पुलिस और नप के बीच अटकी सीसीटीवी लगाने की योजना
सीसीटीवी कैमरे देखकर ही लोग संभल जाते हैं। किसी दुकान में लिखी यह लाइन सावधान! आप कैमरे की नजर में हैं।
अंकुर अग्निहोत्री, पलवल:
सीसीटीवी कैमरे देखकर ही लोग संभल जाते हैं। किसी दुकान में लिखी यह लाइन सावधान! आप कैमरे की नजर में हैं। अधिकतर अपराधियों के दिल में डर पैदा करने के लिए काफी होती है। डर इस बात का कि कहीं पकड़े ना जाएं। इतिहास गवाह है कि सीसीटीवी की मदद से पुलिस ने कई बड़े-बड़े मामलों को सुलझाया है। अपराधियों को पकड़ने के लिए पुलिस भी इसे अपना सबसे बड़ा हथियार मानती है, लेकिन विडंबना देखिए शहर में अबतक एक भी कैमरा नहीं लग सका है। कई बार चला बैठकों का दौर
शहर में सीसीटीवी लगाए जाने को लेकर नगर परिषद और पुलिस अधिकारियों के बीच कई बार बैठक हो चुकी है। बैठक में शहर में सीसीटीवी कहां लगने हैं, इसके लिए स्पाट भी चिन्हित किए जा चुके हैं। नप अधिकारियों ने बताया कि 2018 में तत्कालीन एसपी वसीम अकरम व तत्कालीन नप के ईओ हरदीप सिंह ने मिलकर शहर में सीसीटीवी लगाने की योजना बनाई थी। मगर योजना परवान नहीं चढ़ सकी। इसके बाद 2019 में फिर से नगर परिषद ने प्वाइंट चिह्नित कर प्रक्रिया शुरू की और पुलिस का सहयोग लेकर करीब 34 जगहों का चयन किया और करीब आठ करोड़ का एस्टीमेट बनाकर निकाय विभाग को भेज दिया गया। जब वहां से बजट की मंजूरी मिली तो इसी दौरान सरकार की तरफ से फैसला बदल दिया गया कि सीसीटीवी कैमरे नगर परिषद नहीं बल्कि पुलिस विभाग द्वारा लगाए जाएंगे। इन आदेशों के साथ ही नए सिर से फिर से फाइल शुरू हो गई और गेंद पुलिस विभाग के पाले में है।
इन जगहों पर लगने थे सीसीटीवी
सुरक्षा के दृष्टिकोण से कुछ साल पहले जिला पुलिस द्वारा सीसीटीवी लगाए जाने की सिफारिश करने के बाद नगर परिषद ने आगरा चौक, अलावलपुर चौक, बस स्टैंड चौक, किठवाड़ी चौक, रसूलपुर चौक, न्यू सोहना मोड़, मीनार गेट चौक, कमेटी चौक, हुडा मोड़, जवाहर नगर, कैंप बाजार, रेलवे रोड समेत शहर में 35 स्थानों को चिन्हित किया था, जहां दो प्रकार के सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने थे, लेकिन इसपर कोई काम नहीं हुआ। अपराधों पर लगेगी लगाम
शहर में यदि सीसीटीवी कैमरे लगते हैं तो अपराधों पर लगाम लगेगी। अगर कोई घटना हो भी गई तो यह साफ हो जाएगा कि दोषी कौन है। घटना को अंजाम देने वाले सीसीटीवी कैमरों में कैद हो जाएंगे। अगर सीसीटीवी कैमरों से निगरानी लाइव हुई तब तो अनहोनी होने से काफी पहले पुलिस सख्त एक्शन लेकर बवाल बढ़ने से पहले ही स्थिति पर काबू पा सकती है। निजी कैमरों पर निर्भर पुलिस
पुलिस निजी स्थलों पर लगे कैमरों पर निर्भर है। पिछले साल जुलाई में थाना चांदहट के अंतर्गत आने वाले घघोट गांव में एक चाचा ने अपने भतीजे को गला दबाकर मार दिया था और लाश को खेत में फेंक दी थी। मामलों को सुलझाने में पुलिस को बड़ी मुश्किल आ रही थी। फिर सात जगहों पर लगे सीसीटीवी कैमरे की मदद से आरोपित को पकड़ा गया था। इसकी तरह पिछले साल ही एक गांव में हलवाई के नौकर ने उसकी चार साल की बेटी के साथ दुष्कर्म कर हत्या कर दी थी, लेकिन एक स्कूल में लगे सीसीटीवी कैमरे की मदद से पुलिस आरोपित को पकड़ने में कामयाब रही थी। इस योजना को लेकर अभी नप के पास बजट नहीं है। जिला एसपी से बातचीत कर इसपर काम किया जाएगा।
- मोनिका गुप्ता, नगर आयुक्त। अभी ऐसे कोई आदेश नहीं मिले हैं कि सीसीटीवी कैमरे पुलिस विभाग को लगाने हैं। यदि कोई निर्देश मिलते हैं तो नप के साथ मिलकर इसपर काम शुरू किया जाएगी।
- दीपक गहलावत, एसपी