संशय के चौराहे को पार करने में गीता का ज्ञान सर्वोतम : एसपी
पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजारनियां ने कहा है कि जीवन में प्रतिदिन अनेक बार इंसान संशय के चौराहे पर खड़ा होता है। इस संशय के चौराहे को पार करने में गीता का ज्ञान सर्वोत्तम है।
जागरण संवाददाता, पलवल : पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजारनियां ने कहा है कि जीवन में प्रतिदिन अनेक बार इंसान संशय के चौराहे पर खड़ा होता है। इस संशय के चौराहे को पार करने में गीता का ज्ञान सर्वोत्तम है। वे शनिवार को जिला स्तरीय गीता महोत्सव के तहत आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। गीता के बौद्धिक दर्शन को समर्पित संगोष्ठी प्रशासनिक अधिकारियों व पुलिस विभाग के लिए आयोजित की गई थी, जिसमें गीता सार के संबंध में प्रबुद्ध व्यक्तियों ने अपने-अपने व्याख्यान व्यक्त दिए। एसपी बिजारनियां ने कहा कि गीता में का कथन बिल्कुल सही है कि हर व्यक्ति के कर्म निर्धारित हैं। पुलिस की नौकरी में भी एक ध्येय होता है कि सज्जन लोगों की भलाई की जाए। गीता में वर्णित इस गूढ़ रहस्य का अर्थ है कि आप इस धरा पर अकेले नही है आप अपने आस-पास के लोगो से जुड़े हुए है। कर्म अच्छा किया जाए, समाज में हर व्यक्ति को ईश्वर ने जिम्मेदारियां निर्धारित की है। गीता के पठन पाठन से मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। सेमीनार कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हथीन के एसडीएम वकील अहमद ने मुख्य अतिथि का स्वागत एवं आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में केडी. शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि आज के संदर्भों में गीता मानव को असहज परिस्थितियों में सहजावस्था में लाने का साधन है। विजय कुमार शर्मा ने कहा कि श्रीमद्भगवद् गीता से निष्काम कर्मयोग की शिक्षा मिलती है। अर्जुन शास्त्री ने कहा कि श्रीमद्भगवद् गीता में कर्म की प्रधानता देते हुए भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हुए कहते हैं कि गीता में कर्म तीन प्रकार के बताए हैं। इस अवसर पर डीएसपी सुनील कादियान, जिला शिक्षा अधिकारी अशोक बघेल, जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी बिजेंद्र कुमार, खंड शिक्षा अधिकारी सुखबीर सिंह सहित पुलिस विभाग व शिक्षा विभाग के अधिकारी व जिले के प्रबुद्ध लोग मौजूद रहे।