टायर फैक्ट्री बंद कराने को लेकर लामबंद हुए घासेड़ा के ग्रामीण
घासेड़ा गांव के पास चल रही फैक्ट्री को बंद कराने को लेकर ग्रामीण लामबंद हो चुके हैं। इस संबंध में ग्रामीणों ने उपायुक्त व सीएम विडो में शिकायत देकर फैक्ट्री को जल्द से जल्द बंद कराने की भी मांग की है।
जागरण संवाददाता, नूंह : घासेड़ा गांव के पास चल रही फैक्ट्री को बंद कराने को लेकर ग्रामीण लामबंद हो चुके हैं। इस संबंध में ग्रामीणों ने उपायुक्त व सीएम विडो में शिकायत देकर फैक्ट्री को जल्द से जल्द बंद कराने की भी मांग की है। ग्रामीणों का आरोप है कि फैक्ट्री से निकलने वाले धुंए से वे परेशान हैं। इससे जहां एक ओर उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर इससे बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ गया है।
टायर फैक्ट्री के चलते गांव में सांस, टीबी व हृदय रोगियों की संख्या बढ़ने लगी है। इस संबंध में फैक्ट्री मालिक से जब ग्रामीणों ने बात की तो उन्होंने साफ मना कर दिया कि फैक्ट्री को बंद नहीं किया जाएगा। ग्रामीणों के अनुसार नियमों को ताक पर रखकर यह फैक्ट्री चलाई जा रही है। इससे निकलने वाले धुएं से ग्रामीण बीमार हो रहे हैं।
गांव निवासी मोहम्मद मुस्तफा, नासिर, लुकमान, इस्ताक, मुफीद, मोहम्मद कासिम, मुस्तकीम खान, खालिद, इमरान, मुनफैद, योगेश व आबिद खान सहित अन्य ने उपायुक्त को दी शिकायत में बताया कि घासेड़ा से छछेड़ा जाने वाले मार्ग पर एक टायर फैक्ट्री बनी हुई है। इसमें पुराने टायरों को जलाकर उनका तेल निकाला जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान फैक्ट्री से काफी धुआं निकलता है।
उन्होंने बताया कि यह फैक्ट्री गांव से केवल 400 मीटर की दूरी पर स्थित है। फैक्ट्री से निकलने वाले धुएं से सभी ग्रामीण परेशान हैं। इससे पहले छछेड़ा के ग्रामीणों द्वारा भी इसी संबंध में सीएम विडो में शिकायत दी गई थी, लेकिन आज तक उस शिकायत पर भी प्रशासन ने कोई संज्ञान नहीं लिया है।
घासेड़ा के ग्रामीणों ने कहा कि जब वे सुबह सोकर उठते हैं तो उनके शरीर पर टायरों की राख जमा हो जाती है। वहीं राख रात को सोते समय सांस के माध्यम से उनके शरीर के अंदर भी चली जाती है जिससे ग्रामीण बीमार हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर फसलों पर भी टायरों की यह राख जमा हो जाती है और फसलें भी खराब हो रही हैं।
इसके अलावा यह फैक्ट्री एनजीटी के तय नियमों के अनुरूप स्थापित नहीं की गई है। एनजीटी के आदेशानुसार कोई भी प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्री को आबादी से आठ सौ मीटर या एक किलोमीटर दूर होना चाहिए। जबकि यह फैक्ट्री आबादी से केवल चार सौ मीटर दूर है। ग्रामीणों की उपायुक्त पंकज कुमार से मांग है कि वे जल्द से जल्द इस फैक्ट्री को बंद कराएं।