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किसान नेता बोले, जन आंदोलन बन चुका है अब किसान आंदोलन

राष्ट्रवादी विचार मंच के अध्यक्ष स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय सचिव रतन सिंह सौरोत व जिले के किसान नेता मास्टर महेंद्र सिंह चौहान ने कहा है कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को सरकार तारपीडो करने का षडयंत्र रच रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 05:13 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 05:13 PM (IST)
किसान नेता बोले, जन आंदोलन बन चुका है अब किसान आंदोलन
किसान नेता बोले, जन आंदोलन बन चुका है अब किसान आंदोलन

जागरण संवाददाता, पलवल : राष्ट्रवादी विचार मंच के अध्यक्ष स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय सचिव रतन सिंह सौरोत व जिले के किसान नेता मास्टर महेंद्र सिंह चौहान ने कहा है कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को सरकार तारपीडो करने का षडयंत्र रच रही है। सरकार को यह पता नहीं है कि किसान आंदोलन ने अब जन आंदोलन का रुप धारण कर लिया है तथा किसान अब रुकने व झुकने वाले नहीं हैं।

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तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की जिद के साथ डेढ़ महीने से राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित गांव अटोहां के समीप किसानों का आंदोलन रविवार को भी जारी रहा तथा क्रमिक अनशन के तहत 26वें दिन 11 किसानों ने भूख हड़ताल की। रविवार को भूख हड़ताल करने वाले किसानों में रुपराम, बिशम्बर दयाल, बिजेंद्र सिंह, बालकराम, भीमसिंह, दीपचंद, रामबीर, अजय कुमार, लेखराज, शीशपाल व दानवीर शामिल रहे। किसानों को समर्थन देने के लिए बीएसएफ में कार्यरत रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी में नामांकन दायर करने वाले तेज बहादुर भी पहुंचे। उन्होंने भाजपा सरकार पर किसानों का हक कुठाराघात करने का आरोप लगाया।

रविवार को धरने पर बैठे किसानों को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि सरकार दावा कर रही है न्यूनतम समर्थन मूल्य यथावत जारी रहेगा, लेकिन सरकार के दावे में कोई दम नहीं है। व्यापारियों से किसानों की पैदावार खरीदने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने का कोई कानून है ही नहीं, ऐसी स्थिति में समर्थन मूल्य मजाक बनकर रह जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार जब तक एमएसपी की गारंटी का कानून नहीं बनाती, तब तक समर्थन मूल्य की बात पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती ने कहा है कि नौ दौर की वार्ता के विफल होने के पश्चात किसानों के समक्ष केवल करो या मरो का एक ही विकल्प है। सरकार ने यह सिद्ध कर दिया है कि उनका किसानों के हितों से दूर का भी संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को किसान तिरंगा फहरा कर गणतंत्र दिवस मनाएंगे तथा ट्रैक्टर परेड निकालेंगे। किसानों की पूरी तैयारी है तथा संगठनों के बड़े नेता इस पर लगातार बैठक कर रहे हैं व जल्द ही इसकी रूपरेखा तैयार कर ली जाएगी।


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