महिला एवं बाल विकास विभाग में हेरोफरी मामले की जांच शुरू
महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारियों पर सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाने के मामले में कुछ अन्य घोटालों के आरोप लगे हैं। पहले विभाग अधिकारियों पर कुछ चहेती आंगनबाड़ी वर्करों के खाते में ईंधन के रूप में लाखों रुपये डलवाकर वापस लेने के आरोप की राज्य चौकसी ब्यूरो जांच कर रहा है। अब कुछ अन्य आरोप लगने पर विभाग के निदेशक ने जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए अधिकारी रामगौतम को जांच सौंपी गई है। अधिकारी अगले कुछ दिनों में पलवल आकर जांच शुरू करेंगे।
संवाद सहयोगी, पलवल : महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारियों पर सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाने के मामले में कुछ अन्य घोटालों के आरोप लगे हैं। पहले विभाग अधिकारियों पर कुछ चहेती आंगनबाड़ी वर्करों के खाते में ईंधन के रूप में लाखों रुपये डलवाकर वापस लेने के आरोप की राज्य चौकसी ब्यूरो जांच कर रहा है। अब कुछ अन्य आरोप लगने पर विभाग के निदेशक ने जांच के आदेश दिए हैं। इसके लिए अधिकारी रामगौतम को जांच सौंपी गई है। अधिकारी अगले कुछ दिनों में पलवल आकर जांच शुरू करेंगे।
आरटीआइ कार्यकर्ता मित्रोल निवासी अमरचंद शर्मा ने सात फरवरी 2017 को जन सूचना अधिकार के तहत मार्च 2013 से अक्टूबर 2016 तक कर्मचारियों के खाते में डाले गए ईंधन व अन्य पैसों की जानकारी मांगी थी। 28 फरवरी को सूचना उपलब्ध कराई थी। दस्तावेजों की की जांच की गई तो पता चला कि तत्कालीन कार्यक्रम अधिकारी तरुलता, सुपरीटेंडेंट सुनीलदत्त के द्वारा सरकार से तय किराए से कई गुणा धन राशि कुछ आंगनबाड़ी वर्करों के खाते में डाली गई थी। राशि तो 18 हजार रुपये डाली जानी थी, लेकिन कई-कई लाख रुपये तक डाली गई। कुछ दिनों बाद ही ज्यादा डाली गई राशि वर्करों से वापस मंगवा ली गई थी। उक्त पैसे को वापस सरकारी खजाने में भी जमा नहीं कराया गया। दोबारा राशि जारीकर्ताओं के हस्ताक्षर के बारे में सूचना मांगने पर 19 मई 2017 को बताया गया कि उक्त राशि तत्कालीन जिला कार्यक्रम अधिकारी तरुलता व सहायक चंद्रभान की सहायता से डलवाई गई थी।
अब जांच की गई तो पता चला कि प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के तहत फ्लेक्सी बोर्ड बनवाने के लिए 3,60,100 रुपये का भुगतान किया गया, जिस हिसाब से उनका भुगतान किया गया, उससे कहीं कम में वह बोर्ड आम लोगों को बनाकर दिए जाते हैं। इसी प्रकार आंगनबाड़ी वर्कर की ट्रे¨नग के लिए 66 हजार रुपये निकाले गए, जबकि उसके लिए कार्यालय में कोई बिल नहीं लगाया गया।
इसी प्रकार पीएमएमवीवाई योजना के तहत 64 हजार रुपये के स्टेशनरी के लिए पैसे निकाले गए, जिनके कोई बिल नहीं लगाए गए हैं। इसी योजना के तहत 52 हजार और 11 हजार रुपये फार्म खरीद के लिए निकाले गए, जबकि बिलों की कोई एंट्री नहीं है। आरटीआइ से मिली जानकारी में मुझे घोटाले का पता चला था, जिसके बाद जांच शुरू हुई थी। अब और घोटाले सामने आए हैं। अधिकारी कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं। विभाग में तैनात पीओ तरुण लता, एसए पंकज गुप्ता, सीडीपीओ शशी बाला व मंजू वर्मा ने कुछ अन्य कर्मचारियों के साथ मिलकर सरकार को करोड़ों का चूना लगाया है। सबके साक्ष्य मेरे पास हैं।
- अमरचंद शर्मा, आरटीआइ कार्यकर्ता