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आइटीआइ में छात्रों को नहीं खलेगी मशीनों की कमी

अब औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आइटीआइ) के छात्रों को प्रशिक्षण के लिए मशीनों की कमी नहीं खलेगी। यही नहीं कोर्स के बाद नौकरी की भी ¨चता नहीं रहेगी। नए शिक्षा सत्र से सरकार उद्योगों के तालमेल से संस्थानों में नए कोर्सों में दाखिले होंगे। छात्र पढ़ाई संस्थान में करेंगे और प्रयोगात्मक प्रशिक्षण संबंधित कंपनियां देंगी। इससे कंपनियों को भी कुशल कारिगर प्राप्त होंगे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 06:58 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 06:58 PM (IST)
आइटीआइ में छात्रों को नहीं खलेगी मशीनों की कमी
आइटीआइ में छात्रों को नहीं खलेगी मशीनों की कमी

सुरेंद्र चौहान, पलवल

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अब औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आइटीआइ) के छात्रों को प्रशिक्षण के लिए मशीनों की कमी नहीं खलेगी। यही नहीं कोर्स के बाद नौकरी की भी ¨चता नहीं रहेगी। नए शिक्षा सत्र से सरकार उद्योगों के तालमेल से संस्थानों में नए कोर्सों में दाखिले होंगे। छात्र पढ़ाई संस्थान में करेंगे और प्रयोगात्मक प्रशिक्षण संबंधित कंपनियां देंगी। इससे कंपनियों को भी कुशल कारीगर प्राप्त होंगे।

जिले में पलवल, कुशक, दीघोट व हथीन में राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान हैं, जबकि ¨हदुस्तान आइटीआइ मित्रोल, श्रीकृष्णा आइटीआइ घर्रोंट हथीन, एलआर आइटीआइ दीघोट, शहीद भगत ¨सह आइटीआइ अल्लीका व वर्धमान आइटीआइ नया गांव में प्राइवेट आइटीआइ हैं। इनमें दाखिला प्रक्रिया जुलाई माह में शुरू होती है। जिन संस्थानों में जैसी सुविधाएं हैं, वैसे ही उनमें कोर्स चल रहे हैं। प्रशिक्षण की नहीं है समुचित व्यवस्था

यहां सबसे बड़ी परेशानी यह है कि संस्थानों में प्रयोगात्मक प्रशिक्षण के लिए समुचित व्यवस्था नहीं है। काफी मशीनें या तो हैं ही नहीं या फिर वे खराब हो चुकी है, दूसरा उन्हें चलाने का प्रशिक्षण देने के लिए अनुदेशकों की कमी है। इस कारण छात्र कोर्स पूरा करने के बाद भी कंपनियों में नौकरियों के लिए पूरी तरह प्रशिक्षित नहीं हो जाते हैं। यहां तक कि कुछ छात्रों को तो नजदीक की कंपनियों में प्रशिक्षण नहीं मिल पाता। दूसरी तरफ कंपनियों को जिस कोर्स से संबंधित कारीगर चाहिएं, वे मिल नहीं पाते हैं। छोटे उद्योगों के कोर्स भी होंगे शुरू

सरकार ने प्रशिक्षण संशोधन नियम में बदलाव किया है। पहले यह 200 कर्मचारी वाली कंपनी, जिसका वार्षिक टर्न ओवर 10 करोड़ था, उसके साथ 17 ट्रेडों पर लागू था। कोर्स पूरा करने के बाद उन्हें छह माह कंपनियों में प्रशिक्षण लेना होता है, लेकिन उतने में वे पूरी तरह सीख नहीं पाते थे। अब नए नियम के तहत 40 कर्मचारियों और एक करोड़ का वार्षिक टर्न ओवर वाले उद्योग भी आइटीआइ में कोर्स शुरू करवा सकते हैं। कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण निदेशालय दिसंबर 2018 में एक पत्र जारी किया था, जिस पर अब तैयारियां होने लगी हैं। नए सत्र में संस्थान और उद्योगों के साथ एमओयू साइन किया जाएगा। कंपनियों की आवश्यकता के अनुसार आइटीआइ में कोर्सों में सीटें तय की जाएंगी। प्रवेश लेने वाले छात्रों की थ्योरी संस्थान में तथा प्रेक्टिकल संबंधित उद्योगों में होगा। छोटे उद्योग भी अपनी जरूरत के हिसाब से आइटीआइ में कोर्स शुरू करवा सकते हैं। इससे छात्रों को काफी लाभ मिलेगा।

- भगत ¨सह, प्रधानाचार्य आइटीआइ पलवल


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