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मास्क बांटकर महामारी से बचाने में जुटी हैं कुसुम

आगामी आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। यह दिवस महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। आज तस्वीर काफी हद तक बदली है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 04:38 PM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 05:36 PM (IST)
मास्क बांटकर महामारी से बचाने में जुटी हैं कुसुम

संवाद सहयोगी, फिरोजपुर झिरका: आगामी आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। यह दिवस महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। आज तस्वीर काफी हद तक बदली है। महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति पहले के मुकाबले अधिक जागरूक हुई हैं। कुछ ऐसी भी महिलाएं हैं जो खुद जागरूक होकर समाज में शिक्षा, तथा महिलाओं को अपने अधिकारों व कोरोना महामारी के दौरान में उन्हें इसके प्रति सजग करने तथा अन्य हकों के लिए महिलाओं व बेटियों को जागरूक कर रही हैं।

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महिलाओं में शिक्षा, स्वास्थ्य तथा अधिकारों के प्रति जागरूकता लाने के साथ ही उन्हें महामारी से कैसे बचाया जाए इसका बीड़ा मूलरूप से सोनीपत जिले की निवासी तथा फिरोजपुर झिरका के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में रसायन शास्त्र की प्रवक्ता कुसुम मलिक ने उठाया। कुसुम मलिक क्षेत्र की पहली ऐसी महिला रहीं जिन्होंने अपने निजी कोष से 50 हजार मास्क उस वक्त लोगों को बांटे जब लोग कोरोना की भयंकर स्थिति से जूझ रहे थे। कुसुम मलिक जब यहां चार साल पहले तबादला होकर आई थीं तो उन्होंने देखा कि यहां बेटियों की शिक्षा को लेकर लोग जागरूक नहीं हैं। उन्होंने इसके लिए अभिभावकों को जागरूक किया। ड्राप आउट लड़कियों को स्कूल लाने तथा कोरोना काल में मोहल्ला पाठशाला शुरू करवाने में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा।

कुसुम मलिक बताती हैं जब कोरोना महामारी ने गंभीर रूप धारण किया तो जिले को स्वास्थ्य विभाग और सरकार ने अतिसंवेदनशील जिला घोषित किया था। सरकार ने लोगों को हिदायत थी कि वो सैनिटाइजर व मास्क का उपयोग हर हाल में करें। सरकार ने मास्क को लेकर नियम भी जारी किए थे। उस समय बाजारों में मास्क की बहुत कमी देखी गई तो लोगों को कोरोना से बचाने के लिए कुसुम मलिक ने निश्चिय किया कि वो खुद मास्क बनवाकर लोगों को बांटेगीं। उन्होंने इसके लिए घरेलू महिलाओं की सहायता ली और मास्क बनवाने शुरू कर दिए। उन्होंने जब मास्क बड़ी खेप तैयार करवाई तो उनके सामने ये चुनौती थी कि अब इन्हें बांटा कैसे जाए। कुसुम मलिक ने इसके लिए खुध जुट गई लोगों को मास्क बांटने में। उन्होंने जिले के प्रत्येक क्षेत्र में लोगों को नि:शुल्क मास्क बांटे।

उनका साथ क्षेत्र की पढ़ी लिखी बेटियों ने भी दिया। कुसुम मलिक पर लोगों को कोरोना से बचाने का ऐसा जुनून चढ़ा कि वो दिन रात एक करके लोगों को मास्क उपलब्ध करवाती रहीं। कुसुम मलिक जैसी महिलाओं के अथक प्रयास की बदौलत आज हमारा जिला बहुत हद तक कोरोना मुक्त हो चुका है। कुसुम मलिक जैसी महिलाएं आज हमारे बीच कोरोना योद्धा के रूप में जानी जाती हैं। उन्होंने जिस तरह कोरोना से बचाव के लिए लोगों को मास्क वितरित किए, उसके लिए क्षेत्र के तमाम लोग उनकी तारीफ करते नहीं थकते।


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