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अब घर बैठे ग्रामीणों के खून की जांच कराएगा स्वास्थ्य विभाग

ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर सहूलियत देने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग ने गांवों में एफटीडी (फीवर ट्रीटमेंट डिपो) सेंटर की शुरूआत की है। जिसके तहत घर बैठे ही ग्रामीणों के खून की जांच की जाएगी। मानूसन सीजन में मलेरिया से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने यह योजना बनाई है। खून की जांच करने की जिम्मेवारी गांवों में कार्यरत आशा वर्करों को दी गई है। नूंह में फिलहाल मलेरिया प्रभावित करीब बारह गांवों में फीवर ट्रीटमेंट डिपो बनाए गए हैं। वहां आशा वर्करों को ब्लड स्लाइड और जरूरी दवाएं (मलेरिया किट) मुहैया करा दी गई हैं। सीएचसी पर स्लाइड जांच की भी व्यवस्था की है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Jun 2019 04:24 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jun 2019 04:24 PM (IST)
अब घर बैठे ग्रामीणों के खून की जांच कराएगा स्वास्थ्य विभाग

पुलआउट लीड..

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- नूंह खंड के 12 गांवों में शुरू किए गए एफटीडी सेंटर

- 15 मिनट में ग्रामीण जान पाएंगे अपने खून की रिपोर्ट

प्रवीन चौधरी, नूंह

ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर सहूलियत देने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग ने गांवों में एफटीडी (फीवर ट्रीटमेंट डिपो) सेंटर की शुरुआत की है। इसके तहत घर बैठे ही ग्रामीणों के खून की जांच की जाएगी। मानसून सीजन में मलेरिया से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने यह योजना बनाई है। खून की जांच करने की जिम्मेवारी गांवों में कार्यरत आशा वर्करों को दी गई है। नूंह में फिलहाल मलेरिया प्रभावित करीब 12 गांवों में फीवर ट्रीटमेंट डिपो बनाए गए हैं। वहां आशा वर्करों को ब्लड स्लाइड और जरूरी दवाएं (मलेरिया किट) मुहैया करा दी गई हैं। सीएचसी पर स्लाइड जांच की भी व्यवस्था की है।

बता दें, कि जिले में मलेरिया का वार शुरू हो गया है, विशेष तौर पर नहरी क्षेत्र से लगते गांवों में। नूंह में अब तक मलेरिया के 86 मामले आ चुके हैं। लिहाजा स्वास्थ्य विभाग ने अभी से सतर्कता बढ़ा दी है। संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरती जा रही है। महामारी से निपटने को जिला मलेरिया अधिकारी के नेतृत्व में विशेष टीम भी गठित की गई हैं। एएनएम और हेल्थ वर्करों को ज्यादा से ज्यादा ब्लड स्लाइड तैयार करने को निर्देशित किया है। स्वास्थ्य कर्मियों को भी ब्लड स्लाइड और जरूरी दवाएं (मलेरिया किट) मुहैया करा दी गई हैं। अब नहीं होगी शहर जाने की जरूरत

ग्रामीण क्षेत्रों में किसी भी तरह के बुखार से पीड़ित मरीज को शहर के अस्पतालों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एफटीडी सेंटर पर ही उनके खून की जांच होगी। इसके बाद उन्हें 15 मिनट में ही रिपोर्ट भी दे दी जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर सेंटर पर उन्हें जरूरी दवाइयां भी दी जाएंगी। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग का यह राहत भरा कदम है। संवेदनशील गांवों में शुरू हुए एफटीडी सेंटर

फिलहाल स्वास्थ्य विभाग ने मलेरिया प्रभावित और संवेदनशील गांवों में ही एफटीडी सेंटर की शुरुआत की है। इनमें उजीना, उदाका, बझेड़ा, निजामपुर, मालब, दिहाना, सलंबा, सूडाका, टांई सहित अन्य गांवों को चयनित किया गया है। अगले चरण में विभाग अन्य गांवों को चिन्हित कर वहां पर भी एफटीडी सेंटर स्थापित करेगा। 17 टीमें जुटी स्प्रे अभियान में

संवेदनशील गांवों के साथ-साथ शहरी क्षेत्र में मलेरिया को कंट्रोल करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग ने 17 टीमें स्प्रे अभियान में लगाई हैं। विभागीय अधिकारी टीमों की मॉनीटरिग भी कर रहे हैं। इसके साथ जहां से मलेरिया प्रभावित केस आते हैं, वहां तुरंत प्रभाव से स्प्रे के लिए टीमें भेजी जाती हैं। एफटीडी सेंटरों के माध्यम से ग्रामीणों की जांच गांव में ही जाएगी। मलेरिया प्रभावित होने पर उनको वहीं उपचार भी दिया जाएगा। इसके साथ नूंह सिविल अस्पताल में भी खून जांच की स्लाइड है। ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को देखते हुए एफटीडी सेंटर स्थापित किए गए हैं।

- रमेश मान, हेल्थ इंस्पेक्टर मलेरिया की रोकथाम को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सतर्क है। संवेदनशील गांवों पर विभागीय अधिकारियों की पूरी नजर है। जहां से मलेरिया प्रभावित केस सामने आते हैं, वहां पर विभाग की टीमें भेजी जाती हैं। इसके अलावा ग्रामीणों को मलेरिया के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है।

- डा. राजीव बातिश, सिविल सर्जन नूंह


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