगों का अल्पसंख्यक प्रमाण-पत्र नहीं बनाया जाता जिससे वे सुविधाएं नहीं ले पाते। उन्होंने विभिन्न जिलों के उपायुक्तों से इस शिकायत का निपटारा करने को कहा है।
मंजीत ¨सह ने कहा कि जैन समाज के लोग स्वयं सत्यापित प्रमाण पत्र भी प्रयोग में ला सकते हैं। यह प्रमाणपत्र भी मान्य होगा। उनके अनुसार पलवल में भी जैन समाज के लोगों ने उनसे मिलकर अपनी समस्या रखी है। इस समस्या का निपटारा भी प्रशासन कर देगा।
जागरण से बातचीत में मंजीत ¨सह ने कहा कि जैन समुदाय को 27 जनवरी 2014 को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा मिलने से भारतीय संविधान में उपलब्ध संरक्षण एवं अन्य अधिनियमों द्वारा प्राप्त कानूनी अधिकारों का प्रयोग करने की शक्ति प्राप्त हो गयी है। जैन समुदाय के व्यक्ति, शिक्षण संस्थाएं, व्यापारी, विद्यार्थी, धार्मिक स्थल गैर सरकारी संगठन आदि केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, उपक्रमों एवं राज्य सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता, छात्रवृत्ति, अनुदान, ब्याज, सब्सिडी इत्यादि के हकदार बन गए हैं।
उनके अनुसार उक्त अधिकारों को प्राप्त करने के लिए वे मानव संसाधन विकास मंत्रालय, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था आयोग, मौलाना आजाद एजूकेशन फाउंडेशन, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, नेशनल मायनॉरटीज डेवलपमेंट फाइनेंस कारपोरेशन एवं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कू¨लग की वेबसाइट से भी जानकारी ले सकते हैं।
मंजीत ¨सह ने कहा कि यदि किसी जिले में कोई अल्पसंख्यक समाज बहुसंख्यक है तो उसे बहुसंख्यक नहीं माना जाएगा। राष्ट्रीय स्तर पर जिन्हें अल्पसंख्यक माना गया है, वे ही अल्पसंख्यक की श्रेणी में आते हैं। इनमें मुस्लिम, सिख, इसाई, पारसी, बौद्ध व जैन शामिल हैं। नूंह जिले में यदि मुस्लिम बहुसंख्यक हैं तो भी वे अल्पसंख्यक की ही श्रेणी में आएंगे।