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सरकार ने तो भेजा, पर बैंक नहीं दे रहे किसानों का पैसा

सरकार द्वारा बैंकों में प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत मुआवजा राशि के करोड़ों रुपये भिजवाए हुए हैं, उसके बावजूद जिले के सैंकड़ों किसान प्राकृतिक आपदा के चलते फसल नुकसान होने पर बीमित राशि के लिए भटक रहे हैं। कुछ किसान तो ऐसे हैं, जो बीमा कंपनी और बैंकों में तालमेल की कमी से करीब दो साल से बीमित राशि के लिए कार्यालयों में चक्कर काट रहे हैं। इतना तो तब है कि जब राजस्व विभाग और कृषि विभाग अपनी रिपोर्ट भेज चुका है। हार थक कर अब किसानों ने उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 06:28 PM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 06:28 PM (IST)
सरकार ने तो भेजा, पर बैंक नहीं दे रहे किसानों का पैसा
सरकार ने तो भेजा, पर बैंक नहीं दे रहे किसानों का पैसा

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- दो साल से फसल बीमा की मुआवजा राशि के लिए भटक रहे हैं किसान

- हार थक कर किसानों ने खटखटाया अदालत का दरवाजा

सुरेंद्र चौहान, पलवल

सरकार द्वारा बैंकों में प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत मुआवजा राशि के करोड़ों रुपये भिजवाए हुए हैं, उसके बावजूद जिले के सैंकड़ों किसान प्राकृतिक आपदा के चलते फसल नुकसान होने पर बीमित राशि के लिए भटक रहे हैं। कुछ किसान तो ऐसे हैं, जो बीमा कंपनी और बैंकों में तालमेल की कमी से करीब दो साल से बीमित राशि के लिए कार्यालयों में चक्कर काट रहे हैं। इतना तो तब है कि जब राजस्व विभाग और कृषि विभाग अपनी रिपोर्ट भेज चुका है। हार थक कर अब किसानों ने उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया है।

जल्हाका, गोपीखेड़ा, अमरपुर, रामपुर खोर, कटेसरा, भमैराला, जटौली सहित जिले के दर्जनों अन्य गांवों के किसानों की वर्ष 2016 में धान, कपास व बाजरा की फसल बीमारी लगने और बारिश व ओलावृष्टि जैसे अन्य दूसरे कारणों से नष्ट हो गई थी। तब किसानों ने पहले कृषि विभाग कार्यालय के चक्कर काटे और बीमा कंपनी तथा बाद में किसान सभा के बैनर तले सीएम ¨वडो में शिकायत दी थी, परंतु उन्हें मुआवजा नहीं मिला।

अकेले गांव जटौली में ऐसे 60 किसान हैं, जिनकी जलभराव के कारण धान व कपास की फसल नष्ट हो गई थी। उन्होंने फसल का बीमा करवाया हुआ था। उसके बाद उन्होंने बीमित राशि के लिए कृषि विभाग में आवेदन किया। बीमा कंपनी आइसीआइसीआइ लोंबार्ड के सर्वेयरों ने बर्बाद फसल का सर्वे भी किया था। करीब 80 प्रतिशत फसल नुकसान पाया गया था।

राजस्व विभाग ने प्रति एकड़ फसल के लिए 25 हजार रुपये मुआवजा तय किया था। किसानों के जिन बैंकों में खाते थे, उनमें संपर्क किया तो उन्होंने बीमा कंपनी के पास भेज दिया। बीमा कंपनी के पास किसान पहुंचे तो उन्होंने यह कह दिया कि बीमा राशि बैंक में जमा की थी, बैंक मुआवजा देगा। मुआवजा के लिए किसान पिछले दो साल से कार्यालयों में चक्कर काट रहे हैं। 2016-17 सीजन में मेरी धान की फसल खराब मौसम व बीमारी के कारण नष्ट हो गई थी। उसके बाद मैंने बीमित राशि के लिए कृषि विभाग में आवेदन किया था। तब से अब तक मुआवजा के लिए कार्यालयों के चक्कर काट रहा हूं। अब हम किसानों ने उपभोक्ता फोरम का सहारा लिया है।

- कोमल प्रसाद हमारी फसल जलभराव के कारण नष्ट हुई थी। कृषि विभाग अधिकारी कहते हैं कि केस बनाकर बीमा कंपनी को भेज दिया था और कंपनी वाले बैंक अधिकारियों के पास भेजे देते हैं। प्रशासनिक अधिकारियों से भी शिकायत की गई, परंतु एक-दूसरे की बात कहकर सभी पल्ला झाड़ लेते हैं।

- धन ¨सह मुआवजे का पैसा बैंक में आया हुआ है। कुछ किसानों के केस बैंकों में कागजात में कमियों में चलते लटके पड़े हैं। इसके लिए जिला उपायुक्त डॉ. मनीराम शर्मा को भी अवगत कराया गया है। उपायुक्त ने मामले को निपटवा दिया है। अगले माह किसानों को मुआवजा राशि भी मिल जाएगी।

- डॉ.विरेंद्र आर्य, उपनिदेशक कृषि


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