धान में कीट व रोगों की रोकथाम के उपाय बताए
पलवल में किसान कल्याण मंच के तत्वावधान में बुधवार को गांव करमन में किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता प्रगतिशील किसान धर्मवीर ¨सह ने की और संचालन पूर्व कृषि अधिकारी डॉ.देशपाल ¨सह ने किया।
संवाद सहयोगी, पलवल: किसान कल्याण मंच के तत्वावधान में बुधवार को गांव करमन में किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता प्रगतिशील किसान धर्मवीर ¨सह और संचालन पूर्व कृषि अधिकारी डॉ.देशपाल ¨सह ने किया।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए कृषि विशेषज्ञ डॉ.महावीर ¨सह मलिक ने कहा कि इन दिनों धान की फसल में कई प्रकार के कीट और रोग नुकसान पहुंचा रहे हैं। सबसे ज्यादा नुकसान तना छेदक सुंडियां पहुंचा रही हैं। इनकी रोकथाम के लिए 7.5 किलो कारटॉप-4जी या 7.5 किलो फिपरोनिल 0.3 जी (रिजेंट) को 10 किलो सूखी रेत में मिलाकर रोपाई के 50 से 70 दिन बाद प्रति एकड़ की दर से फसल में डालें या एक लीटर कलोरोपाइरीफोस 20 ई.सी. या आधा लीटर मोनोक्रोटोफोस 36 एसएल को 200 लीटर पानी में मिलाकर 30, 50 या 70 दिन बाद प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
उन्होंने बताया कि सफेद पीठ वाला या भूरा तेला कीट की रोकथाम के लिए 250 मि.ली. डाइकलोरोफास 76 ई.सी. को 1.5 लीटर पानी में घोलकर 20 किलो रेत में मिलाकर प्रति एकड़ दर से खेत में खड़े पानी में एकसार बिखेर दें। बदरा रोग की रोकथाम के लिए 120 ग्राम बीम या सिविक या 200 ग्राम काबेंडाजिम दवा का 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। दूसरा छिड़काव 50 प्रतिशत बालियां निकलने पर करें।
उन्होंने किसानों को खेतों पर लेकर कीट व रोगों की पहचान भी कराई। इस मौके पर भगवान ¨सह फौजी, जगदीश, नत्थीराम, अशोक, उम्मेद, मान ¨सह, कमल, राजू, बालू, श्याम, गजेंद्र, रब्बू, रमेश, दाताराम, रतिराम, नीरज शर्मा, बादाम, रमेश आदि मौजूद थे।