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नागरिक अस्पताल आएं तो अपना पंखा साथ लेकर आएं

जिला नागरिक अस्पताल में सुविधाएं उपलब्ध कराने के दावों के बीच ज्येष्ठ की तपती गर्मी में अस्पताल के वार्डों में भर्ती तथा ओपीडी में आने वाले मरीज व्यवस्था को कोसने को मजबूर हैं। पहली मंजिल पर बने सामान्य वार्ड की हालत तो इस कदर दयनीय है कि भर्ती होने वाले मरीज ठीक होने के बजाय किसी दूसरी बीमारी का शिकार बन सकते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 08:22 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 06:09 AM (IST)
नागरिक अस्पताल आएं तो अपना पंखा साथ लेकर आएं

संजय मग्गू, पलवल

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जिला नागरिक अस्पताल में सुविधाएं उपलब्ध कराने के दावों के बीच ज्येष्ठ की तपती गर्मी में अस्पताल के वार्डों में भर्ती तथा ओपीडी में आने वाले मरीज व्यवस्था को कोसने को मजबूर हैं। पहली मंजिल पर बने सामान्य वार्ड की हालत तो इस कदर दयनीय है कि भर्ती होने वाले मरीज ठीक होने के बजाय किसी दूसरी बीमारी का शिकार बन सकते हैं। शीशों से वार्ड में प्रवेश करती धूप बैचेन कर देती है। छत पर धीरे-धीरे घूम रहा पंखा जैसे खुद राहत की आस देख रहा है। अगर आपको गर्मी सताती है तो पंखा अपने साथ ही ले आएं तो बेहतर रहेगा। अस्पताल में तीन कूलर रखे तो दिखते हैं, लेकिन वे मरीजों के काम कब आएंगे? नहीं पता। दैनिक जागरण ने मंगलवार की दोपहर को अस्पताल की सुविधाओं का जायजा लिया तो हालात खुद अपनी बेबसी बयां करते नजर आए, पेश है रिपोर्ट :

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नागरिक अस्पताल का आपातकालीन वार्ड

पूरे अस्पताल में केवल यही स्थान है, जहां कि मरीजों के लिए एसी लगाए गए हैं। यूं तो वार्ड में एसी लगाए गए हैं, लेकिन ये कब चलें तथा कब रुक जाएं नहीं पता। हालांकि डॉक्टरों के कक्ष का एसी पूरी तरह से शीतलता बरसाता है। ओपीडी की पंजीकरण खिड़की के बाहर छत पर लगा एक पंखा यह बताने के लिए काफी है कि कतारों में लगे लोगों की गर्मी से क्या हालत होती होगी?

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गर्मी सताती हैं तो पंखा साथ ले जाओ :

सामान्य वार्ड के एक कक्ष में 10 बिस्तर लगे हैं, जिन में से अधिकांश पर मरीज हैं। दो कतारों में लगे पांच-पांच बिस्तरों के ऊपर एक-एक पंखा लगा हुआ है। खिड़कियों पर शीशे लगे हैं, सफेद शीशों में से कक्ष में आती धूप शीशों को तो गर्म करती ही है, कमरे के तापमान को भी बढ़ा देती है। ऐसे में पंखे कैसे मरीजों को सुकून देते होंगे, इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है। सामान्य वार्ड में प्रसूति के बाद महिलाओं को भी शिफ्ट किया जाता है।

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यहां मायने नहीं रखते शारीरिक दूरी के नियम :

जच्चा-बच्चा वार्ड अस्पताल का दूसरा सबसे प्रमुख स्थान है। सरकार भी चाहती है कि ज्यादा से ज्यादा डिलीवरी नागरिक अस्पतालों में ही हों, लेकिन व्यवस्था ऐसी है कि लोग यहां मजबूरी वश ही आते हैं। जो थोड़े भी संपन्न हैं वे जच्चा-बच्चा केंद्र की व्यवस्था को देखकर निजी अस्पतालों का ही सहारा लेते हैं। वैसे भी यहां से निजी अस्पतालों में रैफर करने का खेल पहले सुर्खियों में बनता रहा है। केंद्र में मंगलवार को शारीरिक दूरी का नियम ध्वस्त होते दिखा। एक-एक बिस्तर पर कई-कई लोग बैठे हुए व्यवस्था को धता बता रहे थे।

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पानी चाहिए तो पार्क के नल पर जाएं :

गर्मी में पानी सबसे जरूरी है, अस्पताल प्रबंधन तथा डॉक्टर लोगों को सलाह तो देते हैं लेकिन पेयजल उपलब्ध कराने में कोताही बरत जाते हैं। अस्पताल में यूं तो वाटर कूलर लगे हैं, लेकिन वे सफेद हाथी बने दिखते हैं। चाहे मरीज हों या तीमारदार, अस्पताल में पानी की तलाश में भटकते दिख सकते हैं, जिनकी तलाश पार्क में लगे नल पर जाकर पूरी होती है।

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अस्पताल में मरीजों को गर्मी से निजात दिलाने व्यवस्था की जाएगी। कूलरों की मरम्मत कराई जा रही है, तथा जल्दी ही इन्हें लगवा दिया जाएगा। इमरजेंसी में एसी लगे हुए हैं तथा मेरी जानकारी में सभी चल भी रहे हैं, अगर किसी में कमी है तो ठीक कराया जाएगा। जच्चा-बच्चा वार्ड में भीड़ को चेक कराया जाएगा, वैसे नागरिकों को खुद भी समझना चाहिए तथा शारीरिक दूरी के नियम का पालन करना चाहिए।

- डॉ. अजय माम, चिकित्सा अधीक्षक


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