स्कूल प्रबंधन की लापरवाही पड़ी छात्राओं पर भारी
स्कूल प्रबंधन की छोटी सी चूक ने एक हंसती खेलती छात्रा को असमय काल के गाल में भेज दिया, वहीं हादसे की शिकार दूसरी छात्रा जिदंगी और मौत में बीच में अस्पताल में जूझ रही है। यह ज्यादा बड़ा हादसा हो सकता था, क्योंकि भंडारे में खाना खाने के लिए एक नहीं कई स्कूलों के सैकड़ों बच्चे भंडारे में स्कूलों की तरफ से गए हुए थे। नियमानुसार स्कूल प्रबंधक स्कूली छात्रों को इस तरफ स्कूल समय में खाने पर नहीं भेज सकते। लेकिन सभी नियमों का ताक पर रखकर स्कूल प्रबंधकों ने मिड डे मिल की परेशानी से बचने के लिए ऐसा कदम उठाया। जिसने दो छात्रों को दीवार गिरने के हादसे घायल होकर एक को अपनी जान गंवानी पड़ी।
टॉप बॉक्स :
- ग्रामीणों की मांग पर नियम को रख दिया था ताक पर
मोहम्माद हारून, हथीन
कोंडल गांव में स्कूल प्रबंधन की छोटी सी चूक ने एक हंसती खेलती छात्रा को असमय काल का ग्रास बना दिया, वहीं दूसरी छात्रा जिदंगी और मौत में बीच में लटकी है। यह हादसा और भी बड़ा हादसा हो सकता था, क्योंकि भंडारे में खाना खाने के लिए एक नहीं कई स्कूलों के सैंकड़ों बच्चे गए हुए थे। ऐसा जिले के गांवों में अक्सर होता है, जब मंदिर या किसी अन्य ग्रामीण द्वारा भंडारे या सामूहिक भोज का आयोजन होता है तो स्कूल के बच्चों को भी उसमें भेज दिया जाता है। यही नहीं उनके आने-जाने के दौरान कोई इंतजामात भी नहीं किए जाते हैं।
सरकारी स्कूल तो मिड-डे मील की परेशानी से बचने के लिए ऐसा करने में काफी रूचि दिखाते हैं, जबकि निजी स्कूल अपने प्रचार के लिए ऐसा करते हैं। कोंडल में स्कूल का कोई शिक्षक या प्रबंधक भी छात्राओं के साथ नहीं था, केवल मिड-डे मील बनाने वाली दो महिलाओं को उनके साथ भेजा गया था। सुरक्षा की ²ष्षि्ट से भी यह सवालिया निशान उठना स्वभाविक है।
शिक्षा के जानकारों की मानें तो स्कूल समय में छात्रों को खाने के लिए बाहर भेजने का कोई नियम व कानून है ही नहीं क्योंकि सरकार ने मिडिल स्कूलों तक दोपहर की भोजन की व्यवस्था कराई है। स्कूल प्रबंधन की भूल के कारण छात्रा पूजा व छात्रा मोनिका रास्ते में एक मकान की दीवार गिरने से दबकर घायल हो गई थीं। इसमें पूजा को अपनी जान गंवानी पड़ी क्योंकि बृहस्पतिवार को बारिश थीं, इसलिए मिड-डे मील की व्यवस्था स्कूल में करने की प्रबंधन ने जहमत नहीं उठाई। ग्रामीणों के बार बार कहने पर हमने छात्राओं को ले जाने की अनुमति प्रदान की, क्योंकि गांव के बच्चे थे। गांव का ही भंडारा था, गांव के लोग थे। हमें यह बात माननी पड़ी। सभी स्कूलों के बच्चे भंडारे में गए थे। हमें क्या पता था कि ऐसी घटना घटेगी।
- भजन लाल, मुख्याध्यापक राजकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय यह स्कूल प्रबंधन की कतई लापरवाही है। स्कूल समय में बाहर बच्चों को खाने के लिए नहीं भेजा जा सकता। मिड-डे मील इसीलिए बनता है। स्कूल प्रबंधन की तरफ से कोताही पर शिक्षा विभाग संज्ञान लेगा। मामले में जांच कर उचित कार्रवाई होगी।
- अनिल शर्मा, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी पलवल।