सूचना के अधिकार को मजाक बना रहे अधिकारी
लोगों को जानकारी प्राप्त कराने के लिए बनाया गया आरटीआइ के कानून को कुछ अधिकारियों ने मजाक बना दिया है। जिससे लोगों का इस कानून से विश्वास उठता जा रहा है। जिस विभाग से आरटीआइ के तहत जानकारी मांगी जाती है वह समय पर मांगी गई जानकारी ही उपलब्ध नहीं कराते। ऐसा ही मामला जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का सामने आया है। जहां एक महीना बीत जाने के बाद भी विभाग ने शिकायतकर्ता की शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया। शिकायतकर्ता जफरुद्दीन निवासी साहपुर ने बताया कि एक महीने पहले उन्होंने जन स्वास्थ्य विभाग के एक्सईएन पुन्हाना से आरटीआइ के तहत जानकारी मांगी गई थी। आरटीआइ के माध्यम से पूछा गया था कि पुन्हाना के अंतर्गत कितने ऐसे गांव हैं जिनमें विभाग
जागरण संवाददाता, पिनगवां:
लोगों को जानकारी प्राप्त कराने के लिए बनाया गया आरटीआइ के कानून को कुछ अधिकारियों ने मजाक बना दिया है। इससे लोगों का इस कानून से विश्वास उठता जा रहा है। जिस विभाग से आरटीआइ के तहत जानकारी मांगी जाती है वह समय पर मांगी गई जानकारी ही उपलब्ध नहीं कराते।
ऐसा ही मामला जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का सामने आया है। जहां एक महीना बीत जाने के बाद भी विभाग ने शिकायतकर्ता की शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया।
शिकायतकर्ता जफरुद्दीन निवासी साहपुर ने बताया कि एक महीने पहले उन्होंने जन स्वास्थ्य विभाग के एक्सईएन पुन्हाना से आरटीआइ के तहत जानकारी मांगी गई थी। आरटीआइ के माध्यम से पूछा गया था कि पुन्हाना के अंतर्गत कितने ऐसे गांव हैं जिनमें विभाग की तरफ से ट्यूबवेल नहीं लगवाए गए हैं तथा कितने टयूबवेल कितने दिनों से बंद पडे हैं, लेकिन एक महीना बीत जाने के बावजूद भी कोई जवाब नहीं दिया गया। शिकायतकर्ता का आरोप है कि विभाग के अधिकारियों ने जमकर गड़बड़ी कर रखी है। इसके कारण मांगी गई सूचना का उनके पास कोई सबूत नहीं है। आरोप है कि यदि जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की जांच किसी उच्चाधिकारी से कराई जाए तो पूरा मामला सभी के सामने आ सकता है। उन्होंने विभागीय अधिकारियों से मांग करते हुए आइटीआइ के तहत मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने की मांग की है।