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लू के थपेड़ों ने बिगाड़ी सेहत तो उमस ने लूटा चैन

शहीद हसन खान मेवाती गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज नलहड़ की ओपीडी में मरीजों का आंकड़ा एक हजार के पार चल रहा है। डायरिया बुखार एवं दस्त से जुड़े मरीजों की संख्या प्रतिदिन 300 के आसपास रहती हैं वहीं टीबी हृदय रोग बीपी आदि के मरीज भी इलाज के लिए आ रहे हैं। मेडकल कॉलेज में 1145 मरीजों का पंजीकरण हुआ तो 72 मरीज एडमिट हुए। मेडिकल कॉलेज नलहड़ के कार्यकारी निदेशक डॉ. रवि दत्त वधवा ने बताया कि अधिकतम तापमान हीटस्ट्रोक एवं उमस के चलते मरीज के शरीर से पसीना निकलता है और सूख नहीं पाता है। जिससे मरीज को दिक्कत अधिक होती है। उन्होंने कहा कि इस मौसम में व्यक्ति सावधानी बरते और हीट स्ट्रोक का शिकार न हो।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Jun 2019 06:47 PM (IST)Updated: Thu, 06 Jun 2019 06:36 AM (IST)
लू के थपेड़ों ने बिगाड़ी सेहत तो उमस ने लूटा चैन
लू के थपेड़ों ने बिगाड़ी सेहत तो उमस ने लूटा चैन

जागरण संवाददाता, नूंह : दिन में चले लू के थपेड़े जहां लोगों की सेहत पर भारी पड़ रहे हैं, वहीं उमस ने भी मरीजों की बेचैनी को और बढ़ा दिया है। डॉक्टरों की मानें तो हीट स्ट्रोक का शिकार होने से खुद को बचाएं अन्यथा बाद में स्थिति गंभीर भी हो सकती है, इसके लिए सतर्कता बरतनी होगी। मौसम की मार से अस्पतालों में बुखार, दस्त एवं डायरिया के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है।

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शहीद हसन खान मेवाती गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज नलहड़ की ओपीडी में मरीजों का आंकड़ा एक हजार के पार चल रहा है। डायरिया, बुखार एवं दस्त से जुड़े मरीजों की संख्या प्रतिदिन 300 के आसपास रहती हैं, वहीं टीबी, हृदय रोग, बीपी आदि के मरीज भी इलाज के लिए आ रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में 1145 मरीजों का पंजीकरण हुआ तो 72 मरीज एडमिट हुए।

मेडिकल कॉलेज नलहड़ के कार्यकारी निदेशक डॉ. रवि दत्त वधवा ने बताया कि अधिक तापमान, हीटस्ट्रोक एवं उमस के चलते मरीज के शरीर से पसीना निकलता है और सूख नहीं पाता है। इससे मरीज को दिक्कत अधिक होती है। उन्होंने कहा कि इस मौसम में व्यक्ति सावधानी बरते और हीट स्ट्रोक का शिकार न हो। यदि हीट स्ट्रोक का शिकार हो जाता है तो स्थिति गंभीर भी हो सकती है।

उन्होंने कहा कि नूंह जिला राजस्थान के बार्डर से सटा हुआ है, जिसके चलते यहां गर्मी अधिक रहती है। हीट स्ट्रोक का शिकार होने पर मरीज को उल्टी आने लगेगी, बेचैनी होगी, सिरदर्द रहेगा और चक्कर भी आ सकते हैं। शरीर शिथिल पड़ जाता है। पेशाब की मात्रा में कमी आ जाती है। रोग का निदान नहीं होने पर मरीज बेहोश भी हो सकता है। ऐसे में धूप से बचाव करें, कठिन परिश्रम से बचें क्योंकि कठिन परिश्रम से व्यक्ति के शरीर से पसीना निकल जाता है। शरीर में पानी की कमी मत होने दें।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नूंह के प्रभारी डॉ. गोविद शरण ने बताया कि मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। ओपीडी में 400 से अधिक मरीज आ रहे हैं। इनमें डायरिया एवं बुखार के मरीज अधिक रहते हैं। उन्होंने बताया कि इस मौसम में व्यक्ति को खाली पेट नहीं निकलना चाहिए। शरीर में पानी की कमी मत होने दें। सिर ढककर चलें।


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