कम लागत में पपीता की खेती से पाएं अधिक आय
संवाद सहयोगी, पलवल : पपीता बहुत ही पौष्टिक एवं गुणकारी फल है। किसान पपीता की खेती अकेले या अमरूद,
संवाद सहयोगी, पलवल : पपीता बहुत ही पौष्टिक एवं गुणकारी फल है। किसान पपीता की खेती अकेले या अमरूद, आम, बेर व नींबू के पेड़ों के बीच खाली जगह पर भी कर सकते हैं। पपीता को घर के आंगन में भी उगाया जा सकता है। पपीता लगाने के डेढ़ वर्ष बाद फल मिलने लगते हैं। कम समय, कम क्षेत्र, कम लागत में अधिक पैदावार व अधिक आय प्राप्त होने के कारण पिछले कुछ सालों में जिले के किसानों का रुझान पपीता की खेती की तरफ बढ़ा है। पपीता लोकप्रिय फल होने के साथ-साथ इसके कच्चे फलों से से पपेन एंजाइम प्राप्त होता है।
भूमि व उन्नत किस्में
उचित जल निकास वाली जीवांश से भरपूर दोमट व बलुई दोमट भूमि पपीते के लिए बढि़या रहती है। पपीते के लिए शुष्क व अर्धशुष्क क्षेत्र व पाला रहित, सेम रहित क्षेत्र काश्त उपयोगी है। पपीता में पौधे से पौधे व कतार से कतार का फासला डेढ़ मीटर रखने पर 1742 तथा दो मीटर पर 105 पौधे प्रति एकड़ लगते हैं। मधु ¨बदु, कुर्म, हनी, पूसा डिलीशियस, पूसा डवाफे, पूसा नन्हा, सीओ-7 प्रमुख पारंपरिक किस्में हैं। इसके अलावा सूर्या, मयूरी, ¨पक प्लैस्ड प्रमुख संकर किस्में हैं।
पौधे तैयार करना
पपीते के पौधे बीज द्वारा तैयार किए जाते हैं। एक एकड़ में पौधे रोपण के लिए 40 वर्ग मीटर पौध क्षेत्र व 125 ग्राम बीज पर्याप्त रहता है। इसके लिए एक मीटर चौड़ी व पांच मीटर लंबी क्यारियां बना लें। प्रत्येक क्यारी में खूब सड़ी गली गोबर की खाद मिलाकर व पानी लगाकर 15-20 दिन पहले छोड़ देते हैं। बीज को 3 ग्राम कैप्टान दवा प्रति किलो बीज की दर से उपचार करके 15 सेमी. दूरी पर दो सेमी. गहरा बोएं। रोग से बचाव के लिए 100 लीटर पानी में 200 ग्राम कैप्टान दवा घोलकर छिड़काव करें।
पौधरोपण समय व विधि
खेत में जून माह में दो मीटर की दूरी पर 50 गुणा 50 गुणा 50 सेमी. गड्ढे खोदकर उनमें गोबर की खाद व मिट्टी की बराबर मात्रा मिलाकर भरें तथा ¨सचाई करें ताकि मिट्टी बैठ जाए। जुलाई माह में एक गड्ढे में दो पौधे लगाएं। पौध पालीथिन के 25 गुणा 10 सेमी. के लिफाफे में रेत व गोबर की खाद बराबर मात्रा में भरकर इसमें दो-तीन बीज एक लिफाफे में उगाकर भी तैयार कर सकते हैं। उगने के बाद एक लिफाफे में एक स्वस्थ पौधा रखें।
¨सचाई व खाद
गर्मियों में हर सप्ताह तथा सर्दियों में 15-20 दिन बाद ¨सचाई करते रहें। पौधों के तने के पास पानी न खड़ा होने दें। पपीते में फूल आने पर ही नर व मादा पौधों की पहचान होती है तब उनमें से सारे खेत में अलग-अलग 10 प्रतिशत नर पौधे रखकर बाकि नर पौधे निकाल दें। 20 किलो गोबर खाद प्रति पौधा दें। फरवरी व अगस्त माह में 500 ग्राम मिश्रित उर्वरक एमोनियम सल्फेट, ¨सगिल सुपर फोसफेट व पोटाशियम सल्फेट दो अनुपात चार अनुपात एक के अनुसार प्रति पौधा दें।
वर्षा ऋतु में तना गलन रोग का प्रकोप होता है। इसकी रोकथाम के लिए पौधों के पास पानी न खड़ा होने दें। लीफ कर्ल व मौजेक रोग से प्रभावित पौधों को निकालकर नष्ट कर दें तथा सफेद मक्खी व चेंपा की रोकथाम के लिए 250 मिली.मैलाथियान 50 को 250 लीटर पानी में छिड़कें। पपीते में पैदावार मादा पौधों की संख्या पर निर्भर करती है। एक पौधे से औसतन 40 किलो फल तथा एक एकड़ में 200 से 300 ¨क्वटल फल मिल जाता है।
-डा.महावीर मलिक, कृषि विशेषज्ञ।